निबंध
दूरदर्शन शिक्षा में बाधक या साधक
भूमिका
दूरदर्शन शब्द की रचना दूर और दर्शन – इन दो शब्दों से हुई है। दूरदर्शन, यह एक ऐसा यंत्र है जिसके माध्यम से हम दूर की वस्तु, व्यक्ति, दृश्य आदि को देख सकते हैं और ध्वनि को सुन सकते हैं। यह रेडियो का विकसित रूप है। इसका आविष्कार इंग्लैंड के जे. एल. बेयर्ड ने 1925 ई. मे किया था। रेडियो से तो आकाशवाणी केंद्र से प्रसारित ध्वनि ही सुनी जा सकती है, पर दूरदर्शन के माध्यम से ध्वनि के साथ – साथ चित्र भी देखे जा सकते हैं।
आधुनिक जीवन पर प्रभाव
दूरदर्शन का हमारे जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है। हमारा भारत देश अभी विकासशील देशों की गिनती में आता है। विकासशील देशों में जहाँ पर अधिकतर जनसंख्या अशिक्षित है वहाँ दूरदर्शन बहुत ही उपयोगी और सशक्त माध्यम है। इसके द्वारा जन-साधारण को शिक्षित किया जा सकता है। हामारा भारत देश कृषि प्रधान देश है। कृषकों (किसानों) को दूरदर्शन के माध्यम से खेती करने के आधुनिक साधनों के उपयोग की शिक्षा दी जा सकती है। पानी का उचित उपयोग कैसे किया जाए ताकि पानी व्यर्थ न हो। कीटनाशक दवाइयों का और खाद का प्रयोग कब और कैसे किया जाए , फलदार पेड़ – पौधे कैसे और कब लगाए और उनकी किस प्रकार उचित देख – रेख किस प्रकार की जाए इसकी जानकारी दूरदर्शन के माध्यम से देश के कोने – कोने में पहुँचा सकते हैं। ठीक इसी प्रकार से हमारे यातायात, चिकित्सा, दूरसंचार माध्यम, सामान्य शिक्षा आदि पर दूरदर्शन पर प्रभाव किसी से छिपा नहीं है।
ज्ञानवर्धन का साधन
दूरदर्शन नें हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को बहुत प्रभावित किया है। इसके माध्यम से हम अपना ज्ञानवर्धन कर सकते हैं। इसके माध्यम से हम सागर की गराइयों में पल रहे जीवन के स्वरूप को देख सकते हैं, पर्वतों की ऊँची–ऊँची शृंखलाओं को और पशु – पक्षियों व जीव–जन्तुओं की क्रियाओं को देख सकते हैं। हमारे जीवन में काम आने वाली वस्तुओं की उचित जानकारी देकर हमें ज्ञानवर्धक बनाता है। इस प्रकार दूरदर्शन ने विविध प्रकार के ज्ञान के द्वार खोल दिए हैं।
सामाजिक कुरीतियों का निवारण
हमारे समाज में बाल–विवाह, सती प्रथा, जाती प्रथा, दहेज प्रथा, जनसंख्या में वृद्धि, अशिक्षा आदि अनेक कुरीतियों ने अपनी जड़ें जमा रखी हैं। दूरदर्शन का उपयोग इन कुरीतियों के दुष्परिणामों को दर्शाने तथा जनसामान्य के विचारों में परिवर्तन लाने के लिए किया जा सकता है। अनौपचारिक शिक्षा का दूरदर्शन बहुत अच्छा माध्यम है। इसके द्वारा साक्षरता आंदोलन को बड़ाया जा सकता है और समाज के जीवन स्तर को उन्नत करने में सहायता ली जा सकती है। दूरदर्शन नें हमारे जीवन में क्रांति पैदा कर दी है।
मनोरंजन का साधन
दूरदर्शन नें मनोरंजन के क्षेत्र में भी अपनी उपयोगीता को निर्विवादित बना दिया है। मनोरंजन के द्वारा हम घर बैठे-बैठे विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आनंद ले सकते हैं। कोई मैच हो या कोई कवि सम्मेलन, चलचित्र आदि इन सभी कार्यक्रमों को दूरदर्शन पर देख सकते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं त्योहारों, पर्वों, प्रतियोगीताओं,सामाजिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का दूरदर्शन पर आयोजन देख सकते हैं।
नुकसान और फायदे
दूरदर्शन नें हमें बहुत लाभ पहुँचाए है, वहाँ इससे हमें हानि भी कम नहीं हुई है | इससे हामार जीवन सुविधा–सम्पन्न हो गया है और इसके साथ–साथ हमारे अंदर निष्क्रियता और आलस्य पैदा हो गया है। इसके कारण समाज में समाजीकता समाप्त होती दिख रही है। दूरदर्शन के अत्यधिक प्रयोग से आँखों पर बुरा असर पड़ रहा है। दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले समाचार सुन कर सारी दुनिया की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अपने अधिकारों के प्रति गगरूक रहते हैं। दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले चलचित्र नवयुवकों को बहुत प्रभावित करते हैं।
निष्कर्ष
दूरदर्शन शिक्षा में बाधक भी है और साधक भी है। दूरदर्शन आज हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। इससे अपने आप को बचाए रखना संभव तो नहीं है पर इसका संयत उपयोग करके हम अपने जीवन को सरस, ज्ञानवर्धक, तथा अधिक उपयोगी बना सकते हैं।
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