तताँरा और वामीरो की मृत्यु को त्यागमयी मृत्यु इसलिए कहा गया है, क्योंकि उन दोनों की मृत्यु के बाद ही अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के सभी गाँवों में उस कुप्रथा का अंत हो गया, जिस कुप्रथा के अंतर्गत एक गाँव का युवक या युवती दूसरे गाँव के युवक या युवती से विवाह नहीं कर सकते थे।
तताँरा और वामीरो दोनों की त्यागमयी मृत्यु ने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के सभी गाँवों के लोगों की विचारधारा में परिवर्तन ला दिया था और वह अपनी रूढ़िवादी परंपरा से मुक्त हो गए थे। उनकी मृत्यु के कारण हुए सामाजिक बदलाव के कारण ही द्वीपसमूह के सभी गाँव उस रुढ़िवादी कुप्रथा से मुक्त हो सके।
संदर्भ पाठ :
‘तांतारा वामीरो की कथा’ एक लोक कथा है, जो ‘लीलाधर मंडलोई’ द्वारा लिखी गई है। यह कथा अंडमान निकोबार द्वीप समूह की लोककथा है, जहां पर छोटे-छोटे गाँव होते थे। इसमें बताया गया है कि लिटिल अंडमान और कार-निकोबार दोनों कभी एक-दूसरे से जुड़े थे। जो बाद में अलग हो गए।
तताँरा और वामीरो इस द्वीप समूह के ‘पासा’ और ‘लपाती’ नामक गाँव के निवासी थे। दोनों युवक युवती एक दूसरे से प्रेम करते थे, लेकिन उस समय अंडमान निकोबार द्वीप समूह के गाँवों में यह प्रथा की थी कि किसी गाँव के युवक-युवती दूसरे गाँव के युवक-युवती से विवाह नहीं कर सकते थे। इसी कारण दोनों विवाह नहीं कर पाए और दोनों को अपनी मृत्यु को चुनना पड़ा।
तताँरा वामीरो की कथा, हिंदी (कक्षा 10, पाठ 12)
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