ठाकुरबारी के नाम पर कितने बीघा खेत थे?

‘ठाकुरबारी’ एक मंदिर था। ‘ठाकुरबारीके नाम कुल 20 बीघे खेत थे।

हरिहर काका पाठ में ठाकुरबारी एक मंदिर था, जिसे गाँव के लोगों ने चंदे के पैसे से बनवाया था। ठाकुरबारी के मंदिर बनवाने के पीछे यह कहानी है कि जब गाँव पूरी तरह बसा नहीं था। तब कहीं से एक संत आकर वहाँ पर झोपड़ी बनाकर रहने लगे। वह रोज ठाकुरजी की पूजा किया करते थे और गाँव के लोगों से भिक्षा आदि मांग कर अपना गुजारा करते थे।

धीरे-धीरे लोगों ने ठाकुर जी के प्रति श्रद्धा भाव के कारण चंदे के पैसों से एक छोटे से मंदिर का निर्माण कर दिया। ज्यों-ज्यों गाँव बसता गया, गाँव की आबादी बढ़ती गई। मंदिर का भी विकास होता गया। श्रद्धालु और अधिक दान-दक्षिणा देने लगे।  लोग ठाकुर जी से मन्नत मांगते और मन्नत पूरी होने पर अपने खेत का छोटा सा हिस्सा ठाकुरबारी के नाम कर देते थे।

इस तरह ठाकुरबारी के बीच कुल 20 बीघा खेत की संपत्ति को गई थी।

‘हरिहर काका’ पाठ में लेखक मिथिलेश्वर ने हरिहर काका नाम के एक वयोवृद्ध व्यक्ति का वर्णन किया है, जिनकी कोई संतान नही थी।  उनके पास काफी संपत्ति थी जिस कारण उनके भाई और उनका परिवार तथा गाँव के ठाकुरबारी मंदिर के महंत उनकी संपत्ति को हड़पना चाहते थे।

ठाकुरबारी गाँव का ही एक मंदिर था जो आरंभ में एक छोटा सा मंदिर था लेकिन लोगों के विश्वास और आस्था तथा श्रद्धालुओं के द्वारा दिए गए दान के कारण मंदिर की सम्पत्ति दिनों बढ़ती गई।


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ठाकुरबारी के गाँव के लोगों ने मंदिर कैसे बनवाया था? (क) पैसो से (ख) ठाकुर के पैसों से (ग) चंदा इकट्ठा करके (घ) कोई नहीं

ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में क्या है A. अपार श्रद्धा B. घृणा C. नफरत D. कुछ भी नही?

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