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‘समाज सेवा ही ईश्वर सेवा है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।

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विचार लेखन

समाज सेवा ही ईश्वर सेवा है

 

समाज क्या है? समाज का अस्तित्व मानव (मनुष्य ) से है। हम ईश्वर को को मंदिरों में, मस्जिद में, गिरिजा घरों में, जंगलों ,पर्वत ,पहाड़ों पर खोजते रहते है। ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए बड़े–बड़े यज्ञ अनुष्ठान करते रहते हैं। दूध से भगवान की मूर्तियों को नहलाया जाता है। यज्ञ में देसी घी इस्तेमाल होता है और तो और भोजन पकाकर उसे नदियों में बहा दिया जाता है क्योंकि ऐसा करने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं और जब किसी गरीब को कुछ देने की बात आए तो हम उसे दुत्कार देते हैं।

ईश्वर सृष्टि के कण–कण में विद्यमान है। भगवद् गीता में भी श्री कृष्ण भगवान नें कहा है कि मैं हर मानव (मनुष्य) के हृदय में वास करता हूँ । प्रत्येक मानव ईश्वर की ही रचना है और जब हम किसी मानव की सेवा करते हैं तो वास्तव में हम ईश्वर की ही सेवा करते हैं ।

कहते हैं कि जिसने मानव सेवा को ही अपना धर्म बना लिया उसे ईश्वर को खोजने की आवश्यकता नहीं है । अगर आप किसी भूखे को भोजन करवाते हो प्यासे को पानी पिलाते हो । किसी बीमार व्यक्ति की सेवा करते हो तो , ज़रूरत मंद को पैसे देते हो बुजुर्गों की सेवा करते हो तो आपको एक आंतरिक खुशी प्राप्त होती है । भगवान वही बसते हैस जहाँ सब के प्रति के लिए सेवा भाव होता है। दरअसल आपने यह सेवा मनुष्यों अथवा समाज के लिए की है लेकिन कहते हैं कि समाज सेवा ही ईश्वर की सच्ची सेवा है ।


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औपचारिक पत्र

विद्युत व्यवस्था ठीक करने के लिए सहायक विद्युत अभियंता को एक अनुरोध पत्र

 

दिनांक : 10 मई 2023

सेवा में,
सहायक विद्युत अभियंता,
हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड,
बिलासपुर (हि. प्र.)

विषय – विद्युत व्यवस्था ठीक करने हेतु पत्र

मान्यवर,
मैं पूरे सम्मान के साथ आपका ध्यान अपने मोहल्ले की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। गर्मियों के आते ही बिजली संकट ने अपना उग्र रूप धारण कर लिया है। एक ओर किसान तो दूसरी ओर कारखाने के मालिक अत्यंत परेशान हैं। सड़कों पर रात को भी अंधेरे का साम्राज्य छाया रहता है। घरों में बिजली ना होने के कारण घर में औरतें भी अपना काम ठीक से नहीं कर पाती हैं। ऐसी स्थिति में चोर–डाकू व असामाजिक तत्व किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं।

हमारी वार्षिक परीक्षाएं भी निकट है। प्रकाश के अभाव में हम वार्षिक परीक्षा की तैयारी भी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में हम अच्छे अंक नहीं ले पाएंगे। हमारा भविष्य संकट में है।

अतः आपसे प्रार्थना है कि आप कृपया करके सड़क के किनारे लगे खंभों पर बल्ब लगवाएं तथा दूसरी ओर घरों में उचित रोशनी की व्यवस्था करवाएं ताकि छात्र अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकें।

धन्यवाद

भवदीय,

राम कुमार
निवासी – मोहल्ला अयोध्या, बिलासपुर (हि. प्र.)


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चौराहे पर सामान बेचते हुए बच्चे को देखकर इस पर दृश्य लेखन कीजिए।

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हिंदी रचनात्मक लेखन

दृश्य लेखन

 

मैं सुबह ऑफिस जा रहा था। मेरा ऑफिस घर से थोड़ी दूरी पर है, इसलिए मैं पैदल ही जाता हूँ। जब मैं ऑफिस को ओर जा रहा था, तब मैं रास्ते में जब मैं एक चौराहे से गुजर रहा था, तब मैंने एक छोटे बच्चे को सामान बेचते हुए देखा । छोटा सा बच्चे जिसकी स्कूल जाने की उम्र थी, वह सामान बेच रहा था । वहाँ से आने जाने वाले लोगों को बोल रहा था, सामान ले लो, खरीद लो, सुबह से बोहनी नहीं हुई ।

मुझे यह दृश्य देखकर बहुत दुःख हुआ । मेरा दिल एकदम थम सा गया | इतनी कम उम्र में बच्चे को क्या काम करना पड़ रहा है । यह दृश्य बहुत ही दुःख भरा था । उसे देख कर पता चल रहा था कि दुनिया में सब के पास सब कुछ नहीं होता है। जिनके पास सब कुछ होता है, उसकी कद्र नहीं करते ।

मैं बच्चे को देखकर उसके पास गया और उससे बात की। उसने बताया कि उसके घर में उसके पिता नही हैं। उनकी मृत्यु कुछ महीनों पहले हो गई। उसकी माँ ही घर का खर्चा चलाती हैं और उन दो भाई-बहन को पालती हैं। कुछ दिनों से उसकी माँ भी बेहद बीमार हैं इसलिए उसे ही काम करने के लिए विवश होना पड़ रहा है। स्कूल की फीस न भर पाने के कारण उसे स्कूल से निकाल दिया गया है।

मैंने उसे कुछ पैसे दिए और कहा अगर तुम पढ़ना चाहते हो तो मुझे बताना मैं तुम्हारी  पढ़ाई का खर्च दूंगा। बच्चे की आँखों में खुशी की झलक थी। वह झटपट राजी हो गया। उसकी मदद करके मुझे भी एक अनोखी सुखद अनुभूति हो रही थी।


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दादी-नानी बच्चों में किस प्रकार बच्चों में उत्साह जगाए रखती थी?

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दादी-नानी बच्चों में उत्साह जगाए रखती थी, क्योंकि दादी-नानी बच्चों के साथ बच्ची बन जाती थी। वह बच्चों को हमेशा खुश रखती थीं। दादी-नानी कभी उनके साथ बच्चे बन जाती थी तो कभी वह बड़ा बन कर उन्हें अच्छी बाते सिखाती थी।

दादी और नानी बच्चों की हमेशा सबसे करीबी होती है। वह बच्चों को अच्छी कहानियाँ सुनती है । बच्चों को अच्छी बाते सुनकर उनका मार्गदर्शन करती है। दादी और नानी बच्चों को हमेशा उनके साथ व्यक्त बिताना चाहती है। दादी और नानी बच्चों में अपना बचपन उनके साथ जीती है। वह हर पल उनके साथ समय बिताना चाहती है। बच्चे उनके साथ हमेशा खुश रहते है।


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छात्र की अनुशासनहीनता के कारण विद्यालय में आए उसके पिता तथा प्राचार्य के मध्य संवाद लिखिए ।

संवाद लेखन

एक पिता का प्रधानाचार्य के साथ संवाद

 

पिता : (बड़ी ही विनम्रता के साथ) नमस्कार ! प्राचार्य जी, आपने कल विद्यालय आने के लिए संदेश भेजा था, बताइये क्या बात है ?

प्राचार्य : श्रीमान, क्या आप जानते हैं कि आपके बेटे ने कल क्या किया है ?

पिता : (चौंक कर) नहीं श्रीमान, मुझे कुछ नहीं पता, क्या किया इस नालायक ने?

प्राचार्य : आपके बेटे ने कल नौवीं कक्षा के छात्र के साथ मार-पीट की है और उसे इतना मारा कि उसे अस्पताल ले जाना पड़ा।

पिता : क्या कह रहे हैं श्रीमान, मेरा बेटा तो बड़ा ही सभ्य स्वभाव का लड़का है और वह किसी के साथ मार-पीट नहीं कर सकता।

प्राचार्य : तो श्रीमान, मैं क्या झूठ बोल रहा हूँ, विद्यालय के कई छात्र और अध्यापक इस घटना के साक्ष्य हैं और आप कहते हैं तो मैं आप के सामने उन्हें बुलाता हूँ और आप उन से पूछ लें कि यह सत्य है कि नहीं।

पिता: (शर्मिंदा होते हुए) नहीं-नहीं महोदय, मैं आप के कथन पर शक नहीं कर रहा हूँ, बस मैं इस बात से अचंभित हूँ कि जो लड़का घर में एक शब्द नहीं बोलता, वह ऐसा भी कर सकता है।

प्राचार्य : श्रीमान जी, मुझे तो यह भी ज्ञात हुआ है कि आपका बेटा गलत संगत में पड़ चुका है और छुट्टी के बाद वह अपने मित्रों के साथ नशे करते भी देखा गया है।

पिता : महोदय, मुझे यह सब अभी पता लग रहा है और अगर मुझे पता होता तो मैं इस बारे में ज़रूर कुछ करता, लेकिन आज तक किसी ने मुझे इस बारे में कुछ नहीं बताया।

प्राचार्य: मुझे आप से हमदर्दी है, लेकिन एक प्राचार्य होने के नाते मुझे विद्यालय में अनुशासन बना कर रखना है और इस कारण मुझे आपके बेटे को विद्यालय से निष्कासित करना पड़ेगा।

पिता : महोदय, कृपया ऐसा मत कीजिए, मेरे बेटे का भविष्य बर्बाद हो जाएगा और मैं इस गलती की ज़िम्मेदारी लेता हूँ क्योंकि शायद बिन माँ के बच्चे को मैं समय और अच्छे संस्कार न दे पाया।

प्राचार्य : लेकिन आप कैसे कह सकते हैं कि वह आगे ऐसा नहीं करेगा।

पिता : मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि आगे भविष्य में मेरा बेटा ऐसी कोई गलती नहीं करेगा और उसे सुधारने के लिए मैं हर संभव प्रयास करूंगा।

प्राचार्य : ठीक है लेकिन उसे सब के सामने कल उस लड़के से माफी मांगनी होगी।

पिता: सही है श्रीमान, आप जैसा कहेंगे, वह वैसा ही करेगा।

प्राचार्य : कृपया आप अपने लड़के का ध्यान रखें और उसके साथ वक्त गुजारें ताकि वह ऐसी गलत गतिविधियों में न लिप्त हो।

पिता : जी, मैं अब ऐसा ही करूंगा, धन्यवाद।


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चूहा आपके घर में क्या-क्या नुकसान करता है, यह आपके शब्दों में लिखिए।

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यदि चूहा घर में आ जाए तो बहुत तरह के नुकसान करता है। शायद ही कोई जगह या घर ऐसा हो जहाँ चूहे न पाये जाते हों । घरों में इधर-उधर दौड़ते चूहे कभी खतरनाक नहीं लगते । मगर क्या आपको पता है कि ये मासूम से चूहे खतरनाक बीमारी भी फैलाते हैं । घर पर चूहों का होना किसी आफत से कम नहीं है।

यह घर पर मौजूद हर एक चीज कुतर डालते हैं फिर चाहे वह अनाज, कपड़े हो या फिर कोई अन्य महंगा समान ही क्यों ना हो । यहीं नहीं चूहे कई बीमारियों को भी दावत देते हैं। अगर आपके घर में भी हैं चूहों की संख्या ज्यादा हो और उन्होंने कई जगह बिल और घर बना लिया है तो सावधान हो जाइए।

चूहे सिर्फ प्लेग ही नहीं, एक और खतरनाक बीमारी भी फैलाते हैं और ये बीमारी है लेप्टोस्पायरोसिस। दरअसल यह बीमारी, जानवरों से मनुष्यों में फैल सकती है और इसे फैलाने वाले जानवरों में चूहे भी शामिल हैं।

इसलिए अगर घर में चूहा आ जाए तो ये कई तरह की संक्रामक बीमारियों का वाहक बन सकता है। इसलिए यथासंभव चूहे को अपने घर में पनपने से रोके।


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औपचारिक पत्र

पाठ्यक्रम पूरा करवाने हेतु प्रधानाचार्य को पत्र

 

दिनाँक : 28 अगस्त 2023

सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य,
डी. ए. वी. पब्लिक स्कूल,
न्यू शिमला

विषय : अपने विषय पाठ्यक्रम को पूरा करने बाबत।

 

आदरणीय प्रधानाचार्य सर,

निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ और मैं हमारी कक्षा का प्रतिनिधि भी हूँ। हमारी अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं सितंबर महीने में शुरू होने वाली है और हमारा गणित का पाठ्यक्रम ठीक से शुरू भी नहीं हुआ है। इसका कारण है हमारे गणित के अध्यापक जी का बीमार होने के कारण अवकाश पर रहना ।
अगस्त का पहला महीना शुरू हो चुका है और अभी तक हमारा पाठ्यक्रम अभी तक पूरा नही हुआ है।

मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप कृपया हमारी इस समस्या का समाधान कीजिए । श्रीमान जी मुझे लगता है कि यदि गणित की अतिरिक्त कक्षाएं आयोजित करवाएं तो ही हमारा पाठ्यक्रम पूरा हो पाएगा ।

अतः आपसे निवेदन है कि आप छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उचित कदम उठाएं और हमारा पाठ्यक्रम पूरा करवाएं ।

धन्यवाद,

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
नंदलाल,
कक्षा दसवीं (ब) ।


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‘रीढ़ की हड्डी’ में उमा की माँ अपने बेटी को देखने वाले के सामने एक बार भी नही आती। क्या उसका व्यवहार उचित था? इसमें उसकी क्या विशेषता हो सकती हैं। क्या समाज में हर माँ को ऐसा करना चाहिए?

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‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी में उमा की माँ अपनी बेटी को देखने वालों के सामने एक बार भी इसलिए नहीं आती क्योंकि वह पुरानी विचारों से ग्रस्त है। लड़की ‘उमा’ की माँ का नाम ‘प्रेमा’ है, जो बहुत अधिक पढ़ी-लिखी स्त्री नहीं है।

प्रेमा के लिये स्त्री की पढ़ाई के नजरिये से ‘अ-आ’ पढ़ लेना ही काफी था। अपनी लड़की उमा की बीए तक की पढ़ाई उसके अनुसार समझ में नहीं आती थी।

एकांकी में प्रेमा अपने पति से कहती है कि हमारा जमाना ही अच्छा था, जहाँ लड़की ने ‘अ’ और ‘इ’ पढ़ लिया, गिनती सीख ली, बस बहुत हो गया। इसी कारण वह अपनी लड़की को देखने वालों के सामने संकोच भाव के कारण नहीं आती। हालांकि उसका ऐसा व्यवहार करना उचित नहीं था क्योंकि आज के समय में यह व्यवहार बिल्कुल भी ठीक नहीं है।

आज के समय में हर माँ को अपनी लड़की का रिश्ता करते समय उसे देखने आने वालों के सामने आना चाहिए और उनसे खुल कर बात करनी चाहिए ताकि वह उनको समझ सके, जान सके और उसकी लड़की का रिश्ता सही जगह पर हो।


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सूरदास के अनुसार ऐसा व्यक्ति मूर्ख कहलायेगा जो पवित्र गंगा नदी के पास खड़ा है, उसको प्यास लगी है, और अपनी प्यास बुझाने के लिए वहाँ पर कुआँ खुदवाये।

सूरदास जी कहते हैं…

मेरो मन अनत कहां सुख पावै।
जैसे उड़ि जहाज कौ पंछी पुनि जहाज पै आवै॥
कमलनैन कौ छांड़ि महातम और देव को ध्यावै।
परमगंग कों छांड़ि पियासो दुर्मति कूप खनावै॥
जिन मधुकर अंबुज-रस चाख्यौ, क्यों करील-फल खावै।
सूरदास, प्रभु कामधेनु तजि छेरी कौन दुहावै॥

भावार्थ : सूरदास जी का कहना है कि श्रीकृष्ण भगवान के अलावा मुझे और कहीं सुख नहीं मिलता। जिस तरह समुद्र में जहाज पर बैठा पक्षी जहाज छोड़कर घूमफिर वापस जहाज पर ही आएगा। उसी तरह कमलनयन श्रीकृष्ण को छोड़कर मैं और भला किस की ध्यान-उपासना करूं। यह तो बिल्कुल उसी प्रकार होगा कि गंगा किनारे के पास खड़ा व्यक्ति परम पावन गंगा नदी के पवित्र पानी को छोड़कर अपनी प्यास बुझाने के लिए वह कुएँ को खुदवाये। ऐसे व्यक्ति को मूर्ख व्यक्ति ही कहेंगे। फूलों के मधुर रस को चूसने वाला भंवरा भला करील के कड़वे फल को क्यों चखेगा। कामधेनु गाय को छोड़कर भला बकरी को कोई कौन दुहेगा।


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प्रधानाचार्य को पत्र

दिनांक : 5 जनवरी 2024

सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल,
सोलन (हि. प्र.

विषय : बढ़ती ठंड के कारण समय बदलने बाबत।

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय,

मैं गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ । आप तो जानते ही हैं कि आजकल ठंड बहुत अधिक बढ़ गई है और वैसे भी जनवरी के महीने में तो ठंड अपनी चरम सीमा पर होती है।

हमारा स्कूल का समय प्रातः 8 बजे का है । जोकि बहुत ही इस कड़कड़ाती ठंड में बहुत तकलीफदेह हो जाता है। आजकल सुबह–सुबह बहुत धुंध होती है और कोहरा पड़ने के कारण बहुत अधिक ठंड हो जाती है। धुंध इतनी ज्यादा होती है कि 10 कदम के बाद कुछ भी नहीं दिखाई देता है, इसी कारण बहुत सी सड़क दुर्घटनाएं हो रही है । कई बार तो हमारी स्कूल बस भी दुर्घटना ग्रस्त होने से बची है।

मेरा आपसे निवेदन है कि आप स्कूल का समय प्रातः 8 बजे से बदलकर 10 बजे का कर दीजिए । मुझे पूरा विश्वास है कि आप मेरे इस निवेदन को अपने संज्ञान में लेंगे और शीघ्र ही उचित कदम उठाएंगे ।

धन्यवाद,

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
कृष्ण कुमार,
कक्षा – दसवीं (ब)


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कवि ने स्वत्व को सुधा रस क्यों कहा है ?

