संवाद लेखन
अकबर और बूढ़ी महिला के बीच संवाद
बूढ़ी महिला ⦂ महाराज की जय हो।
अकबर ⦂ आइए माता जी, अकबर के दरबार में आपका स्वागत है। बताइये क्या बात है?
बूढ़ी महिला ⦂ मैं आज तुमसे कुछ प्रश्नों का उत्तर लेने आई हूँ।
अकबर ⦂ जी पूछिये, क्या पूछना चाहती हैं?
बूढ़ी महिला ⦂ सुना है, आप बड़े विद्वान हैं, लेकिन आप तो केवल मुस्लिमों के बारे में ही सोचते है, दूसरी प्रजा के बारे में तो आप ने कभी नहीं सोचा।
अकबर ⦂ नहीं-नहीं, आप ने गलत सुना है। मैं सब का राजा हूँ, इसलिए मुझे सबका सोचना पड़ता हैय़ अगर ऐसा न होता तो मैं क्यों महाभारत, रामायण, अथर्व वेद, भगवत गीता और पंचतंत्र का अनुवाद संस्कृत से फारसी भाषा में करवाता। मैंने यह इसलिए किया है ताकि और धर्मों के लोग भी इन ग्रन्थों के बारे में जान सकें और उनसे अच्छी बातें सीख सकें।
बूढ़ी महिला ⦂ तो इसका मतलब, आप हिन्दू और मुस्लिम में कोई भेदभाव नहीं रखते।
अकबर ⦂ नहीं मोहतरमा, मैं कभी धर्मों के आधार पर भेदभाव नहीं करता और शायद इसलिए मुझे मेरे पूरे शासन काल में हिन्दू-मुस्लिम दोनों वर्गों का प्यार और सम्मान मिला है। इसलिए मैंने हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियाँ कम करने के लिए दीन-ए-इलाही धर्म की स्थापना की है।
बूढ़ी महिला ⦂ तो फिर आप अपने सैनिकों में ज्यादा मुस्लिमों को नौकरी क्यों देते हो, क्या तुम्हें दूसरों पर विश्वास नहीं है।
अकबर ⦂ नहीं माता जी, आपकी जानकारी लगता है, कुछ कम है, मेरे दरबार में तो मुस्लिम सरदारों की अपेक्षा हिन्दू सरदार ज्यादा हैं।
बूढ़ी महिला ⦂ फिर तो, राजा जी, आप कई पुरानी सामाजिक कुरीतियों को भी खत्म करने के पक्ष में होंगे।
अकबर ⦂ जी माता जी, मैं सती प्रथा पर रोक लगाने के निरंतर प्रयास कर रहा हूँ और विधवा विवाह को प्रोत्साहित कर रहा हूँ और अगर सब का साथ रहा तो मैं इन सामाजिक कुरीतियों को जल्दी जड़ से खत्म कर दूंगा।
बूढ़ी महिला ⦂ फिर तो आज मेरा आपके पास आना सफल हो गया, क्योंकि आपके बारे में समाज में कुछ अलग ही सुन रखा था और मेरे मन में सच जानने की भरपूर जिज्ञासा थी।
अकबर ⦂ अल्लाह का शुक्र है मोहतरमा कि मुझसे बात करके आपकी कई भ्रांतियाँ समाप्त हुई और मुझे भी यह जानकारी हुई कि मेरी रियायत की जनता मेरी कितनी चिंता करती है।
बूढ़ी महिला ⦂ ठीक है, महाराज, आप ऐसे ही समाज के भले के लिए कार्य करते रहें, मेरा यही आशीर्वाद है।
अकबर ⦂ धन्यवाद! मैं आप सब का विश्वास कभी टूटने नहीं दूंगा।
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