‘आज आचार्य को सुन्दर भाषण देना पड़ा।’ इस वाक्य के वाच्य की पहचान करते हैं…
वाक्य : आज आचार्य को सुन्दर भाषण देना पड़ा।
वाच्य : कर्तृवाक्य
स्पष्टीकरण :
उपरोक्त वाक्य में ‘कर्तृवाच्य’ इसलिए है क्योंकि इस वाक्य में कर्ता की प्रधानता है। जिस वाक्य में कर्ता की प्रधानता होती है, उस वाक्य में ‘कर्तृवाच्य’ होता है।
अब थोड़ा सा वाच्य के बारे में जान लेते हैं।
वाच्य की परिभाषा – क्रिया के उस परिवर्तन को वाच्य कहते हैं, जिसके द्वारा हमें इस बात का ज्ञान हो कि वाक्य के अन्तर्गत अर्थात वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव मे से किसकी प्रधानता है।
वाच्य के तीन भेद होते हैं…
1. कर्तृवाच्य – जिस वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध होता है।
2. कर्मवाच्य – जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता का बोध हो।
3. भाववाच्य – जिस वाक्य में क्रिया अथवा भाव की प्रधानता का बोध हो।
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