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कवि ने स्वत्व को सुधा रस इसलिए कहा है, क्योंकि स्वत्व यानी अपना स्वयं का आत्मबल अमृत के समान होता है। जिस व्यक्ति ने अपने आत्मबल को पहचान लिया, वह अपनी आत्मा से जीवन के हर असंभव काम को कर सकता है।

जीवन की कठिनाइयों से जूझने के लिए तथा जीवन में आगे बढ़ने के लिए आत्मबल का मजबूत होना आवश्यक है। इसीलिए कवि ने स्वयं के आत्मबल को सुधा रस यानि अमृत कहा है। क्योंकि यह आत्मबल रूपी अमृत पीने से ही मनुष्य के अंदर उत्साह का संचार होगा और वह अपने लक्ष्य की ओर निरंतर आगे बढ़ सकेगा।

टिप्पणी
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विशेष :

‘ध्वनि’ कविता सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा लिखी गई है। इस कविता के माध्यम से कवि निराला युवा मन में जोश भरने का प्रयत्न कर रहे हैं। वे आशावादी दृष्टिकोण अपनाकर जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहे हैं।

संदर्भ पाठ:

‘ध्वनि’ कविता – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, पाठ 1, कक्षा 8


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सेक्टर-2, नियर शिव मंदिर,
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कैसे हो ?

आशा करता हूँ, तुम ठीक होगे। माफ़ी चाहता हूँ कि बहुत दिनों के बाद पत्र लिख रहा हूँ । मैं ट्रेनिंग के लिए दिल्ली गया था । मुझे बाद में पता चला कि तुम सीढ़ियों से गिर गए हो, और तुम्हारे पैर में फैक्चर आ गया था, इसी कारण तुम वार्षिक परीक्षा में नहीं दे पाए थे।

पारस, मैं मानता हूँ, तुम्हें इस बात का दुःख है पर तुम्हें ज्यादा दुःख नहीं बनाना है। तुमने कोई जान-बूझ के तो नहीं किया न इसलिए तुम्हें ज्यादा चिन्ता नहीं करनी है।

देखना, अगली परीक्षा में प्रथम स्थान पर आओगे। जो होता है, वह अच्छे के लिए होता है । तुम्हें ज्यादा दुखी नहीं होना है अपने मन को खुश रखो और आगे के बारे में सोचो।

आशा करता हूँ, तुम मेरी बातों को समझोगे और इन पर अमल करोगे। मैं जल्दी मिलने आऊंगा।

तुम्हारा मित्र,
आयुष ।


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बहन : भाई कल रक्षाबंधन है, मुझसे तो इंतज़ार नहीं हो रहा है।

भाई : हाँ छोटी, कल का इंतजार तो मैं भी कर रहा हूँ |

बहन : भाई यह, बताओ आप मेरे लिए क्या उपहार लाए हो ?

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भाई : छोटी, उसके लिए तुम्हें कल का इंतजार करना पड़ेगा।

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संवाद

हामिद और दुकानदार के बीच संवाद

 

हामिद : अंकल यह चिमटा कितने पैसे का है?

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दुकानदार : हाँ, बिलकुल बेचने के लिए लाया हूँ।

हामिद : तो फिर मुझे बताओ, यह चिमटा कितना का है?

दुकानदार : यह चिमटा छ: पैसे का है।

(हामिद यह बात सुनकर हामिद उदास हो गया)

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दुकानदार : अच्छा , ठीक-ठीक पांच पैसे लगेंगे, लेना है तो लो, नहीं तो जाओ।

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(हामिद ने धन्यवाद बोलकर, खुशी-खुशी चिमटा खरीद लिया)


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स्पष्टीकरण :

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द्वंद्व समास 

द्वंद्व समास की परिभाषा के अनुसार दोनों समास में दोनों पद प्रधान होते हैं तथा जब इन पदों का समास विग्रह किया जाता है तो इन पदों के बीच ‘और’, ‘अथवा’, ‘या’, ‘एवं’ जैसे योजक लगते हैं। समस्त पद बनाते समय बीच के योजक चिन्हों का लोप हो जाता है।

द्वंद्व समास के कुछ अन्य उदाहरण

पति-पत्नी : पति और पत्नी
रात-दिन : रात और दिन
सुख-दुख : सुख और दुख
अच्छा-बुरा :अच्छा और बुरा
आगे-पीछे : आगे और पीछे

समास क्या है?

समास की परिभाषा समास से तात्पर्य शब्दों के संक्षिप्तीकरण से होता है। हिंदी व्याकरण की भाषा में समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जब दो या दो से अधिक पदों का संक्षिप्तीकरण करके एक नवीन पद की रचना की जाती है। समास के संक्षिप्तीकरण की क्रिया समासीकरण कहलाती है। समासीकरण के पश्चात जो नया शब्द बनता है, उसे समस्त पद कहते हैं। समस्त पद को पुनः मूल शब्दों में लाने की प्रक्रिया ‘समास विग्रह’ कहलाती है।

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  • अव्ययीभाव समास
  • तत्पुरुष समास
  • कर्मधारय समास
  • बहुव्रीहि समास
  • द्विगु समास
  • द्वंद्व समास

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ओलंपिक खेलों में 2 पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनने का सही विकल्प होगा :

पीवी सिंधु


विस्तार से समझें

‘पीवी सिंधु’ वह प्रथम भारतीय महिला हैं, जिन्होंने ओलंपिक खेलों में दो बार पदक जीते हैं। उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए ओलंपिक खेलों में महिला एकल बैडमिंटन प्रतियोगिता में 2 पदक जीते हैं।

पीवी सिंधु ने 2016 के ओलंपिक खेलों में बैडमिंटन की एकल प्रतियोगिता में रजत पदक जीता था। उसके बाद उन्होंने 2020 के ओलंपिक खेल जोकि 2021 में जापान में आयोजित किए गए थे, उनमें बैडमिंटन की एकल प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता।

इस तरह पीवी सिंधु लगातार दो ओलंपिक खेलों में 2 पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गईं ।

पीवी सिंधु का पूरा नाम पूरा ‘पुसर्ला वेंकट सिंधु’ है। वह भारत में विश्व वरीयता प्राप्त बैडमिंटन खिलाड़ी हैं और बैडमिंटन में भारत की अग्रणी खिलाड़ी हैं। वह भारत की राष्ट्रीय चैंपियन रह सकती हैं। उन्होंने अनेक सफलताएँ अर्जित की हैं, जिसमें उन्होंने चीन ओपन का खिताब अपने नाम किया था।

उसके अलावा वह वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप का खिताब भी जीत चुकी है। सिंधु ने 2016 के ब्राजील में आयोजित ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए बैडमिंटन स्पर्धा में रजत पदक जीता जबकि 2020 के 2021 में जापान में टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों में उन्होंने बैडमिंटन स्पर्धा में कांस्य पदक जीता।

पीवी सिंधु का जन्म आंध्र प्रदेश के हैदराबाद शहर में हुआ था। उन्हें भारत सरकार की ओर से अर्जुन पुरस्कार मिल चुका है।


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जन्माष्टमी में कौन सी संधि है?

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जन्माष्टमी में संधि और उसका भेद इस प्रकार होगा :

जन्माष्टमी : जन्म + अष्टमी
संधि भेद : दीर्घ स्वर संधि

दीर्घ स्वर संधि का नियम :

जब ‘अ’ और ‘अ’ मेल होता है, तो ‘आ’ बनता है। जन्म + अष्टमी में यही नियम लागू होता है। दीर्घ स्वर संधि स्वर संधि के पाँच उपभेदों में से एक भेद है।

स्वर संधि के पाँच उपभेद होते हैं।

  • दीर्घ स्वर संधि
  • गुण स्वर संधि
  • यण स्वर संधि
  • वृद्धि स्वर संधि
  • अयादि स्वर संधि

संधि से तात्पर्य दो शब्दों के संयोजन से होता है। जब दो शब्दों में से प्रथम शब्द के अंतिम वर्ण और द्वितीय शब्द के प्रथम वर्ण के संयोजन से जो नया शब्द बनता है, वह ‘संधि’ कहलाता है। इस संधि को पुनः उसके मूल शब्दों में अलग कर देना ‘संधि-विच्छेद’ कहलाता है।

संधि के तीन भेद होते हैं :

  • स्वर संधि
  • व्यंजन संधि
  • विसर्ग संधि

स्वर संधि के पांच उपभेद होते हैं। शेष दोनों संधि का कोई उपभेद नहीं होता है।


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आपके चाचा जी लोकसभा चुनाव जीत गये हैं। मतदाताओं की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की कामना करते हुए उन्हें बधाई पत्र लिखिये।

अनौपचारिक पत्र

चाचा को लोकसभा चुनाव जीतने पर बधाई पत्र

 

दिनाँक : 5 जून 2024

 

प्राप्तकर्ता : श्री स्वरूप चंद्र नागर (सांसद, राजनगर)

प्रेषक : हेमंत नागर, रुपनगर

आदरणीय चाचा जी,
सादर चरण स्पर्श

कल लोकसभा चुनाव का परिणाम आया और आप हमारे क्षेत्र में ‘लोकसत्ता पार्टी’ के उम्मीदवार के तौर पर विजयी घोषित हुए हैं। आपको सांसद बनने पर मेरी तरफ से हार्दिक बधाई।

चाचा जी, हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है और हर क्षेत्र के मतदाता अपने क्षेत्र के विकास और अन्य कई अपेक्षाओं को ध्यान में रखकर ही अपने जनप्रतिनिधि को चुनते हैं। उन्होंने भी आपके को चुनते समय अपनी कुछ अपेक्षाएं रखी होंगी। आशा है आप उनकी अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे और अपने क्षेत्रों के सभी मतदाताओं का ध्यान रखेंगे तथा क्षेत्र के विकास पर ध्यान देंगे।

मैं आपके सांसद कार्यकाल की शुभकामनाएं देता हूं और निरंतर आपकी उन्नति की कामना करता हूँ।

आपका भतीजा,
हेमंत नागर


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आपने अमरकंटक की यात्रा की है। अमरकंटक के सुंदर दृश्य का वर्णन करते हुए पत्र आप अपने मित्र को लिखें।

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जैवविविधता तप्त स्थल

जैवविविधता तप्त स्थल से तात्पर्य उस स्थान से होता है, जहाँ पर बहुत अधिक मात्रा में विभिन्न जीवो की विविधता पाई जाती हों, अर्थात जो स्थान जीवों की विविधता की दृष्टि से अधिक संपन्न हो, वह ‘जैव विविधता तप्त स्थल’ कहलाता है।

जैवविविधता की दृष्टि से इस पृथ्वी पर कुल 34 जैव विविधता तप्त स्थल है। किसी भी जैव विविधता तप्त स्थल के लिए आवश्यक यह जरूरी होता है कि यह आवश्यक होता है कि उस क्षेत्र में 0.5% से अधिक प्रजातियां हो अथवा संख्या की दृष्टि से देखा जाए तो लगभग 1500 स्थान आबद्ध प्रजातियां निवास करती हों।

ऐसे क्षेत्रों को जैव विविधता तप्त स्थल कहा जाता है। इसके अलावा जैव विविधता तप्त स्थल के लिए यह भी आवश्यक हो सकता है कि वह स्थान जहां आवास की लगभग 70% प्रजातियां मानव गतिविधिया अन्य किसी कारण से उजड़ चुकी हो और प्रजातियों पर घोर संकट हो। ऐसी स्थिति में उसके संरक्षण की तुरंत आवश्यकता हो, तो ऐसे क्षेत्र को जैव विविधता तप्त स्थल कहा जाता है।


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कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ और जाने को ‘आँसू बनकर बह जाना’ क्यों कहा है?

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कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ और जाने को ‘आँसू बनकर बह जाना’ इसलिए कहा है, क्योंकि कवि जब भी लोगों के पास आता है, तो वह मस्ती भरी बहार लेकर आता है और लोगों में खुशियां भरता है।

लोग उसका साथ पाकर खुश हो जाते हैं।  कवि और लोगो में अपनापन का भाव आ जाता है। लेकिन कवि  की आगे बढ़ना है, इसलिये उसे एक दिन सबको को छोड़कर जाना पड़ता है, ऐसे में लोग उसे छोड़ना नहीं चाहते और विदाई के गम में लोगों की आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं।

कवि ने आकर लोगों में जो खुशियां बाटीं थीं तो कवि के जाने से लोगों को दुख होता है। विदाई के वे क्षण आँसू बनकर वह निकलते हैं। इसी कारण कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ और जाने को ‘आँसू बनकर बह जाना’ कहा है।

संदर्भ पाठः

‘दीवानों की हस्ती’ – भगवतीचरण वर्मा


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चुप रहने के, बड़े फायदे हैं यारों, जुबाँ वक़्त पर बोलना सीख लीजे।

संदर्भ : कवि ‘रमेश दत्त शर्मा’ द्वारा लिखी गई ‘जरा प्यार से बोलना सीख लीजे’ शीर्षक कविता की इन पंक्तियों का भावार्थ इस प्रकार होगा।

भावार्थ : कवि कहता है कि किसी भी बात पर तुरंत प्रतिक्रिया देना उचित नहीं है। किसी भी बात को कहने से पहले अपनी बात पर भली-भांति विचार कर लेना चाहिए और समय उचित समय आने पर ही अपनी बात कहनी चाहिए। इसलिये चुप रहकर और उचित समय पर अपनी बात कहने से लाभ ही होता है।

व्याख्या : कभी-कभी ऐसा होता है कि हम कोई बात गलत तरीके से समझ लेते हैं और हम तुरंत वैसी ही प्रतिक्रिया देते हैं, जिससे वह बात बिगड़ जाती है और हम गलत सिद्ध होते हैं। सामने वाले का दिल भी दुखता है। इसलिए किसी भी बात का सार समझ कर समय पर उसकी प्रतिक्रिया देनी चाहिए, ताकि सही समय पर सही जवाब दे सकें।

उचित समय पर उचित बात कहने से बात बिगड़ती नहीं। किसी को के मुंह पर तुरंत जवाब दे देने से हो सकता है, सामने वाले को दुख पहुंचे। इसलिए यथासंभव चुप रहना चाहिए और हमेशा सोच समझ कर जवाब देना चाहिए।

संदर्भ पाठ :

हिंदी सुलभभारती, कक्षा 8, पाठ 6, ‘जरा प्यार से बोलना सीख लीजे’, कवि रमेश दत्त शर्मा


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‘एकादश’ में कौन सा समास होगा? समास विग्रह करके समास का नाम बताएं।

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‘एकादश’ का समास विग्रह और समास का नाम इस प्रकार है :

एकादश : एक और दश
समास भेद : द्वंद्व समास

स्पष्टीकरण :

‘एकादश’ में द्वंद्व समास इसलिए होगा क्योंकि इसकी रचना दो समान पदों को मिलाकर हुई है। ‘द्वंद्व समास’ में दो पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच एक योजक चिन्ह होता है।  उनका समस्त पद बनाते समय दोनों पदों के बीच का योजक चिन्ह लुप्त हो जाता है।

द्वंद्व समास की परिभाषा के अनुसार दोनों समास में दोनों पद प्रधान होते हैं तथा जब इन पदों का समास विग्रह किया जाता है तो इन पदों के बीच ‘और’, ‘अथवा’, ‘या’, ‘एवं’ जैसे योजक लगते हैं।

उदाहरण :

माता-पिता : माता और पिता
सुख-दुख : सुख और दुख
छल-कपट : छल और कपट
आगे-पीछे : आगे और पीछे

समास से तात्पर्य शब्दों के संक्षिप्तीकरण से होता है। हिंदी व्याकरण की भाषा में समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जब दो या दो से अधिक पदों का संक्षिप्तीकरण करके एक नवीन पद की रचना की जाती है।


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सुदास ने पुष्प बेचने का विचार क्यों त्याग दिया?

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सुदास ने पुष्प बेचने का विचार इसलिए त्याग दिया, क्योंकि जब उसने देखा कि राजा प्रसनजीत और तथागत का एक भक्त दोनों उस पुष्प का मनचाहा मूल्य देने के लिए तैयार हैं, तो उसने सोचा कि जब यह दोनों जिन तथागत के चरणों पर पुष्प अर्पण करने के लिए इसका कितना भी मूल्य देने के लिए तैयार हैं, तो यह पुष्प मैं स्वयं ही क्यों ना तथागत को अर्पित करूं। इस तरह मुझे उनकी अधिक कृपा प्राप्त होगी, इसीलिए उसने पुष्प बेचने का विचार त्याग दिया।

विस्तृत वर्णन

सुदास एक बगीचे का माली था। एक बार उसके बगीचे के सरोवर में एक कमल का पुष्प खिला। कमल का फूल बेहद सुंदर था। इससे पहले यह सुंदर फूल कभी सरोवर में नही खिला था। फूल को देखकर उसने सोचा कि वह यह फूल राजा साहब के पास लेकर जाएगा तो राजा प्रश्न को उठेंगे और उसे मनचाहा पुरस्कार मिलेगा। इसीलिए उसने कमल का फूल तोड़ कर राजा के पास जाने का निश्चय किया।

सुदास वो फूल लेकर राजमहल की ओर चल पड़ा और द्वार पर पहुंचकर उसने राजा को संदेश भिजवाया। सुदास द्वार पर खड़ा विचारों में मगन था कि वहाँ से एक सज्जन पुरुष वहां से जाता दिखाई दिया जो तथागत भगवान बुद्ध के दर्शन के लिए जा रहा था। उसने सुदास के हाथों में फूल देखकर फूल की सुंदरता होकर उससे पुष्प का मूल्य पूछा।

सुदास बोला कि वो ये फल राजा को देने वाला है। सज्जन भक्त ने कहा कि राजा भी यह फूल तथागत के चरणों में अर्पण करेंगे और मैं भी उनके ही चरणों में अर्पण करूंगा। तुम इसका उचित मूल्य बताओ। तुम्हें कितना चाहिए। सुदास बोला मुझे एक माशा स्वर्ण मिल जाए। सज्जन पुरुष ने तत्काल एक माशा स्वर्ण देनी की बात स्वीकार कर ली।

तभी अचानक वहाँ राजा आ गये। उन्होंने तक सुदास के हाथों में सुंदर पुष्प देखकर उससे उसका मूल्य पूछा और कहा कितने में दोगे। तब सुदास ने कहा, मैंने यह पुष्प इन सज्जन पुरुष को एक माशा स्वर्ण में बेच दियाहै। तब राजा ने कहा कि वो 10 माशा स्वर्ण देंगे। यह देखकर सज्जन भक्त ने 20 माशा स्वर्ण देने को कहा तो फिर राजा ने 40 माशा स्वर्ण देने को कहा।

