विचार लेखन
आजकल अभिभावक और संतान के संबंध
अभिभावकों और अपनी संतान के साथ संबंध प्रयोग के नए दौर से गुजर रहा है। जहां एक और संतान से कैरियर के प्रति अभिभावक अधिक जागरूक हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ संतान और अभिभावक के बीच संबंधों में आत्मीयता की कमी आ गई है। इस मशीनी युग में माता-पिता दोनो काम पर जा रहे हैं। लोगों की जीवन शैली अधिक व्यस्त हो गई है। अभिभावकों को अपनी संतान के साथ चंद पल बैठकर बात करने की फुरसत नही है।
आज के अभिभावक अपनी संतान की हर जरुरत को पूरा करने में तो सक्षम है और वह अपनी संतान की हर जरूरत को पूरा भी कर रहे हैं। उसे उच्च से उच्च शिक्षा दिला रहे हैं, और अच्छे से अच्छा विद्यालय और सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं, लेकिन वह अपनी संतान को वह आत्मीयता और प्रेम नहीं दे पा रहे जोकि एक माता-पिता को अपने संतान को देना चाहिए। उनके पास अपनी संतान के साथ बात करने के लिए समय नहीं है।
जीवन की सभी आवश्यक सुविधाओं को जुटाने के लिए उन्हें अधिक काम करना पड़ रहा है और अधिक समय देना पड़ा है। इससे अभिभावक और संतान के बीच संबंध औपचारिकता भर रह गई है। अभिभावक अपनी संतान की हर जरूरत तो पूरी कर दे रहे हैं, अपनापन और माता-पिता का प्रेम नही दे पा रहे।
संतान को जो समय अपने माता-पिता के साथ व्यतीत करना चाहिए वो समय वह अपने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे मोबाइल, कंप्यूटर पर बिताती है। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की अपनी अच्छाइयों के साथ, अपनी बुराइयां भी हैं। आजकल की संतानें एकाकी जीवन व्यतीत करने लगी हैं। आजकल की संतान अंतर्मुखी होती जा रही है जो अपने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और सोशल मीडिया की वर्जुअल दुनिया में ही जी रही है।
संक्षेप में कहें तो आजकल की संतान और अभिभावक के बीच के संबंधों में मिला-जुला विकास हुआ है। एक तरफ माता-पिता अपनी संतान के करियर और शिक्षा के प्रति अधिक जागरूक हुए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ संबंधों और मूल्यों में कमी आई है। इन संबंधों में वो आत्मीयता नहीं रही जैसी पहले हुआ करती थी।
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