दोषों का पर्दाफाश करना तब बुरा रूप ले सकता है, जब हम किसी के दोष को उजागर करते हुए उसके दोष में आनंद लें और उसके दोष को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करें। अथवा हम जब किसी के दोष को उजागर करते समय वह व्यक्ति उग्र रूप धारण कर ले और किसी भी तरह से लोगों को हानि पहुंचाने की चेष्टा करें। ऐसी स्थिति में दोषों का पर्दाफाश करना बुरा रूप ले सकता है।
टिप्पणी
‘क्या निराश हुआ जाए’ पाठ में लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी ने यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया है कि इस दुनिया में अभी मानवता और ईमानदारी तथा अच्छाई पूरी तरह मिटी नहीं है और बहुत से अच्छे लोग भी इस दुनिया में हैं, जिनके कारण इस दुनिया में मानवता बची हुई है। इसलिए निराश होने की कोई आवश्यकता नहीं है।
संदर्भ पाठ
‘क्या निराश हुआ जाए’ – हजारी प्रसाद द्विवेदी, (कक्षा-8 पाठ-8)
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