दोनों के बीच फूल के लिए इतनी उत्कंठा देखकर उसने सोचा जब यह दोनों भक्तगण जिन तथागत के चरणों में पुष्प अर्पण करने के लिए उसका कुछ भी मूल्य देने के लिए तैयार हैं तो क्यों ना मैं स्वयं ही यह फूल तथागत के चरणो में अर्पण करूं। इस तरह सुदास ने पुष्प बेचने का विचार त्याग दिया।

संदर्भ पाठ

यह प्रसंग रवीन्द्र नाथ टैगोर द्वारा लिखी गई प्रेरणादायक कहानी ‘फूल का मूल्य’ से संबंधित है।


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तुम अपने देश की सेवा कैसे करोगे ?​अपने विचार लिखो।

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आपने अमरकंटक की यात्रा की है। अमरकंटक के सुंदर दृश्य का वर्णन करते हुए पत्र आप अपने मित्र को लिखें।

अनौपचारिक पत्र

अमरकंटक की यात्रा के संबंध में मित्र को पत्र

दिनांक : 4 मार्च 2024

 

कोठी नं. 10, गणेश भवन,
बिहार शरीफ,
पटना-800001

प्रिय मित्र आयुष,

आशा करता हूँ तुम अपने परिवार के साथ स्वस्थ होंगे। मैं पिछले महीने अपने बड़े भाई के साथ अमरकंटक की यात्रा पर गया था। मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि अमरकंटक मध्य प्रदेश के अनुपपुर जिले का एक सुंदर और भव्य तीर्थस्थल है और यह समुद्र तल से तकरीबन 1065 मीटर ऊंचाई पर स्थित है।

अमरकंटक चारों तरफ टीक और महुआ पेड़ों से घिरा हुआ है और यहीं से नर्मदा और सोन नदी की उत्पत्ति होती है। अमरकंटक के झरने, ऊंची पहाड़ियाँ, पवित्र तालाब और शीतल और शांत वातावरण सबको मंत्रमुग्ध कर देते हैं।

अमरकंटक के बारे में मैंने यह भी जाना कि प्रभु शिव भगवान की पुत्री नर्मदा जीवनदायिनी के रूप में यहाँ से बहती है। अमरकंटक अनेकों आयुर्वेदिक पौधों के लिए भी मशहूर है , जोकि मनुष्य जीवन के लिए संजीवनी का काम करती हैं। इसके अलावा मैंने अमरकंटक में बहुत से रमणीय स्थलों का भी भ्रमण किया जिनमें नर्मदाकुंड, धुनि पानी, दूधधारा, कल्चुरी काल मंदिर, सोनमुड़ा, माँ की बगिया, कपिलधारा, कबीर चबूतरा, सर्वोदय जैन मंदिर, श्री ज्वालेश्वर महादेव मंदिर मुख्य हैं।

मेरी अमरकंटक की यात्रा एक अद्भुत अनुभव था और मैंने इस यात्रा के दौरान प्राचीनकाल में मनुष्य की अनेकों जीवनशैलियों के बारे में ज्ञान हासिल किया।

मित्र, कभी भी मौका मिले तो तुम भी अमरकंटक की यात्रा ज़रूर करना क्योंकि जो सुख और शांति मुझे ऐसे धार्मिक स्थल पर मिली वो मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता। बाकी सब ठीक है और मैं बस अब छुट्टियाँ खत्म होने का इंतज़ार कर रहा हूँ ताकि मैं छात्रावास आकार तुमसे मिल सकूँ और अमरकंटक के बारे में तुम्हें सब कुछ बताऊँ। अपने माता-पिता जी को मेरा प्रणाम कहना।

तुम्हारा प्रिय मित्र,
अनुभव यादव


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दुर्गा पूजा त्योहार की शुभकामनाएँ देते हुए मित्र को संदेश लिखिए।

आजकल बिजली की कटौती की समस्या से होने वाली परेशानी के संदर्भ में दो गृहिणियों के मध्य हुए वार्तालाप को संवाद के रूप में लिखें।

संवाद लेखन

बिजली की कटौती की समस्या के बारे में दो गृहिणियों के बीच संवाद

 

गृहिणी 1 : नमस्ते सीमा जी, कल रात फिर बिजली चली गई। पूरी रात बिजली नही आई। आज कल बिजली की कटौती बहुत बढ़ने लगी है।

गृहिणी 2 : नमस्ते मीना जी, आप सही कह रही हो। आए दिन रोज़ बिजली चली जाती है। घर के सारे जरूरी काम रह जाते है।

गृहिणी 1 : एक तो भयंकर गर्मी और मच्छरों का आंतक, उस पर ये बिजली गायब हो जाना। पूरी रात ढंग से सो नही पाते।

गृहिणी 2 : हमारा भी वही हाल है। मेरे दोनो बच्चे तो छोटे-छोटे हैं। बिजली न होने पर दोनो परेशान हो जाते हैं।

गृहणी 1 : मैं तो बिजली की कटौती की समस्या से बहुत परेशान हूँ।

गृहिणी 2: हाँ बिजली न होने सारे काम खराब हो जाते, बच्चों से लेकर सब को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

गृहिणी 1 : कल रात से बिजली गई है और अभी तक नहीं आई। मेरा तक चार्ज नही है और वो फोन बंद पड़ा है।

गृहिणी 2 : सभी के घर का यही हाल है, बिजली के कारण बच्चे और परेशान करते हैं।

गृहिणी 1 : मेरा बेटा तो टीवी देखने के लिए जिद करता है। बिजली न होने पर कैसे टीवी देखे। टीवी न देख पाने पर मुझे परेशान करता है इससे मैं घर के सारे काम ढंग से नही कर पाती।

गृहिणी 2 : मैं सोच रही हूँ कि बिजली विभाग में शिकायत करूं। आजकल बिजली बहुत ज्यादा ही जाने लगी है।

गृहणी 1 : मेरे पति एक हफ्ते पहले बिजली विभाग में शिकायत की अर्जी देकर आए थे लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब हम कॉलोनी की महिलाएं दुबारा से शिकायत करने चलते हैं।

गृहिणी 2 : हाँ ये ठीक रहेगा। आज दोपहर में चलते है।


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आप उदयपुर घूमने जा रहे हैं, इसलिए रेलगाड़ी का टिकट ख़रीदते समय आपके और रेलवे कर्मचारी के मध्य जो वार्तालाप हुआ उसे संवाद-शैली में लिखिए।

जब खेल के पीरियड में मैथ की टीचर पढ़ाने आ गयी तो दो बच्चों के बीच हुए संवाद को लिखें।

केंचुआ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।​

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केंचुआ पर टिप्पणी

केंचुआ एक स्थलीय अकेशरुकीय प्राणी होता है, इसे हिंदी में केंचुआ के अलावा ‘भूकृमि’ भी कहा जाता है। भारत के कई क्षेत्रों में इस ‘घेंसा’ भी कहा जाता है। अंग्रेजी में केंचुआ को Earthworm कहते हैं।

कछुआ ऐनेलिडा संघ का प्राणी है। ऐनेलिडा संघ के प्राणियों के शरीर अनेक खंडों में विभक्त होता है, इसी कारण केंचुआ का शरीर भी 100 से 120 खंड में विभक्त होता है।

क्योंकि केंचुआ अकेशरुकीय प्राणी है इसलिए इसमें कंकाल का अभाव होता है। केंचुआ का रंग ताम्र वर्ण यानि तांबे के रंग का होता है। इसका आकार वर्तुलाकर लंबा होता है और यह रेंग कर चलने वाला प्राणी है।

केंचुआ के शरीर पर जितने भी खंड होते हैं, हर खंड छोटे-छोटे सुई जैसे अंग होते हैं, जिन्हें ‘सीटा’ कहा जाता है। इन्हीं अंगों की सहायता से केंचुआ रेंगता है।

केंचुआ उभयलिंगी प्राणी है, क्योंकि इसके अंदर नर और मादा दोनों के प्रजनन अंग पाये जाते हैं। प्रजनन के समय दो केंचुए प्रजनन करते हैं और एक दूसरे के अंडे को सींचते है। इस तरह हर केंचुआ अंडे देता है।

कछुआ आमतौर पर मिट्टी में पाया जाने वाला प्राणी है। यह अधिकतर बरसात में दिखाई देता है तथा बरसात के समय गीली मिट्टी पर रेंगता हुआ पाया जाता है।

आमतौर केंचुआ और मिट्टी के अंदर बिल बनाकर निवास करता है। वर्षा ऋतु में इसके बिलों में पानी भर ये अपने बिल से बाहर निकलकर भूमि पर रेंगते दिखाई पड़ते हैं।

केंचुआ अलग-अलग कार्बनिक पदार्थ को खाता है। इन कार्बनिक पदार्थ में जीवित-अजीवित सूक्ष्म जंतु, जीवाणु, कवक तथा अन्य कई तरह के सूक्ष्म जीव शामिल हैं।

कछुआ अपनी त्वचा सेसांस लेता है उसके अंदर सामान्य श्वसन अंग नहीं पाए जाते और वह त्वचा से सांस लेता है।

केचुआ पारिस्थिति की तंत्र के लिए बेहद उपयोगी प्राणी है क्योंकि यह मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाने का कार्य करता है। यह किसानों का मित्र जीव माना जाता है।


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बहु बुद्धिमत्ता के सिद्धांत के अनुसार कुल कितने प्रकार की बुद्धिमत्ता होती हैं​?

तुम अपने देश की सेवा कैसे करोगे ?​अपने विचार लिखो।

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अपने देश की सेवा करने के लिए कई तरह के तरीके हैं। अपने देश की सेवा करने के लिए सबसे पहले हमें एक आदर्श नागरिक बनना होगा। हमें देश के संविधान द्वारा बनाए गए नियमों और कानून का पालन करना होगा। एक आदर्श नागरिक की सच्चे अर्थों में अपने देश की सेवा कर सकता है।

मैं अपने देश की सेवा करने के लिए सबसे पहले मैं एक आदर्श नागरिक बनने की कोशिश करूंगा।

मैं अपने देश की सेवा करने के लिए कोई ऐसा क्षेत्र चुनूंगा जिसमें अपने कार्यों द्वारा अपना देकर मैं अपने देश की सेवा कर सकता हूँ।

मैं एक अच्छा डॉक्टर बन कर अपने देश की सेवा कर सकता हूँ। मैं ऐसा डॉक्टर बन सकता हूँ जो सेवा भाव से लोगों का उपचार करे। जो गरीब हैं अगर उनके पास उपचार कराने के पैसे नही है तो उनका निःशुल्क या कम पैसों में उपचार करे। दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवा दे जहाँ पर डॉक्टरों की कमी है। ये देश सेवा करने का अच्छा विकल्प है।

मैं अपने देश की सेवा एक अच्छा वैज्ञानिक बनकर भी कर सकता हूँ। आज का युग विज्ञान और तकनीक का युग है। विज्ञान के क्षेत्र में नई-नई खोजने को करके मैं अपने देश का नाम रोशन कर सकता हूँ।

मैं अपने देश की सेवा एक अधिकारी बनकर भी कर सकता हूँ। प्रशासनिक सेवा में जाकर में जन सेवा के माध्यम से अपनी देश की सेवा कर सकता हूँ।

हमारे देश की राजनीति के बेहद गंदी हो चली है, इसलिए सब राजनीति से दूर रहना चाहते हैं। लेकिन हमें अपने देश की राजनीति को स्वच्छ करने की जरूरत है, इसलिए मैं एक अच्छी छवि वाला नेता बनकर भी अपने देश की सेवा कर सकता हूँ।

इसी तरह जीवन के अनेक क्षेत्र हैं, जहाँ पर मैं अपनी प्रतिभा के अनुसार अपना योगदान देकर अपने देश की सेवा कर सकता हूँ। इसलिए देश की सेवा करने अनेक विकल्प हैं। हम अपनी योग्यता और प्रतिभा के अनुसार किसी एक विकल्प तथा चयन कर उसमें अपने कार्य द्वारा अपने योगदान देकर अपने देश की सेवा कर सकते हैं।

लेकिन हमें सबसे देश एक आदर्श और जागरूक नागरिक बनना होगा। हमें कोई भी  ऐसा कार्य करने से बचना होगा जिससे देश की छवि को नुकसान हो, देश को किसी भी तरह का हानि।

हमें हर तरह के भ्रष्टाचार से बचना होगा और देश के संविधान का पालन करना होगा। एक आदर्श नागरिक बनकर और अपने कार्य-व्यवसाय के प्रति ईमादार रहकर भी हम अपने देश की सेवा कर सकते हैं।


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एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है, कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।

‘नेताजी का चश्मा’ कहानी के अनुसार देश के निर्माण मे बड़े ही नहीं बच्चे भी शामिल हैं। आप देश के नव निर्माण मे किस प्रकार योगदान देंगे?

जग को किस प्रकार जगमग किया जा सकता है?​

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जग को ज्ञान के प्रकाश से जगमग किया जा सकता है।

ज्ञान के प्रकाश से मन में व्याप्त अज्ञानता के अंधकार को मिटाकर इस संपूर्ण जग को ज्ञान के प्रकाश से जगमगाया जा सकता है।

कवि सूर्यकांत त्रिपाठी अपनी कविता  ‘वर दे, वीणावादिनी वर दे’ में कहते हैं कि…

काट अन्ध-उर के बन्धन-स्तर
वहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर,
कलुष-भेद तम-हर, प्रकाश भर
जगमग जग कर दे!

अर्थात हे माँ सरस्वती! आप हम सभी अज्ञानियों को अज्ञानता के बंधन से मुक्त कर दो। आप हमारे मन में व्याप्त अज्ञानता के अंधकार को मिटाकर हमारे अंदर ज्ञान के प्रकाश को भर दो। हमारे अंदर जो भी दोष हैं, पाप हैं, अहंकार हैं, इन सबको आप अपने प्रकाश के तेज से नष्ट कर दो। आप अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से इस पूरे जग को जगमग कर दो यानि इस पूरे संसार को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित कर दो।

निष्कर्ष

इस प्रकार जग को ज्ञान के प्रकाश से जगमग किया जा सकता है। यहाँ पर कवि का ज्ञान से तात्पर्य शिक्षा से है। कवि का मानना है कि शिक्षा का प्रकाश ऐसा प्रकाश है जो पूरे संसार के लोगों की अज्ञानता के अंधकार को मिटा सकता है। कवि निराला जी ने शिक्षा के महत्व को बताया है। इसी कारण वह माँ सरस्वती से प्रार्थना कर रहे हैं कि माँ सरस्वती सबकी अशिक्षा के अंधकार को दूर करें और सब शिक्षित बनें।

संघर्ष का मैदान छोड़ने वालों की कवि ने क्या समझाया है?​

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संघर्ष का मैदान छोड़ने वालों को कवि ने यह समझाया है कि संघर्ष से डर कर भागने से सफलता नहीं मिलती। कुछ किए बिना किसी की जय-जयकार नही होती अर्थात अगर जीवन में अपना नाम करना है, लोग आपको याद करें, आपका नाम लें तो कर्म करना होगा। कर्म न करने वालो को कोई नही पूछता है।

इसी तरह सफलता पाने के लिए कर्म करने पड़ते हैं, संघर्ष करना पड़ता है, मैदान में लड़ना पड़ता है, तब जाकर सफलता प्राप्त होती है। बिना कर्म किए किसी को कुछ नहीं मिलने वाला।

इसलिए कवि संघर्षों से घबरा कर मैदान छोड़ने वालों को सलाह देते हैं कि यदि तुम संघर्ष के मैदान को छोड़कर चले जाओगे तो तुम्हारे हाथ सफलता नहीं लगने वाली।

सफलता केवल साहसी और संघर्ष की व्यक्तियों को ही मिलती है कुछ पाने के लिए कर्म करना पड़ता है, कुछ खोना पड़ता है, तब जाकर कुछ प्राप्त होता है। यूं ही बैठे-बैठे कुछ भी प्राप्त नहीं हो जाता, इसलिए जीवन में निरंतर संघर्ष करते रहो तब ही जीवन में कुछ प्राप्त कर सकोगे।

‘कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’ कविता ‘सोहनलाल द्विवेदी’ द्वारा रचित कविता है। इस कविता के माध्यम से कवि ने लोगों को प्रेरणा भी है। उन्होंने कहा है जीवन में यदि सफलता प्राप्त करनी है तो निरंतर कोशिश करती रहनी चाहिए। कोशिश करने से ही सफलता प्राप्त होती है। जो लोग हमेशा कोशिश करते रहते हैं, उन्हें जीवन में इतनी सफलता प्राप्त जरूर होती है।


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‘शिमला’ में कौन सा समास है? बताएं।

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शिमलाशब्द में सीधे तौर पर समास नहीं होगा, लेकिन जिस शब्द से ‘शिमलाशब्द की उत्पत्ति हुई है, उसका समास इस प्रकार होगा :

शिमला’ शब्द ‘श्यामला’ शब्द से उत्पन्न हुआ है, शिमला ‘श्यामला’ का अपभ्रंश रूप है।

श्यामलाका समास विग्रह इस प्रकार है :

श्यामला : नीला घर अथवा नीला घर है जो

समास का भेद : कर्मधारण्य समास


स्पष्टीकरण

‘कर्मधारय समास’ में दोनों पदों में पहला पद एक विशेषण का कार्य करता है और दूसरा पद विशेष्य से होता है अर्थात पूर्व पद उपमान का कार्य करता है और उत्तर पद उपमेय का कार्य करता है। शिमला के मूल अर्थ श्यामला के समास विग्रह में ‘नीला’ एक विशेषण यानी उपमान है तथा ‘घर’ एक विशेष्य यानी उपमेय है। इसलिए शिमला अथवा श्यामला में ‘कर्मधारण्य’ समास होगा।

कर्मधारण्य समास क्या है?

‘कर्मधारण्य समास’ की परिभाषा के अनुसार समास का वह रूप जिसमें दोनों पद में पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य से होता है और दोनों पदों में उपमान एवं उपमेय का संबंध होता है, वहाँ कर्मधारण्य समास होता है।

कर्मधारय समास के कुछ अन्य उदाहरण :

नीलकमल : नीला है जो कमल अथवा नीला कमल

पीतांबर : पीला है जो अंबर (पीला वस्त्र।

महात्मा : महान है जो आत्मा (महान आत्मा)

देहलता : देह रूपी लता

समास से तात्पर्य दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने विशेष शब्द से होता है। समास के 6 भेद होते हैं, जो कि इस प्रकार हैं :

  • अव्ययीभावसमास
  • तत्पुरुषसमास
  • कर्मधारयसमास
  • बहुव्रीहितसमास
  • द्वंद्वसमास
  • द्विगुसमास

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‘जलभराव’ में कौन सा समास आएगा ?

