कवि और कोयल के बीच वार्तालाप का संदर्भ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रस्तुति है, जहाँ पर स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को अंग्रेजों द्वारा जेल में बंद कर उनके साथ दुर्व्यवहार और किया जाता है और अनेक यातनाएं दी जाती हैं।
कवि स्वयं स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जेल में बंद है, जहाँ पर उनके साथ अंग्रेज सिपाहियों द्वारा ना केवल दुर्व्यवहार किया जा रहा था बल्कि उन्हें अनेक तरह की यातनाएँ दी जा रही थी ।
कवि इन यातनाओं से त्रस्त हुए अपनी कोठरी में बंद हैं। जब कोयल की कूक उनके कानों में पड़ती है, तब लगता है, कोयल अर्ध रात्रि में कोई संदेश लेकर आई है और स्वतंत्र सेनानियों को कुछ देना चाहती है। कवि अपनी उदासी और पीड़ा को कोयल के साथ साझा करना चाहते हैं। वह ब्रिटिश शासन की क्रूरता को कोयल को बताते हैं और कोयल को बोलते हैं कि यह समय अभी मधुर गीत गाने का नहीं है बल्कि आज़ादी के गीत गाने का समय है।
जब कोयल की कूक रात के शांत वातावरण में चारों तरफ फैल जाती है, तो कवि को एहसास होता है कि कोयल पूरे देश को अब कारागार के रूप में देखने लगी है। वह कवि सहित केवल कारागार के सेनानियों को ही नही जगाना चाहती बल्कि वह पूरे देश के लोगों को सुप्तावस्था से जागृत अवस्था में जगाने का प्रयास कर रही है।
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