आन-बान-शान में कौन सा समास है?

‘आन-बान-शान’ में समास में किसी समास का प्रयोग हुआ है आइए जानते हैं…

समस्तपद : आन-बान-शान : आन और बान और शान

समास भेद : द्वंद्व समास


स्पष्टीकरण :

‘आन-बान-शान’ में ‘द्वंद्व समास’ होता है। आन-बान-शान और इस समस्त पद के होने का प्रमुख कारण चांद इस समस्त पद में तीनों पदों का प्रमुख होना है।

द्वंद्व समास में प्रयुक्त सभी पद प्रधान होते है। द्वंद समास में जब दो या दो से अधिक पदों का प्रयोग किया जाता है और सभी पद सम्मान होते हैं तो वहां पर द्वंद्व समास होता है। इस समास में सभी पदों का अपना महत्व होता है और एक पद की निर्भरता दूसरे पद पर नहीं होती

द्वंद्व समास की परिभाषा के अनुसार द्वंद्व समास में दोनों पद प्रधान होते हैं तथा जब इन पदों का समास विग्रह किया जाता है तो इन पदों के बीच ‘और’, ‘अथवा’, ‘या’, ‘एवं’ जैसे योजक लगते हैं।

जैसे

माता-पिता : माता और पिता
सुख-दुख : सुख और दुख
छल-कपट : छल और कपट
आगे-पीछे : आगे और पीछे

समास की परिभाषा

समास से तात्पर्य शब्दों के संक्षिप्तीकरण से होता है। हिंदी व्याकरण की भाषा में समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जब दो या दो से अधिक पदों का संक्षिप्तीकरण करके एक नवीन पद की रचना की जाती है।


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