विद्यालय में होने वाले वार्षिक समारोह में आने के लिए माता-पिता को निमंत्रण देते हुए पत्र कैसे लिखें?

अनौपचारिक पत्र

विद्यालय के समारोह के लिए माता-पिता को निमंत्रण देते हुए पत्र

 

दिनाँक : 15 मार्च 2024

 

आदरणीय माताजी एवं पिताजी,
सादर चरण स्पर्श,

मैं यहाँ पर एकदम कुशलतापूर्वक हूँ और आप दोनों के अच्छे स्वास्थ्य की आशा करता हुआ करता हूँ। माँ-पिताजी अगले सप्ताह हमारे विद्यालय का वार्षिक समारोह है। हमारे विद्यालय की तरफ से कहा गया है कि सभी विद्यार्थी अपने अभिभावकों को वार्षिक समारोह में आमंत्रित कर सकते हैं। इसलिए मैं अपने विद्यालय की तरफ से आपको हमारे विद्यालय के वार्षिक समारोह में आमंत्रित करते हुए पत्र लिख रहा हूँ।

हमारे विद्यालय के वार्षिक समारोह में अनेक तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे तथा बाल मेला का आयोजन किया गया है। मैंने भी अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर एक छोटा सा पुस्तकों का स्टॉल लगाया है। हमने पुस्तकें निकटतम दुकानदार से ली है। जितना बिक्री होगी उसमें हमारा परिश्रमिक निकालकर हम बची हुई पुस्तकें उनको वापस कर देंगे। कार्यक्रम आरंभ होने का समय सुबह दस बजे से है।

आप दोनो अगले हफ्ते रविवार को हमारे विद्यालय के वार्षिक समारोह में सम्मिलित होने के लिए आ जाइए। मुझे बड़ी खुशी होगी। छोटी बहन मानसी को भी साथ लेते आइये।

आप लोग नौ बजे तक सीधे विद्यालय के छात्रावास में मेरे कमरे में आ जाना। हम लोग साथ ही 10 बजे विद्यालय समारोह पर चलेंगे।

आप दोनों को चरण स्पर्श और छोटी बहन मानसी को स्नेह है।

आपका पुत्र,
मनन


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‘हरखि हृदय दशरथपुर आयी, जनु ग्रह दशा दूसह दुखदायी।’ काव्य पंक्ति में अलंकार है? 1. विभावना 2. रूपक 3. विरोधाभास 4. उत्प्रेक्षा

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इस प्रश्न का सही विकल्प होगा..

3. विरोधाभास

 

हरखि हृदय दशरथपुर आयी, जनु ग्रह दशा दूसह दुखदायी।

अलंकार भेद : विरोधाभास अलंकार


जानें क्यों

हरखि हृदय दशरथपुर आयी, जनु ग्रह दशा दूसह दुखदायी।

इस काव्य पंक्ति में ‘विरोधाभास अलंकार है क्योंकि पहली पंक्ति के माध्यम से हर्षित हृदय की बात हो रही है तो वहीं दूसरी पंक्ति के माध्यम से दुख प्रकट हो रहा है, अर्थात दोनों पंक्तियों में एक दूसरे का विरोधाभास है, इसलिए यहां पर विरोधाभास अलंकार प्रकट हो रहा है।

विरोधाभास अलंकार क्या होता है?

विरोधाभास अलंकार उस काव्य में प्रकट होता है, जहां किसी काव्य पंक्ति में विरोध का आभास प्रकट हो रहा हो। जहाँ पर दो वस्तुओं में मूलतः विरोध ना होने के बावजूद भी विरोध का आभास हो रहा हो अथवा विरोध प्रतीत होता हो, तो वहाँ ‘विरोधाभास अलंकार’ होता है।

‘विरोधाभास अलंकार’ का एक उदाहरण और इस प्रकार है :

प्रिय मौन एक संगीत भरा यहाँ पर पंक्ति में विरोधाभास हो रहा है, क्योंकि संगीत में ध्वनि होती है, वहाँ मौन कैसे हो सकता है, इसलिए इस पंक्ति में भी ‘विरोधाभास अलंकार’ है।

अलंकार :

किसी काव्य में वे शब्द काव्य का सौंदर्य बढ़ाते हैं, वह अलंकार कहे जाती हैं। अंलकार काव्य के लिए आभूषण का कार्य करते हैं। जिस प्रकार आभूषण किसी स्त्री पुरुष की सुंदरता को अवसर बढ़ा देते हैं, उसी तरह अलंकार काव्य की सुंदरता को बढ़ा देते हैं।


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एक अभिनेता और एक रिपोर्टर के बीच हुए संवाद को लिखें।

हिंदी संवाद लेखन

अभिनेता और रिपोर्टर के बीच संवाद

अभिनेता और रिपोर्टर के बीच संवाद इस प्रकार है :

रिपोर्टर :- (दरवाज़ा खटखटाते हुए) श्रीमान जी  क्या मैं अंदर आ सकता हूँ ।

अभिनेता :- (शायराना अंदाज में) आइए–आइए हम तो कबसे आपके इंतज़ार में पलकें बिछाए बैठे हैं ।

रिपोर्टर :- (हाथ जोड़ कर) श्रीमान जी (sir) आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जो आपने अपने कीमती समय में से मेरे लिए अपना वक्त निकाला ।

अभिनेता :- (अपने बालों पर हाथ फेरते हुए) अरे कैसी बाते कर रहे हैं ,आज हम जहाँ पहुंचे है वहाँ पर पहुंचाने में आपका भी बहुत बड़ा हाथ है ।

रिपोर्टर :- (मुसकुराते हुए) श्रीमान जी अगर आपको एतराज ना हो तो क्या मैं आपसे कुछ व्यक्तिगत बातें पूछ सकता हूँ ।

अभिनेता :- हाँ-हाँ जरूर पूछिए क्या पूछना चाहते हैं आप?

रिपोर्टर :- श्रीमान आप तो बड़े-बड़े घरों में रहते हैं, गाड़ियों में घूमते हैं, कुर्सी मेज़ पर बैठ कर छुरी, कांटे और चम्मच के साथ ही खाना खाते हो ।  अगर कभी कुछ दिन आपको इन सुविधाओं के बिना रहना पड़े तो क्या आप रह पाएंगे ?

अभिनेता :- (ज़ोर–ज़ोर से हँसते हुए) कमाल हैं आप भी। आपको क्या लगता है कि क्या ये सब कुछ मुझे विरासत में मिला है। नहीं जनाब यह सब तो रात–दिन की मेहनत का नतीजा है।

रिपोर्टर :- तो फिर कुछ अपने बचपन के बारे में बताइए ।

अभिनेता :- (बीते समय को याद करते हुए) मैं एक बहुत ही गरीब परिवार से था।  मेरे पिता जी किसान थे।  मेरी माँ कपड़े सिलाई का काम करती थी। हमारे घर में बिजली भी नहीं थी और तो और तो और हमारा एक ही कमरे का घर था। घर की छत भी बरसात में टपकती थी।

रिपोर्टर :- फिर तो आप उस समय को कभी याद नहीं करते होंगे, क्योंकि आपका जीवन तो बहुत तकलीफ में बीता है।

अभिनेता :- नहीं, मैं उस समय को कभी भी नहीं भुलाना चाहता हूँ क्योंकि मेरा बचपन मुझे मेरे माता-पिता के संघर्ष की याद दिलाता है, जो उन्होंने मेरे लिए किया था । बल्कि मैं तो अपने बच्चों को भी अपने बचपन के बारे में बताता हूँ और उस जगह पर भी लेकर जाता हूँ, जहाँ पर मेरा बचपन बीता है। हम सब आज भी कभी-कभी घर पर ज़मीन पर बैठ कर हाथ से बिना चम्मच के खाना भी खाते हैं ।

रिपोर्टर :- अभिनेता जी, तो आप अपनी सफलता का श्रेय किसे देते है?

अभिनेता :- (आँखों में आँसू भरे थे) मेरी सफलता का सारा श्रेय मेरे माता-पिता को जाता है, आज मैं जो कुछ भी हूँ उनकी ही वजह से हूँ।


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‘रविवार को हड़ताल है, अतः बाजार बंद रहेगा।’ वाक्य का प्रकार बताइए।

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रविवार को हड़ताल है, अतः बाजार बंद रहेगा। इस वाक्य का प्रकार ये होगा…

वाक्य : रविवार को हड़ताल है, अतः बाजार बंद रहेगा। 

वाक्य भेद : मिश्र वाक्य


विस्तृत विवरण

यह वाक्य भेद रचना के आधार पर ‘मिश्र वाक्यहोगा, क्योंकि इसमें दो वाक्य हैं।

पहला वाक्य प्रधान वाक्य है और दूसरा वाक्य उसका आश्रित उपवाक्य है। मिश्र वाक्य में एक प्रधान वाक्य होता है तथा शेष वाक्य उसके ऊपर आश्रित उपवाक्य होते हैं।वाक्य के भेद (रचना के आधार पर)

रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते हैं :

  • सरल वाक्य
  • संयुक्त वाक्य
  • मिश्र वाक्य

सरल वाक्य में एक स्वतंत्र वाक्य होता है। इसका एक उद्देश्य और एक विधेय होता है। सरल वाक्य में कोई योजक चिन्ह नहीं होता। यह एक साधारण वाक्य होता है।

संयुक्त वाक्य में दो प्रधान वाक्य होते हैं, जो किसी योजक चिन्ह द्वारा एक दूसरे से जुड़े होते हैं। ये योजक चिन्ह ‘और’, ‘तथा’, ‘एवं’, ‘व’, ‘किंतु’ आदि होते हैं।

मिश्र वाक्य में एक प्रधान वाक्य तथा शेष उसके ऊपर आश्रित उपवाक्य होते हैं। प्रधान वाक्य के बिना आश्रित उपवाक्य का कोई अर्थ नहीं होता और वे निरर्थक होते हैं।


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‘सुनीता खेलने जा रही है’ । वाक्य को भूतकाल के विभिन्न भेदों में बदलिए।

अगर लोग कोरोना का टीका नहीं लगाएंगे तो सबको कोरोना हो जाएगा। अर्थ की दृष्टि से वाक्य के भेद बताइए।

बहु बुद्धिमत्ता के सिद्धांत के अनुसार कुल कितने प्रकार की बुद्धिमत्ता होती हैं​?

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बहु बुद्धिमत्ता सिद्धांत

हावर्ड गार्डनर ने ‘बहु बुद्धिमत्ता सिद्धांत’ (Theory of Multiple Intelligences) का सिद्धांत प्रस्तुत किया था। इस सिद्धांत के अनुसार, मनुष्य में कुल 9 प्रकार की बुद्धिमत्ताएं होती हैं। इन बुद्धिमत्ताओं का विवरण इस प्रकार है:

  1. भाषायी बुद्धिमत्ता (Linguistic Intelligence) – इस प्रकार की बुद्धिमत्ता शब्दों और भाषा को समझने और प्रयोग करने की क्षमता से संबंधित होती है।
  2. गणितीय-तार्किक बुद्धिमत्ता (Logical-Mathematical Intelligence) : ये बुद्धिमत्ता तर्क और गणित के साथ-साथ वैज्ञानिक सोच रखने की क्षमता को प्रदर्शित करती है।
  3. दृश्य-स्थानिक बुद्धिमत्ता (Visual-Spatial Intelligence) : दृश्यों और आकारों को समझने और उनका विश्लेषण करने की क्षमता दृश्य-स्थानिक बुद्धिमत्ता कहलाती है।
  4. शारीरिक-गतिशील बुद्धिमत्ता (Bodily-Kinesthetic Intelligence) : बुद्धिमत्ता के इस प्रकार में शरीर और आंदोलन को नियंत्रित और समायोजित करने की क्षमता विकसित होती है।
  5. संगीतात्मक बुद्धिमत्ता (Musical Intelligence) : संगीत, लय और तान को समझने और उनका निर्माण करने की क्षमता संगीतात्मकता बुद्धिमत्ता के अन्तर्गत परखी जाती है।
  6. अंतरव्यक्तिगत बुद्धिमत्ता (Interpersonal Intelligence) : इस बुद्धिमत्ता में अन्य लोगों की भावनाओं और दृष्टिकोणों को समझने की क्षमता का आकलन होता है।
  7. अंतरात्मिक बुद्धिमत्ता (Intrapersonal Intelligence) : अपनी भावनाओं और विचारों को समझने की क्षमता अंतरात्मिक बुद्धिमत्ता कहलाती है।
  8. प्राकृतिक बुद्धिमत्ता (Naturalist Intelligence) : प्रकृति और पर्यावरण को समझने और उनके साथ सामंजस्य बिठाने की क्षमता प्राकृतिक बुद्धिमत्ता में परखी जाती है।
  9. अस्तित्वशील बुद्धिमत्ता (Existential Intelligence) : येजीवन और अस्तित्व के गहन प्रश्नों पर विचार करने की क्षमता को बताती है।

गार्डनर के अनुसार, सभी व्यक्ति इन बुद्धिमत्ताओं के विभिन्न स्तरों से युक्त होते हैं, और शिक्षा तथा प्रशिक्षण के माध्यम से इन्हें और विकसित किया जा सकता है।


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मेहमान नवाजी का अर्थ होता है?

”अब मैं नाच्यौ बहुत गोपाला” में कौन सा रस है?

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”अब मैं नाच्यौ बहुत गोपाला” इस पंक्ति में रस का भेद इस प्रकार होगा…

अब मैं नाच्यौ बहुत गोपाला

रस : शांत रस

 

स्पष्टीकरण :

इस पंक्ति में ‘शांत रस’ है। इस पंक्ति में शांत रस इसलिए है क्योंकि यहाँ पर सूरदास अपने आराध्य श्रीकृष्ण से प्रार्थना और याचना कर रहे हैं।

यह पंक्ति सूरदास द्वारा रचित दोहे की है। इस दोहे में सूरदास अपने मन में उत्पन्न वैराग्य के भाव के प्रकट कर रहे हैं। उनका संसार से मन भर गया है। वह अपने आराध्य से प्रार्थना कर रहे हैं कि वह अब इस संसार के छल-प्रपंच से ऊब चुके है। वे चाहते हैं कि उनके आराध्य श्रीकृष्ण उनके मन के अंधकार को दूर करें।

शांत रस

शांत रस किसी भी काव्य में वहाँ पर प्रकट होता है जब संसार के प्रति वैराग्य की भावना उत्पन्न होती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति संसार के प्रति विरक्ति का भाव दिखाते हुए अपने ईश्वर के प्रति आसक्ति का भाव दिखाता है।

शांत रस का स्थाई भाव निर्वेद होता है, जो संसार के प्रति असंतोष और वैराग्य उत्पन्न होने को दर्शाता है। ऐसी स्थिति में मन को शांत करने की प्रक्रिया आरंभ होती है और व्यक्ति ईश्वर की भक्ति की ओर मुड़ जाता है।

 


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कृति करो – ‘खेल तो ग्रामीण जीवन की आत्मा हैं।​’

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इस बात में कोई संदेह नहीं की खेल ग्रामीण जीवन की आत्मा हैं। खेल ग्रामीण जीवन में रचे-बसे हुए हैं। यह ग्रामीण लोगों की स्वाभाविक मनोवृति के अंतर्गत आते हैं।

ग्रामीण जीवन में लोगों को बचपन से ही किसी भी तरह के विशेष खेल को विशेष तौर पर खेलने की आवश्यकता नहीं पड़ती। यह उनके दैनिक जीवन की गतिविधियों से स्वतः ही जुड़ जाते हैं। ग्रामीण जीवन परिश्रमी जीवन होता है, जहाँ प्रकृति से जुड़ाव होता है और प्रकृति से जुड़कर पारिश्रमिक कार्य करने होते हैं।

दौड़ना, तालाब में तैरना, पेड़ों पर चढ़ना-उतरना, भागना, पहाड़ों पर चढ़ना यह सभी गतिविधियां ग्रामीण बच्चों की रग-रग में उनके बचपन से ही बस जाती हैं। ग्रामीण बच्चे अपने बचपन से ही खेतों में उछलते-कूदते, पेड़ों पर चढ़ते-उतरते, गाँव में दौड़ते-भागते बढ़े होते हैं। इन्हीं गतिविधियों के बीच में अपने कई तरह के देसी खेल भी विकसित कर लेते हैं जो उनकी स्वाभाविक जीवन के अनुरूप होते हैं। इस तरह खेल ग्रामीण जीवन की आत्मा बन जाते हैं और वह ग्रामीण बच्चों में बचपन से ही रच-बस जाते हैं।

ग्रामीण जीवन में शहर के लोगों की तरह  किसी भी खेल विशेष को खेलने के लिए विशेष स्थान, विशेष तरह के उपकरण या विशेष तरह की वेशभूषा की जरूरत नहीं पड़ती। वह जैसे हैं उसी अवस्था में अपने खेलों को आगे बढ़ाते रहते हैं। इसी कारण खेल ग्रामीण जीवन की आत्मा हैं।

इस स्तर पर ऐसे अनेक खिलाड़ी चमके हैं, जिनका आरंभिक जीवन गाँव की सोंधी-सोंधी मिट्टी में ही पल-बढ़कर वह जाने-माने खिलाड़ी बनें और विश्व के पटल पर अपना नाम रोशन किया।


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अगर लोग कोरोना का टीका नहीं लगाएंगे तो सबको कोरोना हो जाएगा। अर्थ की दृष्टि से वाक्य के भेद बताइए।

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अगर लोग कोरोना का टीका नहीं लगाएंगे तो सबको कोरोना हो जाएगा। अर्थ की दृष्टि से ये वाक्य एक संकेतवाचक वाक्य है।

अगर लोग कोरोना का टीका नहीं लगाएंगे तो सबको कोरोना हो जाएगा। 

वाक्य भेद : संकेतवाचक वाक्य

कारण

अर्थ की दृष्टि से यह वाक्य एक संकेत वाचक वाक्य इसलिए है क्योंकि इस वाक्य में कोई एक कार्य होने के लिए संकेत किया गया है। संकेत वाचक वाक्य वह वाक्य होते हैं, जिसमें किसी कार्य को होने की स्थिति का दूसरे कार्यों की होने की स्थिति की ओर संकेत किया जाता है अर्थात कोई एक कार्य तब संपन्न होगा, जब उससे पहले कोई दूसरा कार्य संपन्न होगा।

ऐसे वाक्यों में एक कार्य की निर्भरता दूसरे कार्य पर होती है। यहाँ पर इस वाक्य में ‘अगर लोग कोरोना का टीका नहीं लगाएंगे’ यह एक वाक्यांश है। इस कार्य पर निर्भरता ‘सबको कोरोना हो जाए’ इस वाक्यांश की है। अगर लोग कोरोना का टीका नहीं लगाएंगे तो सबको कोरोना हो जाएगा इस वाक्य में पहले वाक्यांश की और दूसरे वाक्यांश का संकेत किया गया है, इसलिए यह एक संकेत वाचक वाक्य है।

 


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‘कुछ पैसा ले जाऊंगा तो माँ को पथ्य दूंगा।’ वाक्य का भेद पहचानकर लिखिए।

गौरव स्कूटी से गिर पड़ा कारक के भेद बताइए।

रामू नारियल के पेड़ पर चढ़ा कौन सा कारक चिन्ह है​?

