बड़े भाई साहब पाठ के आधार पर कहें तो दादाजी द्वारा भेजा जाने वाला खर्चा बीस-बाइस दिन चलता था।
विस्तार से समझें
‘बड़े भाई साहब’ पाठ मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखा गया है, उसमें बड़े भाई साहब छोटे भाई को डांटते हुए कहते हैं कि हम तुम यह नहीं जानते कि महीना वर्ष का खर्चा कैसे चलाया जाए। दादा हमें जो खर्चा भेजते हैं, वह हम बीस-बाइस दिन में खर्च कर डालते हैं और बाद में पैसे-पैसे को मोहताज हो जाते हैं। हमारा नाश्ता बंद हो जाता है, धोबी और नाई से मुंह चुराने लगते हैं। हम बीस-बाइस दिनों में जितना खर्चा कर देते हैं, उसके आधे में दादा अपना पूरा महीना आराम से निकाल लेते थे।
‘बड़े भाई साहब’ पाठ ‘मुंशी प्रेमचंद’ द्वारा लिखी गई एक कहानी है। इसमें उन्होंने दो भाइयों के बीच की आपसी संबंधों की कहानी की रचना की है। इस कहानी के मुख्य पात्र दो भाई हैं, जो अपने घर से दूर रहकर और छात्रावास में पढ़ाई कर रहे हैं। बड़े भाई साहब छोटे भाई से 5 वर्ष बड़े हैं और छोटे भाई के प्रति अपने कर्तव्य के निर्वहन करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। छोटा भाई चंचल और पढ़ाई के प्रति लापरवाह स्वभाव का है इसलिए बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई पर नियंत्रण रखना चाहते हैं ताकि उनका छोटा भाई किसी गलत रास्ते पर चला।
संदर्भ पाठ : (‘बड़े भाई साहब’ पाठ, मुंशी प्रेमचंद, कक्षा – 10, पाठ -10)
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