संवाद लेखन
नौकर और मालिक के मध्य वेतन वृद्धि को लेकर संवाद
मालिक ⦂ (आँखें मलते हुए) रामू , अरे ओ रामू कहाँ चला गया?
नौकर ⦂ (दौड़ते हुए) जी मालिक अभी आया।
मालिक ⦂ (घड़ी की तरफ देखते हुए) तुम्हें मालूम भी है क्या समय हो गया है, मेरी चाय कहाँ है ?
नौकर ⦂ (हाथ में चाय का प्याला लिए हुए) लीजिए मालिक आपकी चाय।
मालिक ⦂ (कुर्सी पर बैठते हुए) लाओ-लाओ, जल्दी दो सुबह-सुबह अदरक वाली चाय पीने का मज़ा ही कुछ और है।
नौकर ⦂ (हाथ जोड़ कर) मालिक! मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी है।
मालिक ⦂ (चाय की चुस्की लेते हुए) वाह-वाह! क्या चाय है, मज़ा आ गया। हाँ–हाँ कहो क्या बात है?
नौकर ⦂ (थोड़ा हिचकिचाते हुए) मालिक! मैं चाहता हूँ कि आप मेरे मासिक वेतन में थोड़ी वृद्धि कर दें।
मालिक ⦂ (चाय का प्याला मेज पर रखते हुए) क्यों क्या बात है अभी छः महीने पहले ही तो तुम्हारा वेतन बढ़ाया था , अब दोबारा इतनी जल्दी वेतन बढ़ाने के लिए क्यों कह रहे हो ?
नौकर ⦂ (घुटनों के बाल बैठ गया) मालिक ! दरअसल मैंने अपनी दोनों बेटियों को अंग्रेज़ी स्कूल में दाखिला दिलवाया है और उनकी मासिक फ़ीस बहुत ज्यादा है और फ़ीस देने के बाद महीना काटना बहुत मुश्किल हो रहा है। उनके लिए नई किताबें खरीदने में भी मुश्किल हो रही है।
मालिक ⦂ (बड़ी हैरानी से नौकर की ओर देखते हुए) अंग्रेज़ी स्कूल में लेकिन क्यों, क्या जरूरत है इतना पैसा खर्च करने की, लड़कियों को तो किसी भी स्कूल में करवा दो और वैसे भी तुमने तो उनको दसवीं–बारहवीं तक पढ़ाने के बाद उनकी शादी कर ही देनी है।
नौकर ⦂ (अपना सर ऊँचा उठाते हुए) नहीं मालिक, मैं चाहता हूँ कि मेरी बेटियाँ भी पढ़ – लिखकर अपने पैरो पर खड़ी हो जाएं ताकि उन्हें कभी भी किसी के सामने हाथ ना फैलाना पड़े और आज के समय में बेटियाँ बेटों से कम नहीं है। लड़कों से कंधे से कंधा मिलकर चल रही है। लड़कियाँ डॉक्टर, वैज्ञानिक, वकील, पुलिस अफसर और तो और राजनीति में भी अपना और अपने देश का नाम रोशन कर रही है।
मालिक ⦂ (मुसकुराते हुए) रामू , तुमने तो मेरी आँखें खोल दी। आज से तुम्हारी बेटियों की जिम्मेदारी मैं उठाऊँगा, उनकी स्कूल की फ़ीस, उनकी किताबें इत्यादि और तुम्हारा मासिक वेतन भी बढ़ाता हूँ ताकि तुम उनका पालन–पोषण अच्छे से कर सको।
नौकर ⦂ (आँखों में खुशी के आँसू) मालिक, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद । भगवान ! आपका भला करें ।