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रामू नारियल के पेड़ पर चढ़ा इस वाक्य में ‘अधिकरण कारक’ चिन्ह होगा।

रामू नारियल के पेड़ पर चढ़ा।

कारक चिन्ह : अधिकरण कारक

स्पष्टीकरण :

‘रामू नारियल के पेड़ पर चढ़ा।’ इस वाक्य में ‘अधिकरण कारक’ चिन्ह इसलिए होगा क्योंकि पर क्रिया के आधार का बोध हो रहा है।

अधिकरण कारक में क्रिया करने के आधार का बोध होता है। इस कारक चिन्ह वाले वाक्य में विभक्ति चिन्ह ‘में’ और ‘पर’ का प्रयोग किया जाता है। इन विभक्ति चिन्हों के साथ ‘भीतर’, ‘अंदर’, ‘ऊपर’, ‘बीच’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

जब अधिकरण चिन्ह की पहचान करनी हो तो ‘किसमें’ अथवा ‘किस पर’ जैसे प्रश्न वाचक शब्द लगाकर इन कारक चिन्हों की पहचान की जा सकती है।

अधिकरण कारक चिन्ह वाले कुछ वाक्य में ‘में’, ‘ पर’ आदि विभक्तियों का लोप होता है। ऐसी स्थिति में उन वाक्य में कुछ अन्य पदों जैसे यहाँ, वहाँ, सहारे, किनारे, आसरे आदि का प्रयोग किया जाता है।

अधिकरण कारक चिन्ह वाले कुछ वाक्य…

  • तितली फूलों पर मंडरा रही है।
  • बालक कमरे में किताब पढ़ रहा है।
  • मंदिर में दिया जल रहा है।
  • उस घर के अंदर कोई नही रहता।

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भगत सिंह देश के लिए शहीद हुए। (इस वाक्य में कारक बताइए)

गौरव स्कूटी से गिर पड़ा कारक के भेद बताइए।

मेहमान नवाजी का अर्थ होता है?

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मेहमान नवाजी शब्द का अर्थ होता है, अतिथि सत्कार अर्थात हमारे घर पर जो अतिथि आया है, उसकी आवभगत करना, उसका ध्यान रखना, वही अतिथि सत्कार यानी मेहमान नवाजी के अंतर्गत आता है।

मेहमान नवाजी विदेशज शब्द समूह है, जो दो विदेशज शब्दों ‘मेहमान’ और ‘नवाजी’ को मिलाकर बन गया है। इसका अर्थ हिंदी में अतिथि सत्कार होगा।

अतिथि वह व्यक्ति होता है जो किसी के घर जाता है। किसी के घर आया हुआ आगंतुक व्यक्ति चाहे वह परिचित हो या अपरिचित हो, अतिथि कहलाता है। जब कोई अतिथि किसी के घर जाता है तो घर का स्वामी अपने घर आए उस अतिथि का स्वागत-सत्कार करता है, उसका ध्यान रखना है, उसकी आवभगत करता है, उसको अच्छा भोजन करता है, उसके रहने-सोने का प्रबंध करता है।

इस तरह की पूरी क्रिया ही मेहमान नवाजी यानी अतिथि सत्कार कहलाती है। अतिथि सत्कार करना भारतीय संस्कृति का मूल लक्षण है।

भारत की संस्कृति में ‘अतिथि देवो भवः’ का सूत्र वाक्य प्रचलित है अर्थात जो व्यक्ति आपके घर में अतिथि बनकर आया है, वह भगवान के समान है और उसकी मदद करना उसके प्रति सम्मान प्रकट करना, आपका परम कर्तव्य है।


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मानव शरीर का निर्माण किन पाँच तत्वों से हुआ है?

निंदक का कष्ट बढ़ता जाता है क्योंकि…?

‘सुनीता खेलने जा रही है’ । वाक्य को भूतकाल के विभिन्न भेदों में बदलिए।

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सुनीता खेलने जा रही है। इस वाक्य को हम भूतकाल के विभिन्न भेदों में बदलते हैं। भूतकाल के भेद को उनका उपभेद कहा जाता है।

भूतकाल के कुल 6 उपभेद होते हैं, जोकि इस प्रकार हैं…

  • सामान्य भूतकाल
  • आसान्न भूतकाल
  • पूर्ण भूतकाल
  • अपूर्ण भूतकाल
  • संदिग्ध भूतकाल
  • हेतु-हेतु मद भूतकाल

अब हम दिए गए वाक्य को भूतकाल के सभी भेदों में बदलते हैं।

‘सुनीता खेलने जा रही है।’ यह वाक्य अपूर्ण वर्तमान काल में है। इस वाक्य को भूतकाल के विभिन्न छः उपभेदों में बदलने पर सभी 6 वाक्य इस प्रकार होंगे।

मूल वाक्य : सुनीता खेलने जा रही है।

सामान्य भूतकाल : सुनीता खेलने गई।
आसन्न भूतकाल : सुनीता खेलने गई है।
पूर्ण भूतकाल : सुनीता खेलने जा चुकी थी।
अपूर्ण भूतकाल : सुनीता खेलने जा रही थी।
संदिग्ध भूतकाल : सुनीता खेलने गई होगी।
हेतु-हेतु मद भूतकाल : अगर कोई बुलाता तो सुनीता खेलने जाती।

इस तरह वर्तमान काल के वाक्य को हमने भूतकाल के सभी उपभेदों में बदल दिया।

भूतकाल के विभिन्न भेद

भूतकाल के जो छः उपभेद होते हैं, उनमें…

सामान्य भूतकाल में बीते समय में हुए कार्य का बोध होता है, लेकिन समय का पता नहीं चलता। बस इतना बोध होता है कि बीते हुए समय में कोई कार्य संपन्न हुआ था।

आसन्न भूतकाल में भूतकाल में कोई कार्य संपन्न होने का बोध इस तरह होता है, जैसे लगता है कि कार्य अभी समाप्त हुआ है।

पूर्ण भूतकाल में कोई भी कार्य बीते हुए समय में पूर्ण रूप से संपन्न होने का बोध होता है।

अपूर्ण भूतकाल में किसी कार्य के बीते हुए समय में चलते रहने का बोध होता है लेकिन भूतकाल में जो कार्य चल रहा था, वह पूर्ण नहीं हुआ था या हो चुका था, इसका कोई भी विवरण नहीं।

संदिग्ध भूतकाल में हुए किसी कार्य के होने पर संदेह का बोध होता है।

हेतु-हेतु मद भूतकाल मे किसी कारण पर आधारित कोई कार्य भूतकाल में संपन्न होता है।


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‘जिंदगी के साथ भी जिंदगी के बाद भी’ यह विज्ञापन आप रेडियो के लिए तैयार कीजिए।

विज्ञापन

 

जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी (रेडियो के लिए विज्ञापन लेखन)

 

रेडियो पर धीमा संगीत बजता है। (एक उद्घोषिका की आवाज आती है)

  • नमस्कार…
  • आप जानते है कि जीवन का कोई भरोसा नही होता।
  • व्यक्ति के जीवन में कब क्या घटित हो जाए कुछ पता नही
  • अनिश्चितता भरे जीवन में क्या आप अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित करना चाहते हैं,
  • क्या आप चाहते है कि दुर्भाग्यवश यदि आपको कुछ हो जाए तो आपके बाद भी आपके ऊपर आश्रित आपके परिवार को किसी तरह की आर्थिक परेशानी न हो।
  • सौभाग्य से यदि आपका जीवन सुरक्षित रहे तो क्या आप चाहते है कि आपकी वृद्धवस्था में आपको किसी तरह की आर्थिक परेशानी को सामना न करना पड़े

….तो फिर जुड़िए हमारी जीवन बीमा पॉलिसी से,

जो आपकी जिंदगी के साथ भी है और आपकी जिंदगी के बाद भी है।

(अब उद्घोषक की आवाज आती है)

  • हमारी जीवन बीमा पॉलिसी न केवल आपकी वृद्धवस्था में सहायता प्रदान करेगी बल्कि दुर्भाग्यवश आपके साथ कोई अनहोनी होने पर आपके परिवार की आर्थिक चिंता को भी दूर करेगी।
  • तो बिल्कुल भी देर न करें और आज ही अपनी जीवन बीमा पॉलिसी लें.

 

अधिक जानकारी के लिए इस नंबर पर संपर्क करें,

1800000000

आप इस नंबर पर SMS अथवा Whatsapp करें और लिखें, know about LIC

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हमारे प्रतिनिधि आपसे संपर्क करेंगे और आपके घर पर सारी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए हाजिर होंगे।

(फिर उद्घोषिका और उद्घोषक दोनों एक साथ बोलते हैं)

जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी)

एक मधुर संगीत बजता है, और विज्ञापन समाप्त होता है।


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जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई। सब घटि अंतरि तूंही व्यापक धरै सरूपै सोई।। इस आधार पर कवि की दृष्टि में ईश्वर का क्या स्वरूप है?

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जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै, इसके संदर्भ में कबीर की दृष्टि में ईश्वर का एक ही स्वरुप है। कबीर सारे जग में ईश्वर को एक ही स्वरूप में मानते हैं। कबीर के अनुसार ईश्वर सारे जग में इस तरह निवास करता है, जिस तरह लकड़ी में अग्नि निवास करती है। बढ़ई या लकड़हारा लकड़ी को काट तो सकता है, लेकिन वह उस लकड़ी के अंदर निहित अग्नि को नष्ट नहीं कर सकता। उसी प्रकार मनुष्य के शरीर के अंदर भी ईश्वर रूपी चेतना व्याप्त है। इस ईश्वर रूपी चेतना को कोई भी नष्ट नहीं कर सकता। मानव के अंदर ये ईश्वरीय चेतना अजर है, अमर है। इसे मनुष्य से अलग नहीं किया जा सकता। यह ईश्वरीय शक्ति हर मनुष्य के शरीर के अंदर व्यापक रूप से समाई हुई है।

कबीर कहते हैं कि…

जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई।
सब घटि अंतरि तूंही व्यापक धरै सरूपै सोई।।

अर्थात कबीर दास कहते हैं कि इस संसार में ईश्वर हर जगह व्याप्त है। ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। वह इस तरह इस संसार में व्याप्त है जिस तरह लकड़ी में अग्नि समय होती है। बधाई लकड़ी को काट कर अनेक टुकड़ों में बांट देता है लेकिन उसके हर टुकड़े में अग्नि समाई है। उस लकड़ी के टुकड़े को जला देने पर अग्नि प्रज्वलित हो उठेगी। इस प्रकार हर जीव के अंदर परमात्मा के अंश के रूप में आत्मा व्याप्त है, जो परमात्मा का ही अंश है। हर मानव की आत्मा परमात्मा का ही अंश है, इसीलिए मानव आत्मा का ही स्वरूप है। मनुष्य भले ही अलग-अलग हों लेकिन उनके अंदर एक ही ईश्वर व्याप्त है।

 


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कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है, इसके समर्थन में उन्होंने क्या तर्क दिए हैं?

कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है, इसके समर्थन में उन्होंने क्या तर्क दिए हैं?

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कवि की दृष्टि में ईश्वर एक है और अपनी इस बात के समर्थन में कबीर ने अनेक तरह के तर्क दिए हैं, जो कि इस प्रकार हैं…

  • कबीर के अनुसार मानव शरीर पाँच तत्वों अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी और आकाश से मिलकर बना है और यह पाँच तत्व हर जगह पाए जाते हैं, जो कि ईश्वर द्वारा बनाए गए हैं।
  • कबीर के अनुसार सब जगह एक ही पवन है, एक ही जल है।
  • कबीर कहते हैं कि सारा जगत एक ही ज्योति यानी प्रकाश से प्रकाशित है।
  • कबीर कहते हैं कि जिस तरह मिट्टी से अलग-अलग तरह के आकृति और आकार के बर्तन बनते हैं, उसी तरह सृष्टि की मिट्टी से ईश्वर ने अनेक तरह के मानवों को रचा है। इन सभी अलग-अलग रूप में एक ईश्वर का वास है।
  • कबीर के अनुसार दुनिया के जितने भी मानव हैं, उन सबको ईश्वर ने ही रचा है, इसलिए ईश्वर सबके लिए एक है, एक समान है।

इस तरह कबीर ने ईश्वर के एक होने के संबंध मे उपरोक्त तर्क दिए हैं।


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मानव शरीर का निर्माण किन पाँच तत्वों से हुआ है?

मानव शरीर का निर्माण किन पाँच तत्वों से हुआ है?

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मानव शरीर का निर्माण पांच तत्वों से हुआ है। इन तत्वों के नाम हैं- अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी और आकाश हैं।

मानव इन्हीं पाँच तत्वों से मिला है। अनेक संत महात्माओं ने मानव शरीर के निर्माण के विषय में यही बातें कही हैं। भारतीय धर्म शास्त्रों में भी मानव को पंचभूत यानी पांच तत्वों से निर्मित बताया गया है। इसलिए मानव शरीर को पंचभूत शरीर कहा जाता है, यानी मानव का शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है। इन सभी पाँच तत्वों में जब पृथ्वी तत्व का लोप हो जाता है तो वह मानव साधारण मानव नहीं था नहीं रहता और वह देव तुल्य बन जाता है।

इसी संबंध में कबीर भी तर्क देते हैं कि मानव शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है। यही पाँच तत्व मानव को ईश्वर से मिलते हैं। हर जगह मानव एक है, इस बात को प्रदर्शित करते हैं। मानव किसी भी जाति, धर्म, पंथ, समुदाय का हो वह इन पाँच तत्वों से ही मिलकर बना है, इसलिए मानव-मानव में कोई भेद नहीं है।


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कबीर दास का भक्ति भाव दास्य भाव था या शाक्य भाव?​

कारण लिखिए। रामस्वरूप नौकर पर चिल्लाते हैं।​

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राम स्वरूप नौकर पर चिल्लाते हैं।

कारण

रामस्वरूप अपने नौकर रतन पर इसलिए चिल्लाते हैं, क्योंकि रतन ने मक्खन लाने के लिए नहीं गया। रामस्वरूप के घर पर दो मेहमान आने वाले हैं, जो गोपाल प्रसाद और उनका बेटा शंकर है। दोनों रामस्वरूप की बेटी उमा को देखने आने वाले हैं। उमा विवाह योग्य हो चुकी है और गोपाल प्रसाद के बेटे शंकर से विवाह की बात करने हेतु गोपाल प्रसाद और शंकर रामस्वरूप की बेटी उमा को देखने आने वाले हैं।

मेहमानों की खातिरदारी के लिए रामस्वरूप ने मक्खन बाजार से लाने के लिए अपनी नौकर रतन को कहा था, लेकिन रतन गया नही। उधर मेहमान घर पर आ चुके थे। रामस्वरूप की नजर दरवाजे के पास खड़े अपने नौकर रतन पर पड़ी। उस पर नजर पड़ते ही रामस्वरूप नौकर पर चिल्लाए, ‘अरे तू यही खड़ा है, बेवकूफ! गया नहीं मक्खन लाने। सब चौपट कर दिया। अबे उधर से नहीं, अंदर के दरवाजे से जा।’

‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी एक सामाजिक एकांकी है, जो दहेज जैसी को प्रथा को आधार बनाकर लिखा गया है। इसके लेखक जगदीश चंद्र माथुर हैं। इस एकांकी के प्रमुख पात्रों में रामस्वरूप, उनकी बेटी उमा, गोपाल प्रसाद, गोपाल प्रसाद का बेटा शंकर हैं।

 


Other question

चंडीगढ़ के रॉक गार्डन का अनुभव डायरी में लिखिए।

मगरमच्छ की प्रजाति को खत्म होने से बचाने के लिए आप क्या उपाय कर सकते हैं​?

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मगरमच्छ की प्रजाति को खत्म होने से बचने के लिए वही उपाय किए जा सकते हैं, जो किसी भी विलुप्त होती प्रजाति के संरक्षण के लिए किए जाते हैं।

मगरमच्छों की संख्या दुनिया में लगातार घटती जा रही है। इसका मुख्य कारण जल स्रोतों की निरंतर होती कमी तथा मगरमच्छों का अवैध शिकार है।

मगरमच्छ जल स्रोतों में पाए जाते हैं, वह उनका प्राकृतिक आवास है। मानव अपने विकास की दौड के कारण जंगलों को काटता जा रहा है, जल स्रोतों को नष्ट कर रहा है। मानवीय आबादी बढ़ती जा रही है तथा प्राकृतिक क्षेत्र सिकुड़ते जा रहे हैं। इसी कारण मगरमच्छों की प्रजातियां भी विलुप्त होती जा रही हैं।

भारत में मगरमच्छ की तीन प्रजातियों पाई जाती हैं, जिनमें घड़ियाल, खारे पानी का मगरमच्छ और मगर यह तीन प्रजातियां हैं। यदि भारत में मगरमच्छों की प्रजाति को खत्म होने से बचाना है तो हमें उनके प्राकृतिक आवास जल स्रोतों को नष्ट करने से बचना होगा ।जंगलों को सिकुड़ने से बचना होगा और जंगलों में मौजूद नदी, तालाब, झील आदि का रखरखाव करना होगा उन्हें सूखने से बचना होगा। उनके साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करनी होगी।

जब मगरमच्छों को अपना प्राकृतिक आवास मिलेगा तो वह अपने को सुरक्षित हो पाएंगे। मगरमच्छों की प्रजाति को नष्ट होने से बचने के लिए कुछ अन्य उपाय भी करने होंगे, जिनमें अवैध रेत खनन, मगरमच्छों का अवैध शिकार, नदी-तालाबों में बढ़ता जा रहा प्रदूषण, नदी आदि पर अत्याधिक बांधों आदि का निर्माण का कार्य तथा बड़े पैमाने पर मछली पकड़ने का कार्य  है।

मछली मगरमच्छों का प्राकृतिक भोजन होता है। मछलियों की कमी से भी मगरमच्छों के अस्तित्व पर संकट पड़ सकता है क्योंकि उन्हें अपना प्राकृतिक भोजन नहीं मिलेगा तो वह जीवित नहीं रह पाएंगे।

मगरमच्छों को बचाने के लिए संक्षेप में उपायों को समझते हैं..

