‘आलोक माँ के लिए दवा लाया।’ इस वाक्य में प्रयुक्त कारक को पहचानते हैं..
वाक्य : आलोक माँ के लिए दवा लाया।
कारक : ‘के लिए’
कारक भेद : संप्रदान कारक
स्पष्टीकरण :
‘आलोक माँ के लिए दवा लाया।’ इस वाक्य में संप्रदान कारक इसलिए होगा क्योंकि संप्रदान कारक में वाक्य का कर्ता किसी के लिए कोई कार्य करता है। इस वाक्य में भी आलोक अपनी माँ के लिए दवा लाने का कार्य कर रहा है।
संप्रदान कारक की परिभाषा के अनुसार जब वाक्य में कर्ता द्वारा किसी के लिए को कोई क्रिया या कार्य किया जाता है तो वहाँ पर संप्रदान कारक होता है।
संप्रदान कारक वाले वाक्यों में कारक ‘के लिए’ का प्रयोग किया जाता है।
कारक की परिभाषा
हिंदी व्याकरण में संज्ञा या सर्वनाम शब्द की वह अवस्था जिसके द्वारा वाक्य में उसका क्रिया से संबंध प्रकट होता है, उसे कारक कहते हैं। संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया से से संबंध जिस रूप में माना जाता है, उसे कारक कहते हैं।
कारक के आठ भेद होते हैं।1) कर्ता कारक (जो कार्य करने वाला हो)
2) कर्म कारक (जिस पर किए हुए कार्य का प्रभाव पड़े)
3) करण कारक (जिसके द्वारा कर्ता कार्य करता है)
4) संप्रदान कारक (जिसके लिए कार्य किया जाए)
5) अपादन कारक (जिसमें अलग होना बोध हो)
6) सम्बन्ध कारक (जो अन्य पदों से संबंध दर्शाये)
7) अधिकरण कारक (जो कार्य करने का आधार हो)
8) सम्बोधन कारक (जहाँ किसी को संबोधित किया जाता हो)
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