हजामत बनाने के अलावा नाइयो में अनेक गुण होते थे। नाइयों के बारे में कहा जाता था कि पृथ्वी पर कोई ऐसा कार्य नहीं था जो भारतीय नाई ना कर सकता हो। बहुत सी नाई अनेक मंदिरों में पुजारी थे। यानि ब्राह्मण जैसा कार्य करते थे। अनेक नाई युद्ध के मैदान में जाकर अपने उस्तरे से शत्रुओं के नाक-कान काट लेते थे। यानी वह क्षत्रिय का भी काम कर लेते थे।
नाई लड़के लड़कियों का विवाह तय करवाते थे। लोगों के घर जाकर शादी समारोह का निमंत्रण देना हो या किसी भी मांगलिक समारोह का निमंत्रण देना हो अथवा किसी दुखद समाचार की सूचना देना हो, ये सारे काम नाई बखूबी कर लेते थे। नाई संदेशवाहक का कार्य भी करते थे और किसी एक घर का संदेश दूसरे घर तक पहुंचाने का कार्य करते थे। नाई जासूस का कार्य भी करते थे। बहुत से नाइयों को दूसरे घरों का भेद निकालने के लिए भी जासूस के रूप में प्रयोग किया जाता था। इस तरह भारतीय नाइयों में हजामत बनाने में अनेक तरह के गुण थे।
[stextbox id=’black’]संदर्भ पाठ :
‘पूरब के नाई’ – बलराज साहनी (हिंदी रत्नभारती, कक्षा 8, पाठ 8)[/stextbox]
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