  • जल स्रोतों का संरक्षण जैसे, नदी, तालाब, झील आदि।
  • मगरमच्छों के अवैध शिकार पर अंकुश लगाना।
  • अत्यधिक मछलियों के शिकार पर अंकुश लगाना।
  • नदी, तालाबों से अत्यधिक और अवैध रेत खनन पर रोक लगाना।
  • मगरमच्छों को उनका प्राकृतिक वातावरण उपलब्ध कराना।
  • ऐसे जंगल क्षेत्र जहां पर अधिक मगरमच्छ पाए जाते हैं, उनको संरक्षित करना।

इस तरह निम्न उपायों से हम मगरमच्छ की प्रजाति को नष्ट होने से बचा सकते हैं।

 


Other questions..

दक्षेस को सफल बनाने के लिये कोई चार सुझाव दीजिए।​

‘कुछ पैसा ले जाऊंगा तो माँ को पथ्य दूंगा।’ वाक्य का भेद पहचानकर लिखिए।

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कुछ पैसे ले जाऊंगा तो माँ को पथ्य दूंगा। इस वाक्य का भेद इस प्रकार होगा :

वाक्य : कुछ पैसा ले जाऊंगा तो माँ को पथ्य दूंगा।
वाक्य का भेद : मिश्र वाक्य

स्पष्टीकरण :
‘कुछ पैसा ले जाऊंगा तो माँ को पथ्य दूंगा।’ यह वाक्य एक ‘मिश्र वाक्य’ है, क्योंकि इस वाक्य में दो वाक्य दिखाई दे रहे हैं। एक प्रधान वाक्य है और दूसरा उसके ऊपर आश्रित उपवाक्य हैं। मिश्र वाक्य में एक प्रधान वाक्य होता है तथा शेष उसके ऊपर आश्रित उपवाक्य होते हैं।

मिश्र वाक्य की परिभाषा
‘मिश्र वाक्य’ रचना के आधार पर वाक्य का एक भेद होता है। इसमें एक से अधिक वाक्य होते हैं। जिनमें एक प्रधान वाक्य होता है तथा शेष उसके ऊपर आश्रित उपवाक्य होते हैं। आश्रित उपवाक्य का अर्थ प्रधान वाक्य के ऊपर निर्भर करता है। प्रधान वाक्य के बिना आश्रित उपवाक्य का कोई अर्थ नहीं होता।

रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते हैं।
1. सरल वाक्य
2. संयुक्त वाक्य
3. मिश्र वाक्य


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भगत सिंह देश के लिए शहीद हुए। (इस वाक्य में कारक बताइए)

‘आर्यभट अपने विचार बेहिचक प्रस्तुत करते थे।’ इस वाक्य की क्रिया को कर्मवाच्य में बदलकर फिर से लिखिए​।

अपने इलाके में असामाजिक तत्वों की गतिविधियों को रोकने के लिए पुलिस आयुक्त को एक पत्र लिखिए।

औपचारिक पत्र

असामाजिक तत्वों की गतिविधियों को रोकने के लिए आयुक्त को पत्र

 

दिनांक – 01 -11-2023

 

सेवा में,
श्रीमान थाना अध्यक्ष,
खलिनी, शिमला ( हि.प्र.),

विषय – असामाजिक तत्वों की गतिविधियों बाबत।

महोदय,
विनम्रता पूर्वक मैं आपको बताना चाहती हूँ कि हमारा इलाका इन दिनों असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है। कुछ दिनों पहले ही यहाँ पर कुछ लड़कों ने किराए पर एक घर रहने के लिए लिया था। वह यहाँ दूसरे शहर से पढ़ने के लिए आए थे। पहले तो कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक–ठाक ही था, लेकिन अब उन्होंने इसे अपनी अय्याशी और जुए का केंद्र बना लिया है। शराब के नशे में चूर इन गुंडों की वजह से इस क्षेत्र में रहना मुश्किल  हो गया है।

रात-दिन यहाँ जुआरियों का जमावड़ा लगा रहता है और नशे की हालत में मार-पीट और गाली-गलौज आम हो गया है। बहु-बेटियों और बच्चों का तो इस राह पर निकलना बंद हो गया है। इसलिए आम नागरिकों को असुविधा का सामना कर पड़ रहा है।

महोदय, मैं इस पत्र के माध्यम से आपसे अनुरोध करती हूँ कि कृपया इस मामले को गंभीरता से देखें। आपसे मेरा  निवेदन है कि आप इस मकान से इन असामाजिक तत्वों को जल्द से जल्द निकलवाने का प्रबंध करे। आवश्यकता पड़ने पर इन सभी कानून से खिलवाड़ करने वालों को सलाखों के पीछे डालें ताकि स्थानीय जनता शांतिपूर्ण जीवन जी सके।

आपकी इस कृपा के लिए सभी कॉलोनी निवासी आपके सदा आभारी रहेंगे।

धन्यवाद सहित,

भवदीया,
प्रतिमा सिंह,
कनलोग कॉलोनी,
बेमलोई, शिमला ( हि .प्र.) ।


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अपने गाँव या मोहल्ले में नियमित विद्युत व्यवस्था ठीक करने के लिए सहायक विद्युत अभियंता को एक अनुरोध पत्र लिखें।

विद्यालय में पेयजल की सुविधा सुचारू रूप से उपलब्ध करवाने के लिए अपने प्रधानाचार्य को एक पत्र लिखिए

 

चंडीगढ़ के रॉक गार्डन का अनुभव डायरी में लिखिए।

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डॉयरी लेखन

चंडीगढ़ के रॉक गार्डन का भ्रमण

 

दिनांक : 15 मार्च 2024
समय : 9 बजे रात्रि

चंडीगढ़ का रॉक गार्डन प्राकृतिक सुंदरता की एक अनोखी विरासत है। यह चंडीगढ़ शहर में 40 एकड़ में फैला हुआ एक विशाल उद्यान है, जो चंडीगढ़ में कैपिटल कॉम्पलेक्स और सुखना झील के पास स्थित एक उद्यान है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण यह एक अद्भुत विरासत बन गया है।

एक बार हमें भी चंडीगढ़ के रॉक गार्डन जाने का अवसर मिल। रॉक गार्डन का भ्रमण करना एक अद्भुत अनुभव बन गया। यह रॉक गार्डन अंग्रेजों के समय बनवाया गया था। इस रॉक को गार्डन में पशु-पक्षी, मानव तथा कई अन्य तरह की अमूर्त आकृतियों को रूप देते हुएं पत्थर हैं। इसीलिए इसे रॉक गार्डन कहा जाता है।

रॉक गार्डन बेहद बड़ा था और हमने वहां पर 4 घंटे से अधिक का समय बिताया। पूरे रॉक गार्डन की संरचना अनोखी कल्पनाशीलता का उदाहरण थी। रॉक गार्डन का छोटा सा प्रवेश द्वार विनम्रत प्रदर्शित करने का सूचक बन गया था।
पूरे रॉक गार्डन घूमने के दौरान हमें अलग-अलग आकारों वाले अनेक तरह के द्वारों द्वारा सड़कों और गलियों से होकर गुजरना पड़ा। हर द्वार, सड़क या गली किसी एक नए आंगन या कमरे में जाकर खुलती थी और हर आंगन, कमरे और कोने पर रहस्य और जिज्ञासा का माहौल रहता था।

40 एकड़ में पहले गए इस पूरे उद्यान को बिल्कुल सुव्यवस्थित तरीके से सजाया गया था। गार्डन में जगह-जगह चट्टानों, शिलाखंडो, टूटे हुए चीनी मिट्टी के बर्तनों, कांच की टूटी हुई चूड़ियों, इमारत आदि के अवशेषों तथा मिट्टी की कई अनेक तरह की अद्भुत आकृतियां जगह-जगह दिखाई दे रही थी, जो गार्डन को एक अद्भुत दुख प्रदान कर रही थी।

यह सभी आकृतियों देखकर हम अपने इतिहास की कल्पनाशीलता के अनेक के दौर में पहुंच गए। अलग-अलग पत्थरों से बनी अलग-अलग संरचनाओं को देखकर कब हमारे चार घंटे भी बीते, हमें पता ही नहीं चला। शाम का अंधेरा होने को आ गया था और हमने वहां से विदा लेने का निश्चय किया। रॉक गार्डन का यह अनुभव बेहद अद्भुत रहा।

महिमा शर्मा,
चंडीगढ़ ।

 

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दादा जी के जन्मदिन का वर्णन करते हुए डायरी लेखन करिए।

प्रौद्योगिकी इतनी आगे बढ़ चुकी है कि इनसानों की जगह मशीनें लेती जा रही हैं। अपने विचार लिखिए।

 

दुर्गा पूजा त्योहार की शुभकामनाएँ देते हुए मित्र को संदेश लिखिए।

संदेश लेखन

दुर्गा पूजा पर मित्र को शुभकामना संदेश

 

 

प्रिय मित्र नकुल,

लाल रंग की चुनरी से सजा है, माता रानी का दरबार,
हर्षित है मन और पुलकित है, सारा संसार,
अपने पावन चरणों से माँ आए आपके द्वार,

मेरी और मेरे परिवार की तरफ से तुम्हें और तुम्हारे परिवार को दुर्गा पूजा त्योहार की ढेर सारी शुभकामनाएँ।
मैं माँ दुर्गा से तुम्हारे कुशलता की मंगल कामना करता हूँ।

माना जाता है कि नवरात्री में माँ दुर्गा की आराधना करने वह जल्दी प्रसन्न हो जाती है और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती है। हम सभी हिंदुओं के लिए दुर्गा पूजा का बहुत ही महत्व है।

दुर्गा पूजा को बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। हमारे घर में भी दुर्गा पूजा की तैयारी खूब ज़ोर-शोर से चल रही है। माँ दुर्गा से मेरी बस यही प्रार्थना है कि वह हम सब की रक्षा करें और हमें सद्बुद्धि प्रदान करें ताकि हम जीवन में हमेशा सत्य के मार्ग पर चलें।

तुम्हारा मित्र,
वैभव


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गिटार और सितार के बीच एक काल्पनिक संवाद लिखिए।

कवि और कोयल के वार्तालाप का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।

 

गिटार और सितार के बीच एक काल्पनिक संवाद लिखिए।

संवाद लेखन

गिटार और सितार के बीच संवाद

गिटार : सितार भाई कैसे हो?

सितार : मैं, ठीक हूँ, आप कैसे हो?

गिटार : मैं रोज़ थक जाता हूँ, सुबह से शाम तक सब सीखने आते है।

सितार : भाई, बहुत अच्छी बात है। तुम इसी कारण व्यस्त रहते हो। आज के समय में कोई सितार सीखने नहीं आता हैं।

गिटार : यह तो सही कहा, आज के समय में सब मॉडर्न हो गए है।

सितार : सही कहा, आज के समय में वेस्टर्न तौर-तरीके अपना रहे हैं।

गिटार : छोटे-छोटे बच्चे भी गिटार सीखने आते हैं।

सितार : पहले के समय में सब सीखते थे, सब संगीत का सम्मान करते थे।

गिटार : ऐसा इसलिए है, क्योंकि अब बहुत से लोग कला का मज़ाक बनाते हैं। दिखावे के लिए सीखते है।

सितार : यह बात एक दम सही है। आज लोग संगीत को साधना की दृष्टि से नही सीखते केवल टाइम पास करने के लिए सीखते हैं।


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इस गर्मी की छुट्टियों में आप योग कक्षाएँ ज्वाइन करने वाली हैं। इस पर अपने पिता जी की सलाह लेने हेतु उनके साथ एक संवाद करो।

जब खेल के पीरियड में मैथ की टीचर पढ़ाने आ गयी तो दो बच्चों के बीच हुए संवाद को लिखें।

ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में क्या है A. अपार श्रद्धा B. घृणा C. नफरत D. कुछ भी नही?

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सही उत्तर होगा :

A. अपार श्रद्धा

 

स्पष्टीकरण :

ठाकुर बारी के प्रति गाँव के लोगों के मन में अपार श्रद्धा के भाव है। ठाकुर बारी को गाँव के लोग एक पवित्र जगह मानते थे। इसी कारण ठाकुरबारी जो आरंभ में एक छोटा सा मंदिर थी, वह एक विशाल भवन में परिवर्तित हो गई थी। लोग श्रद्धा भाव के कारण ठाकुरबारी में दिल खोलकर दान देते थे। जिस किसी की भी मनोकामना पूर्ण हो जाती वह अपने खेत का एक छोटा सा हिस्सा ठाकुरबारी को दान देता था। इसके अलावा ठाकुरबारी में अनेक तरह का चढ़ावा आता था। दूर-दूर से लोग ठाकुरबारी में अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए आते थे। जिन लोगों की मनोकामना पूरी हो जाती तो वह ठाकुर बारी के ठाकुर जी (भगवान) कृपा मानते थे।

संदर्भ पाठ :

‘हरिहर काका’ मिथिलेश्वर द्वारा रचित पाठ है, जिसमें उन्होंने हरिहर काका नामक एक वृद्ध व्यक्ति की व्यथा का वर्णन किया है। हरिहर काका निःसंतान है। उनकी पत्नी का भी देहांत हो चुका है। वह अपने भाईयों के परिवार के साथ रहते हैं। उनके पास काफी संपत्ति है उनके भाइयों की नज़र उनकी संपत्ति पर है इसी कारण में हरिहर काका की खूब सेवा करते हैं, लेकिन वह केवल अपने स्वार्थ के कारण ही हरिहर काका की सेवा करते हैं, और उनकी संपत्ति हड़प लेना चाहते हैं। ठाकुरबारी गाँव का एक मंदिर है। इसके प्रति लोगों के मन में अपार श्रद्धा है, लेकिन उसके महंत भी हरिहर काका की संपत्ति पर अपनी कुदृष्टि जमा हुए हैं।मेरे साथ फिल्म फेयर अवार्ड का सबसे पुराना प्राइवेट अवार्ड है इसे 1954 से टाइम्स आफ इंडिया ग्रुप की मैगजीन फिल्मफेयर की तरफ से किया जाता है जैसे फेमिना मिस इंडिया ही आयोजित करता है ।


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निंदक का कष्ट बढ़ता जाता है क्योंकि…?

कवि और कोयल के वार्तालाप का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।

तिल पपड़ी में कौन सा समास होगा?

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तिल पपड़ी का समास विग्रह :

तिल पपड़ी : तिल की पपड़ी

समास भेद : तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास का उपभेद : संबंध तत्पुरुष समास

 

स्पष्टीकरण :

तत्पुरुष समास की परिभाषा के अनुसार जब दोनों पदों में दूसरा पद प्रधान हो तो वहाँ तत्पुरुष समास होता है।
संबंध तत्पुरुष में दो पदों के बीच संबंध दर्शाया जाता है। इस संबंध को ‘का’ या ‘की’ योजक चिन्हों से प्रदर्शित किया जाता है।

तत्पुरुष समास के कुछ उदाहरण

• मोहबंधन : मोह का बंधन
• प्रसंगोचित : प्रसंग के अनुसार
• राजकन्या : राजा की कन्या
• देवालय : देव का आलय

समास से तात्पर्य शब्दों के संक्षिप्तीकरण से होता है। हिंदी व्याकरण की भाषा में समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जब दो या दो से अधिक पदों का संक्षिप्तीकरण करके एक नवीन पद की रचना की जाती है।


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‘जलभराव’ में कौन सा समास आएगा ?

जलहीन में कौन सा समास है?

शिक्षिका, अध्यापिका, पाठिका का संधि-विच्छेद करो।

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शिक्षिका, अध्यापिका, पाठिका का संधि-विच्छेद इस प्रकार है…

शिक्षिका = शिक्षक + इका
संधि भेद = व्यंजन संधि

अध्यापिका = अध्यापक + इका
संधि भेद = व्यंजन संधि

पाठिका = पाठक + इका
संधि भेद = व्यंजन संधि

संधि विच्छेद के बारे में जानने से पहले आइए पहले संधि क्या है यह जान लेते हैं।

संधि की परिभाषा

संधि का अर्थ है मेल अर्थात जब दो वर्ण आपस में मिलते हैं और उससे विकार उत्पन्न होता है तो उसे संधि कहते हैं।

जैसे – हिम + आलय = हिमालय

आइए अब जानते हैं संधि विच्छेद के बारे में…

संधि विच्छेद

संधि विच्छेद का अर्थ है तोड़ना या फिर अलग–अलग करना अर्थात किसी शब्द के वर्णों को दो या दो से अधिक भागों में विभाजित करना संधि-विच्छेद कहलाता है।
सुरेश = सुर + ईश
विद्यालय = विद्या + आलय


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चक्षुर्दानम् संधि विच्छेद क्या होगा?

‘जलभराव’ में कौन सा समास आएगा ?

 

इस गर्मी की छुट्टियों में आप योग कक्षाएँ ज्वाइन करने वाली हैं। इस पर अपने पिता जी की सलाह लेने हेतु उनके साथ एक संवाद करो।

संवाद लेखन

योग कक्षा पर पिता और पुत्री के बीच संवाद

 

पुत्री : पिता जी, मैं आपसे कुछ ज़रूरी बात करना चाहती हूँ। मैं एक सलाह लेना चाहती हूँ।

पिता : हाँ-हाँ! बोलो बेटा, किस बारे में सलाह चाहती हो।

पुत्री : पिता जी, हमारी गर्मी की छुट्टियाँ शुरू होने वाली है और मैं चाहती हूँ कि मैं इन छुट्टियों का सदुपयोग करूँ।

पिता : (पुत्री की तरफ खुशी से देखते हुए ) बिल्कुल सही कहा बेटा, समय का सदुपयोग करना चाहिए। क्या तुमने कुछ सोचा है कि तुम्हें क्या करना है?

पुत्री : जी पिता जी, मैंने सोचा है कि मैं योग कक्षाएँ ज्वाइन कर लेती हूँ।

पिता : (हैरानी से) योग कक्षाएँ! वो क्यूँ?

पुत्री : पिता जी, आजकल गर्मी बहुत हो रही है। ऐसे में लोग घरों से बाहर नहीं जा पाते है। शारीरिक गतिविधियाँ कम हो जाती हैं और बैठे-बैठे कई तरह की बीमारियाँ लग जाती हैं। अगर इन बीमारियों से अपने-आप को बचना है तो योग से बढ़कर कुछ भी नहीं है।

पिता : (चिंता करते हुए) सही कहा तुमने, लेकिन मैं तुम्हारी इस बात से पूरी तरह से सहमत हूँ। पर तुम यह सब करोगी कैसे? इतनी गर्मी में बाहर कैसे जाओगी?

पुत्री : (समझाते हुए) पिताजी आप चिंतित न हों, क्यूंकि मुझे कहीं भी बाहर जाने की ज़रूरत नहीं है। क्यूंकि मैं ऑनलाइन (online) क्लास लूँगी। मेरी सेहत के लिए भी अच्छा है।

पिता : ठीक बेटा, तुमने बहुत अच्छा सोचा है। कब से ज्वाइन करने वाली हो योग कक्षाएं?

पुत्री : पिताजी, मैं आज शाम को फार्म भर दूंगी और कल से ही क्लास ज्वाइन कर लूंगी।

पिता : ठीक है बेटा।


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दिल्ली की मेट्रो ट्रेन के चलते हुए सुविधा हुई । इस विषय पर आशिष और सपना के बीच बातचीत में संवाद लेखन लिखें।

आप उदयपुर घूमने जा रहे हैं, इसलिए रेलगाड़ी का टिकट ख़रीदते समय आपके और रेलवे कर्मचारी के मध्य जो वार्तालाप हुआ उसे संवाद-शैली में लिखिए।

अपने गाँव या मोहल्ले में नियमित विद्युत व्यवस्था ठीक करने के लिए सहायक विद्युत अभियंता को एक अनुरोध पत्र लिखें।

औपचारिक पत्र

विद्युत व्यवस्था ठीक करने के लिए सहायक विद्युत अभियंता को अनुरोध पत्र

 

दिनांक : 23 सितंबर 2023

सेवा में,
सहायक विद्युत अभियंता,
हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड,
बिलासपुर (हि. प्र.)

विषय – विद्युत व्यवस्था ठीक करने हेतु पत्र

मान्यवर, मैं पूरे सम्मान के साथ आपका ध्यान अपने मोहल्ले की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। गर्मियों के आते ही बिजली संकट ने अपना उग्र रूप धारण कर लिया है। एक ओर किसान तो दूसरी ओर कारखाने के मालिक अत्यंत परेशान हैं। सड़कों पर रात को भी अंधेरे का साम्राज्य छाया रहता है। घरों में बिजली ना होने के कारण घर में औरतें भी अपना काम ठीक से नहीं कर पाती हैं।

चोर–डाकू व असामाजिक तत्व किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं। हमारी वार्षिक परीक्षाएं भी निकट है। प्रकाश के अभाव में हम वार्षिक परीक्षा की तैयारी भी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में हम अच्छे अंक नहीं ले पाएंगे। हमारा भविष्य संकट में है।

अतः आपसे प्रार्थना है कि आप कृपया करके सड़क के किनारे लगे खंभों पर बल्ब लगवाएं तथा दूसरी ओर घरों में उचित रोशनी की व्यवस्था करवाएं ताकि छात्र अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकें।
धन्यवाद,

भवदीय,
राम कुमार
निवासी – मोहल्ला अयोध्या,
बिलासपुर (हि. प्र.) ।


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विद्यालय में पेयजल की सुविधा सुचारू रूप से उपलब्ध करवाने के लिए अपने प्रधानाचार्य को एक पत्र लिखिए

आपकी कॉलोनी के पास मटन शॉप खुली है, जिसकी वजह से नागरिकों के असुविधा होती है। इस मटन शॉप हटाने हेतु शिकायत पत्र कैसे लिखें?

अपने मित्र को पत्र लिखकर बताइए कि सर्दी की छुट्टियां कैसे बिताई?

अनौपचारिक पत्र लेखन

सर्दी की छुट्टियों के संबंध में मित्र को पत्र

 

संकटमोचन कॉटेज,
मकान नंबर 36, भिवंडी, हरियाणा

प्रिय मित्र राकेश,

आशा करता हूँ कि तुम अपने परिवार के साथ देहरादून में स्वस्थ होंगे और सर्दी की छुट्टियों का आनंद उठा रहे होंगे। राकेश, मैं भी ठीक हूँ और मैंने यहाँ पर एक प्रशिक्षण संस्थान में एक महीने के लिए एडमिशन ले ली है।
राकेश, इस बार छुट्टियों में मैं अपने परिवार के साथ शिमला घूमने गया था और बस दो दिन पहले ही वहाँ से वापिस लौटा हूँ। शिमला बहुत ही सुन्दर जगह है और यह सच ही कहा जाता है कि हिमाचल एक देवभूमि है , क्योंकि पूरा प्रदेश मंदिरों से घिरा हुआ है।

मैं शिमला में सबसे पहले हनुमान जी के मंदिर दर्शन के लिए गया और वहाँ पर भगवान हनुमान की 108 फुट ऊंची प्रतिमा के दर्शन किये। यह प्रतिमा बहुत भव्य और सुन्दर बनाई गई है। उसके बाद मैं कुफ़री भी घूमने गया।

यह शिमला शहर से 17 किलोमीटर दूरी पर है और यह बहुत ही दर्शनीय स्थल है। वहाँ पर बर्फ पड़ी हुई थी और हमने बर्फ का आनंद लिया। मैंने और मेरी छोटी बहन ने बर्फ का पुत्र भी बनाया। अगले दिन हम सब एक एतिहासिक जगह देखने गए। यह जगह  इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीस थी । यह सच में बहुत सुन्दर जगह थी। यहाँ की बिल्डिंग है वो ब्रिटिश इंडिया के समय की है लेकिन उसे देख कर कोई कह नहीं सकता कि यह इतनी पुरानी होगी। फिर हमने संकटमोचन और तारा देवी मंदिर के दर्शन किये।

शिमला के लोग बहुत ही सभ्य और ईमानदार हैं और हमें कहीं भी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई। इस दौरान हमने शिमला के माल रोड की भी सैर की और राकेश एक बात बताऊँ यह ऐसी जगह थी जहां हर समय लोगों की भीड़ ही दिखती थी और सब शिमला शिमला के शीतल और स्वच्छ मौसम का मजा लेते देखे जा सकते हैं। मैंने शिमला स्थित प्रसिद्ध गेटी थिएटर का भी भ्रमण किया। यह वही थिएटर है, दोस्त जहां पर हर वर्ष बहुत से नाटकों का मंचन होता है और बहुत सी हिन्दी फिल्मों को भी इस थिएटर में फिल्माया गया है।

मैंने हिमाचल के प्रादेशिक व्यंजनों का भी इस दौरे के दौरान आनंद लिया। शिमला बहुत ही सुन्दर और आध्यात्मिक शहर है और यहाँ का भ्रमण करके मैं तो भावविभोर हो गया। मैं तुम्हें भी सलाह दूंगा कि तुम भी शिमला शहर जरूर घूमने जाना और यहाँ की सुन्दर वादियों का आनंद उठाना। अब तो छुट्टियाँ भी समाप्त होने को हैं और जल्द ही हम स्कूल में मिलेंगे। तुम अपना ध्यान रखना और अपने माता-पिता जी को मेरा प्रणाम कहना।

तुम्हारा प्रिय मित्र,
भावेश


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विद्यालय में वार्षिक महोत्सव मानने हेतु प्राचार्य को प्रार्थना पत्र लिखे।

विद्यालय में पेयजल की सुविधा सुचारू रूप से उपलब्ध करवाने के लिए अपने प्रधानाचार्य को एक पत्र लिखिए

निंदक का कष्ट बढ़ता जाता है क्योंकि…?

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निंदक का कष्ट बढ़ता चला जाता है, क्योंकि निंदक जिसकी निंदा करता है, उसकी अच्छाई को बढ़ते हुए देखा नहीं सकता। यदि निंदक देखता है कि जिसकी वह निंदा कर रहा है उसके साथ कुछ अच्छा हो रहा है तो वह उसकी और अधिक निंदा करता है। फिर व्यक्ति के साथ और अच्छा होने पर निंदक का कष्ट बढ़ता चला जाता है। उसे यह सहन नहीं होता कि जिसकी वह निंदा कर रहा है, जिसमें उसे बुराई नजर आ रही है, वह इतना अधिक सुखी क्यों है? इतना प्रसन्न क्यों है?

लेखक के अनुसार निंदक अपने कर्मों से स्वयं को ही दंडित करता है। वह अपनी ईर्ष्या व द्वेष से पीड़ित रहता है। इसलिए निंदक को कोई भी दंड देने की जरूरत नहीं। निंदक जिसकी निंदा में संलग्न है, उसके साथ कुछ भी अच्छा होते देखकर वह ईर्ष्या के कारण चैन से रह नहीं पाता। व्यक्ति के साथ अच्छा होता है तो निंदक का कष्ट बढ़ता ही चला जाता है।

उदाहरण के लिए कवि ने कोई अच्छी कविता लिखी तो उसकी निंदा करने वाला निंदक ईर्ष्या से ग्रस्त हो जाएगा और उसकी निंदा करने लगेगा। यदि कवि उससे भी अच्छी एक और कविता लिख देता है तो निंदक का कष्ट और अधिक बढ़ जाएगा। इस तरह निंदा कभी भी किसी की अच्छाई को सहन नहीं कर पाता।

 


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दादा जी के जन्मदिन का वर्णन करते हुए डायरी लेखन करिए।

डायरी लेखन

दादाजी के जन्मदिन का वर्णन

 

दिनांक 10-3-2024,
समय 9:30 रात्रि,

प्रिय डायरी, मैंने आज अपने दादा जी के जन्मदिन पर उनके कमरे को इतने खूबसूरत तरीके से सजाया कि घर के सभी सदस्य उसे देखकर आश्चर्यचकित हो गए थे। ये सब मैंने और मेरी बहनों ने मिलकर किया था । हमने व्हाइट फारेस्ट चॉकलेट वाला केक, जो दादा जी का सबसे पसंदीदा केक है, मँगवाया और उसे मोमबत्तियों से अच्छी तरह सजाया ।

इसके बाद हम दादा जी की आँखों पर पट्टी बांध कर उन्हें मे लेकर आए, उन्होंने कमरे को चारों तरफ देखा और वहाँ की सजावट को देखकर उनकी आँखों में आँसू आ गए। फिर हमने केक को मोमबत्तियों से सजाया और दादा जी ने केक पर लगी मोमबत्तियों को फूंक मार कर बुझाया और हैप्पी बर्थडे गीत के साथ केक को काटा।

इसके बाद घर के सभी सदस्यों ने उन्हें शुभकामनाएं दी और खूब सारे उपहार भी दिए। मेरी माँ ने जन्मदिन की पार्टी में उपस्थित सभी लोगों को केक और नाश्ता खाने को दिया। हमने जन्मदिन पर खेले जाने वाले विभिन्न खेलों और पहेलियों की योजना बनाई थी।

हम सभी ने मिलकर म्यूजिकल चेयर का आनंद लिया, पार्सल गेम खेला, और हमारी पहेली वाली गेम सबसे दिलचस्प रही। पहेली के हर पहलू को सुलझाने के बाद एक उपहार भी दिया गया। हमने खूब मज़े किए और अलग-अलग गानों पर डांस भी किया। हम सभी ने बहुत मस्ती की। सच में आज का दिन बहुत यादगार रहा। दादाजी के चेहरे की तो खुशी देखते ही बनती थी। उनके खुशी देखकर हमें सच में मजा आ गया।

सुमित


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यात्रा के अनुभव तथा रोमांच का वर्णन करते हुए एक प्रस्ताव लिखिए।

स्वयं को सरदार शहर निवासी ‘दिनकर’ मानते हुए शैक्षिक भ्रमण का वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें।

वकालत के साथ-साथ मुंशीराम आर्य समाज के किन कामों में लगे रहते थे?

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वकालत के साथ-साथ मुंशीराम आर्य समाज के अन्य कई कामों में भी लगे रहते थे। उन्होंने कन्याओं की अच्छी शिक्षा के लिए पाठशाला खोली। इसके अलावा उन्होंने जाति-पाति के बंधनों को तोड़ने के लिए अपनी पुत्री का विवाह अपने जाति के बाहर के समाज में किया। वह दलितों के उद्धार के लिए भी अनेक कार्य करते रहते थे। उन्होंने आर्य समाज के अंतर्गत अनेक तरह के शास्त्रार्थ किए और वेद ग्रंथादि का महत्व समझाया। इसके अलावा उन्होंने शुद्धि आंदोलन भी चलाया। इस तरह मुंशी राम वकालत के साथ-साथ आर्य समाज के अलग-अलग कामों में भी लगे रहते थे।

संदर्भ पाठ

नैतिक शिक्षा (कक्षा 7, पाठ 11 – स्वामी श्रद्धानंद)


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विद्यालय में वार्षिक महोत्सव मनाने हेतु प्राचार्य को प्रार्थना पत्र लिखें।

औपचारिक पत्र

वार्षिक महोत्सव मनाने हेतु प्रधानाचार्य को पत्र

दिनांक – 24/2/2022

सेवा में, श्रीमान प्रधानाचार्य,
राजकीय इंटर कॉलेज,
कानपुर (उ.प्र.)

विषय : विद्यालय में वार्षिक महोत्सव मनाने हेतु पत्र ।

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय,

हम राजकीय विद्यालय के नवीं कक्षा के छात्र हैं । जैसा कि विदित है कि पिछले दो सालों से कोरोना के कारण हमारे विद्यालय बंद रहे और इस कारण किसी भी प्रकार की कोई भी गतिविधियाँ नहीं हो पाई और स्कूल खुलने के बाद भी सामाजिक दूरी बनाए रखने की आवश्यकता के कारण भी विद्यालय में कोई भी कार्यक्रम नहीं हो पाया है। अब कोरोना पर नियंत्रण पा लिया गया है और अब तो सभी का टीकाकरण भी हो चुका है।

हमारा यह इस विद्यालय में आखिरी वर्ष है। फिर तो हम अगले साल अलग-अलग कॉलेज में चले जाएंगे। फिर पता नहीं कि हम एक दूसरे से मिल भी पाएंगे या नहीं। इसलिए मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप हमें वार्षिक महोत्सव मनाने की अनुमति प्रदान करें ।

धन्यवाद सहित,

प्रार्थी,
कक्षा-9 के समस्त विद्यार्थी
कक्षा- 9 (ब)
राजकीय विद्यालय (कानपुर)


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प्रौद्योगिकी इतनी आगे बढ़ चुकी है कि इनसानों की जगह मशीनें लेती जा रही हैं। अपने विचार लिखिए।

विचार लेखन

प्रौद्योगिकी के प्रभाव और दुष्प्रभाव

 

प्रौद्योगिकी अब इतना आगे बढ़ चुकी है कि इंसानों की जगह मशीनें ले चुकी है। इस बात में जरा भी संदेह नहीं है। आज हम चारों तरफ प्रौद्योगिकी का प्रभाव देख रहे हैं। प्रौद्योगिकी ने हमारे जीवन में इस कदर गहरी पैठ बना ली है कि हम प्रौद्योगिकी पर अत्याधिक निर्भर हो चुके हैं। पहले जो काम करने में हमें घंटो लगते थे, अब हम मिनटो में मशीनों की सहायता से हो जाते हैं। इसी कारण प्रौद्योगिकी के कारण इंसानों की जगह मशी लेती जा रही हैं, क्योंकि मशीनों द्वारा प्रौद्योगिकी की सहायता से हम लंबे समय में किए जाने वाले कार्य को थोड़े समय में ही संपन्न कर ले पा रहे हैं।

अगर कपड़े धोने की बात आए तो हम अब हाथ से कपड़े धोने की जगह वॉशिंग मशीन पड़ने पर निर्भर हो गए हैं। बर्तन धोने के लिए डिश वाशर का प्रयोग करते हैं। किसी इमारत में ऊपरी मंजिल पर चढ़ने के लिए सीढ़ियों की जगह अब लिफ्ट का उपयोग करते हैं। रसोई घर में मसाला पीसने के लिए मिक्सर का प्रयोग करते हैं। इसी तरह दैनिक जीवन के रोजमर्रा के कार्यों में इंसान जो काम खुद अपने हाथ से करता था, वह अब मशीनों के माध्यम से करने लगा है।

प्रौद्योगिकी के विकास के कारण मशीनों द्वारा इंसान का जगह लिए जाने के लाभ हैं तो इससे अधिक हानियाँ भी हैं। मशीनों द्वारा कार्य जहाँ हमारे समय की बचत होती है, यही एकमात्र लाभ है तो वहीं अनेक हानियाँ हैं। अब इंसान की शारीरिक गतिविधि कम हो गई है और वो आराम पसंद हो गया है, जो उसके लिए तरह-तरह के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं उत्पन्न करने का कारण बन रहा है।

मानव की जीवन शैली बिगड़ती जा रही है और वह मशीनों पर अत्याधिक निर्भर होने के कारण अपने खान-पान और जीवनशैली को दूषित कर चुका है। स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है, वही उनके पास नहीं रहेगा तो मशीन द्वारा जल्दी जल्दी काम निपटाकर समय की बचत करने का भी कोई औचित्य नही है।


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विद्यालय में पेयजल की सुविधा सुचारू रूप से उपलब्ध करवाने के लिए अपने प्रधानाचार्य को एक पत्र लिखिए

औपचारिक पत्र लेखन

विद्यालय में पेयजल की सुविधा सुचारू रूप से उपलब्ध करवाने हेतु प्रधानाचार्य को पत्र

 

दिनांक : 24 फ़रवरी  2024

 

सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य जी,
राजकीय उच्च विद्यालय,
कसौली

विषय : पेयजल की सुविधा उपलब्ध करने हेतु।

 

आदरणीय प्रधानाचार्य  सर,

निवेदन यह है कि पिछले महीने लोक निर्माण विभाग से संबंधित ‘जल विभाग’ के अधिकारी इस विद्यालय से पीने के पानी (पेयजल) का नमूना लेकर गए थे, जो गुणवत्ता की दृष्टि से पीने अयोग्य ठहराया गया। उसी दिन से विद्यालय में पीने के पानी की समस्या बनी हुई है। कुछ छात्र तो अपने घरों से पीने के पानी की बोतलें लेकर आते हैं और जब पानी खत्म हो जाता है तो आपस में पानी के छीना–झपटी करते हैं।

‘जल विभाग’ वाले छात्रों के लिए केवल दो ही पानी के टैंकर भेजते हैं, जोकि  पूरे विद्यालय के छात्रों की प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त नहीं है।

यहाँ से केवल दो सौ मीटर की दूरी पर ‘जल विभाग’ की पीने के पानी की पाइप लाइन गुज़रती है । यदि वहाँ से विद्यालय के लिए पानी का कनेक्शन ले लिया जाए तो पानी की समस्या हल हो सकती है।
अतः आपसे निवेदन है कि आप ‘जल विभाग’ के अधिकारियों से बात करें और छात्रों के लिए पेय जल की सुविधा सुचारु रूप से उपलब्ध करवाएं।

धन्यवाद सहित,

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
राजेन्द्र कुमार,
कक्षा नवीं ‘ब,’
राजकीय विद्यालय, कसौली


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आपका नाम आरव/मनीषा है। आपका मित्र मंच पर बोलने से घबराता/घबराती है। उसे विद्यालय के प्रोजेक्ट वॉइस ‘ में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करते हुए पत्र लिखिए।

तहसील में जल संकट के कारण जल व्यवस्था हेतु अतिरिक्त बजट की मांग के लिए अपने जिलाधिकारी उदयपुर को पत्र लिखे।

यात्रा के अनुभव तथा रोमांच का वर्णन करते हुए एक प्रस्ताव लिखिए।

यात्रा वृत्तांत

पर्वतीय स्थल की यात्रा का रोमांच का वर्णन

 

यात्रा का अर्थ, यानि की अपनी जगह से कई दूर घूमने फिरने के लिए जाना ताकि हम अपनी इस भाग दौड़ भरी जिंदगी से कुछ समय के लिए निजात पा सकें और अपने परिवार और प्रियजनों को समय दे सकें।

यात्रा से व्यक्ति को बहुत अच्छा महसूस होता है और सभी के साथ मिल जुलकर रहने का अच्छा समय भी मिलता है। यात्राओं का जीवन में अपना एक अलग ही महत्व है। व्यक्ति एक ही स्थान पर रह कर ऊब जाता है। उसमें कार्य करने की क्षमता तथा रूचि का ह्रास होता रहता है । ऐसे में पर्वतीय स्थान की यात्राएँ उसके जीवन की नीरसता एवं बोझिलता को कम करके उसे फिर से अपने कार्य में जुटने के लिए रामबाण सिद्ध होती है।

इस बार मैं अपने परिवार के साथ गर्मी की छुट्टियों में वैष्णवों देवी की यात्रा पर गया था , मेरी यह यात्रा बहुत ही रोमांचपूर्ण रही । जम्मू बस–स्टैंड से कटरा जाने के लिए हमें बस मिल गई वैसे मुझे बस में सफर करना बिल्कुल भी पसंद नहीं है लेकिन उस दिन की बस की यात्रा ज़िंदगी में कभी भी नहीं भूल पाऊँगा।

बस में बैठे यात्रियों की देवी की श्रद्धा थी और वह लोग ज़ोर ज़ोर से बोल रहे थे ‘जयकारा शेरा वाली का’, ‘बोल साँचे दरबार की जी’, ‘सूचियाँ ज्योताँ वाली तेरी सदा ही जी’ जैसे नारों से सारा वातावरण श्रद्धामय हो गया था और सफर कब खत्म हो गया कि पता ही नहीं चला। हम एक घंटे के बाद कटरा पहुँच गए। फिर हमने वहाँ बाण गंगा में स्नान किया और पैदल चलना शुरू कर दिया।

चारों तरफ हरे–भरे ऊँचे–ऊँचे वृक्षों से सजी पहाड़ियाँ को देख कर ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो वह हमें ऊपर आने का निमंत्रण दे रही हों। हमने पैदल चलना शुरू कर दिया और रास्ते में खूब सारी खाने पीने के सामानों की दुकानें थीं। हमने वहाँ से थोड़ा बहुत खाने का समान लिया और जब हम चलते–चलते थक जाते थे रास्ते में बैठ कर थोड़ा खा–पीकर फिर चल पढ़ते थे । तीन घंटे की यात्रा के बाद हम अर्द्ध कुंवारी पहुँचे। यहाँ पर भोजन की और रहने की बहुत ही अच्छी व्यवस्था थी । हम लोग घर से खाना बनाकर ले गए थे। हम सब ने मिलकर खाना खाया। थोड़ा विश्राम करने के बाद हम गर्भ गुफा की ओर बढ़े।

गर्भ गुफा के दर्शनों के लिए यात्री लाइनों में लगे हुए थे। अंदर से चिकने पत्थरों की यह गर्भ गुफा इतनी सँकरी थी कि यात्री इसमें से बाहर निकलने की कल्पना भी नहीं कर सकता परंतु माता की कृपा से प्रत्येक व्यक्ति सकुशल ‘जय माता की’ आवाज़ करता हुआ बाहर निकल रहा था । फिर हम आगे बड़े और भवन के मुख्य द्वार पर पहुँच गए पुजारी जी ने हमें नारियल तथा प्रसाद माँ की भेंट के रूप में दिया । फिर हमने माँ की गुफा के अंदर जाकर पिंडियों के दर्शन किए ।

यहाँ पर पहुँच कर मैं अपने आपको एकदम शांत और संतुष्ट महसूस कर रहा था ऐसा लग रहा था मानो मुझे सब कुछ मिल गया। माँ के दर्शनों के बाद सारी थकान दूर हो गई थी। मेरी यह यात्रा वास्तव में अनूठी एवं चीर स्मरणीय थी।


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विद्यालय में आयोजित खेल कूद प्रतियोगिता पर एक प्रतिवेदन लिखिए।

दक्षेस को सफल बनाने के लिये कोई चार सुझाव दीजिए।​

विद्यालय में आयोजित खेल कूद प्रतियोगिता पर एक प्रतिवेदन लिखिए।

प्रतिवेदन लेखन

विद्यालय में आयोजित खेल कूद प्रतियोगिता पर एक प्रतिवेदन

 

दिनाँक : 15 मार्च 2023

 

कल 14 मार्च को हमारे विद्यालय में खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। खेलकूद प्रतियोगिता में 4 खेलों को प्रतिस्पर्धा में रखा गया था। यह खेल थे, हॉकी, क्रिकेट, कबड्डी और टेनिस। मेरी कक्षा ने हॉकी की टीम ने भाग लिया। कुछ ने क्रिकेट की टीम में भाग लिया। मैंने अपने चार मित्रों के साथ कबड्डी की प्रतिस्पर्धा में भाग लिया।

सबसे पहले 9 बजे से खेलकूद प्रतियोगिता का आरंभ हो गया था। सबसे पहले 9 बजे हॉकी का मैच का आयोजन हुआ। जिसमें तीन टीमों के बीच तीन मैच हुए। फाइनल मैच में टीम A ने टीम B के विद्यार्थियों को हॉकी प्रतिस्पर्धा जीती। उसके बाद क्रिकेट मैच की प्रतियोकिता का आरंभ हुआ। ये T-10 मैच टूर्नामेंट था, यानि 10 ओवरों का मैच था। इसमें भी तीन टीमों के बीच प्रतिस्पर्धा थी। कुल तीन मैच हुए। फाइनल में टीम C ने टीम A को हराकर क्रिकेट की प्रतिस्पर्धा जीती।

दोपहर में लंच आदि का कार्यक्रम हुआ जो विद्यालय की तरफ से ही आयोजित किया गया था। शाम को फिर प्रतियोगिताएं शुरु हुईं।

हमारा कबड्डी का मैच शाम को 4 बजे से आरंभ हुए। हमारी टीम ने अच्छी कबड्डी खेलते हुए एक तरफा मैच जीतकर विपक्षी टीम को चारों खाने चित कर दिया। अंत में टेनिस के मैच का आयोजन किया गया और टेनिस की एकल एवं युगल प्रतिस्पर्धा में आयोजित किए गए।

शाम 7 बजे पुरुस्कार समारोह हुआ और सभी विजेता खिलाड़ियों को पुरस्कार प्रदान किए गए। उसके बाद प्रधानाचार्य खेलकूद के महत्व पर एक स्पीच दी और 7.30 तक सारा कार्यक्रम सम्पन्न हो गया।

 


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प्रौद्योगिकी इतनी आगे बढ़ चुकी है कि इनसानों की जगह मशीनें लेती जा रही हैं। अपने विचार लिखिए।

कवि और कोयल के वार्तालाप का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।

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कवि और कोयल के बीच वार्तालाप का संदर्भ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रस्तुति है, जहाँ पर स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को अंग्रेजों द्वारा जेल में बंद कर उनके साथ दुर्व्यवहार और किया जाता है और अनेक यातनाएं दी जाती हैं।

कवि स्वयं स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जेल में बंद है, जहाँ पर उनके साथ अंग्रेज सिपाहियों द्वारा ना केवल दुर्व्यवहार किया जा रहा था बल्कि उन्हें अनेक तरह की यातनाएँ दी जा रही थी ।

कवि इन यातनाओं से त्रस्त हुए अपनी कोठरी में बंद हैं। जब कोयल की कूक उनके कानों में पड़ती है, तब लगता है, कोयल अर्ध रात्रि में कोई संदेश लेकर आई है और स्वतंत्र सेनानियों को कुछ देना चाहती है। कवि अपनी उदासी और पीड़ा को कोयल के साथ साझा करना चाहते हैं। वह ब्रिटिश शासन की क्रूरता को कोयल को बताते हैं और कोयल को बोलते हैं कि यह समय अभी मधुर गीत गाने का नहीं है बल्कि आज़ादी के गीत गाने का समय है।

जब कोयल की कूक रात के शांत वातावरण में चारों तरफ फैल जाती है, तो कवि को एहसास होता है कि कोयल पूरे देश को अब कारागार के रूप में देखने लगी है। वह कवि सहित केवल कारागार के सेनानियों को ही नही जगाना चाहती बल्कि वह पूरे देश के लोगों को सुप्तावस्था से जागृत अवस्था में जगाने का प्रयास कर रही है।


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दोषों का पर्दाफाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?

‘भूरी-भूरी खाक धूल’ शीर्षक कविता संग्रह किसके द्वारा लिखा गया (A) तुलसीदास (B) रघुवीर सहाय (C) गजानन माधव मुक्तिबोध (D) अशोक वाजपेयी

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इसका सही जवाब होगा

(C) गजानन माधव मुक्तिबोध

 

स्पष्टीकरण :

‘भूरी-भूरी खाक धूल’ शीर्षक कविता संग्रह ‘गजानन माधव मुक्तिबोध’ द्वारा लिखा गया है। यह कविता संग्रह की शैली नई कविता शैली है। यह कविता संग्रह सबसे पहले 1980 में प्रकाशित हुआ था। गजानन माधव मुक्तिबोध हिंदी के एक प्रसिद्ध प्रगतिशील कवि थे, जिन्होंने हिंदी साहित्य की स्वतात्रंयोत्तर प्रगतिशील काव्यधारा को एक नया आयाम दिया। ‘भूरी-भूरी खाक धूल’ कविता संग्रह उनके द्वारा रचित किया गया है, जो सर्वप्रथम 1980 में प्रकाशित किया गया था। इसका नवीनतम संस्करण 2006 में राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया था।


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गुरु ग्रंथ साहिब में किसके कितने पद संग्रहित है ? A. तुलसीदास B. कबीर दास C. रैदास D. नामदेव

आपका नाम आरव/मनीषा है। आपका मित्र मंच पर बोलने से घबराता/घबराती है। उसे विद्यालय के प्रोजेक्ट वॉइस ‘ में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करते हुए पत्र लिखिए।

अनौपचारिक पत्र लेखन

मित्र को प्रेरित करते हुए पत्र

 

दिनांक : 14/3/2024

 

प्रिय मित्र रंजन/रंजना

तुम कैसे हो/कैसी हो? तुम्हें मालूम है कि हमारे विद्यालय में ‘वॉइस’ प्रोजेक्ट चालू है, जिसके अंतर्गत छात्र-छात्राएं मंच पर अपने भाषण कौशल को प्रदर्शित कर सकते हैं। यह उन छात्र-छात्राओं के लिए बेहद उपयोगी प्रोजेक्ट है जो मंच पर बोलने में बेहद संकोच का अनुभव करते हैं। मुझे पता है तुम मंच पर बोलने में बेहद संकोच का अनुभव करते/करती हो। इसीलिए तुम्हें इस प्रोजेक्ट में अवश्य ही भाग लेना चाहिए। इससे तुम्हारी संकोच करने की प्रवृत्ति मिटेगी और मंच पर बोलने में तुम्हें आत्मविश्वास जागेगा।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं इसमें तुम्हारी पूरी तरह मदद करूंगा/करूंगी। तुम मेरे सच्चे/सच्ची मित्र हो। मैं चाहता/चाहती हूँ कि तुम्हारे अंदर का कमजोर आत्मविश्वास मजबूत हो और तुम्हें मंच पर बोलने में किसी भी तरह के संकोच का अनुभव न हो। तुम इस प्रोजेक्ट में आज ही अपना नाम दिखा दो फिर इसका तैयारी और अभ्यास करने में मैं तुम्हारी पूरी तरह मदद करूंगा-करूंगी। हम लोग रोज शाम को 2 घंटा इस प्रोजेक्ट की प्रैक्टिस के लिए दिया करेंगे। आशा है तुम्हें सफलता प्राप्त होगी।


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गांव में फैले संक्रामक रोगों को दूर करने के लिए चिकित्सा अधिकारी को प्रार्थना पत्र कैसे लिखें?

अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए, जिसमें पुस्तकालय में हिन्दी पत्रिकाएँ मँगवाने के लिए निवेदन किया गया हो।

तहसील में जल संकट के कारण जल व्यवस्था हेतु अतिरिक्त बजट की मांग के लिए अपने जिलाधिकारी उदयपुर को पत्र लिखे।

औपचारिक पत्र

जिलाधिकारी को पत्र

 

दिनांक : 7/3/2024

 

गाँव एवं तहसील राजगढ़,
उदयपुर-313806,
राजस्थान

सेवा में,
जिलाधिकारी,
भुदार, उदयपुर- 313802,
राजस्थान

विषय : जल संकट के कारण चरमराती जल व्यवस्था के संबंध में

महोदय,

मैं, महेश कुमार उदयपुर के तहसील राजगढ़ का स्थायी निवासी हूँ और मैं वर्तमान में गाँव का प्रधान भी हूँ। हमारे गाँव में हर वर्ष गर्मियों में पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ता है, लेकिन इस बार तो गर्मी ने सारे पिछले रेकॉर्ड तोड़ दिये हैं और बहुत भयंकर गर्मी बरस रही है। इस बढ़ती गर्मी के कारण, हमारा गाँव बड़े जल संकट से ग्रसित है और पीने तक के पानी के लिए बहुत मुशक्कत करनी पड़ रही है और यह सिलसिला पिछले तीन महीने से चल रहा है।
पिछले हफ्ते तो हमारे गाँव के एक बच्चे को गंदा पानी पीने के कारण संक्रमण हो गया था और उसे अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा।

आप जानते हैं पानी के बिना कोई इंसान जिंदा नहीं रह सकता और इसी कारण जैसा भी मिले, पानी तो पीना ही पड़ेगा। इस बारे में मैंने हमारे जिले के प्रखंड विकास अधिकारी से भी बात की थी और इस समस्या का तुरंत समाधान करने के लिए लिखित में आवेदन भी दिया था।

उन्होंने इस बारे में हमें बताया कि हमारे गाँव के लिए पानी की अतिरिक्त व्यवस्था हेतु जल शक्ति विभाग को पत्र लिखा गया है लेकिन विभाग के अधिकारी यह कह रहे हैं कि उन्होने तहसील राजगढ़ के लिए चार बोरेवेल स्थापित करने का का प्रस्ताव आपके मुख्यालय को भेजा था लेकिन आप के कार्यालय के अधिकारी ने यह लिख कर प्रस्ताव खारिज कर दिया कि विभाग के पास इस कार्य के लिए कोई अतिरिक्त बजट नहीं है और अगर बजट आएगा तो वो कार्य शुरू करवा देंगे।

श्रीमान, आप भी जानते हैं कि हमारे गाँव में 300 के लगभग की आबादी है और सरकार की नयी स्कीम ‘जल जीवन मिशन’ के तहत हर घर में स्वछ जल की सुविधा होनी चाहिए लेकिन हमारे तो पूरे गाँव में कोई एक भी केंद्रीकृत साधन या स्रोत भी नहीं जहां से गाँव वाले पानी की व्यवस्था कर सकें।

इसलिए इस पत्र के माध्यम से आप से अनुरोध है कि कृपया हमारी तहसील में जल संकट की समस्या को मद्देनजर रखते हुए आवश्यक कदम उठाने की कृपा करें और कृपया हमारी तहसील की इस समस्या को दूर करने हेतु अतिरिक्त बजट को स्वीकृत करने की कृपा करें, ताकि संबंधित विभाग इस बाबत तुरंत कार्य शुरू कर सके और हमारी पानी की समस्या दूर हो सके।

धन्यवाद,

प्रार्थी,
महेश कुमार,
प्रधान एवं समस्त राजगढ़ वासी ।


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औपचारिक पत्र

चिकित्सा अधिकारी को पत्र

 

दिनाँक : 12 मार्च 2024

 

सेवा में,
श्रीमान चिकित्सा आधिकारी,
नगर निगम,
शिमला, हिमाचल प्रदेश

विषय : गाँव में फैले संक्रामक रोगों के बाबत

महोदय,
मैं इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान हमारे गाँव में फैले संक्रामक रोगों की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ। हमारे गाँव में हाल ही में बहुत अधिक वर्षा होने के कारण पूरे गाँव में पानी भर गया है और चारों तरफ गंदगी फैल गई है। सड़े–गले पानी और कचरे की वजह से दुर्गंध चारों ओर व्याप्त हो गई है और मक्खी–मच्छर पैदा हो गए हैं, जिसके कारण संक्रमण बहुत अधिक बढ़ता जा रहा है। हमारे पालतू जानवर भी इस संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं और बहुत से जानवर मरते भी जा रहे है। इस संक्रामक रोग के कारण हमारे घरों में बच्चे भी बीमार पड़ रहे हैं।

इसलिए आपसे निवेदन है कि आप हमारे गाँव और इसके आस-पास के क्षेत्र की नियमित सफाई के लिए शीघ्र ही उचित प्रबंध करने की कृपा करें ताकि इस गंदगी से हम सभी गाँव वासियों को छुटकारा मिल सके और संक्रामक रोगों की रोकथाम की जा सके।

सधन्यवाद,

आपका विश्वासी,
रमेश,
गाँव चेओग,
जिला शिमला ।


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अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए, जिसमें पुस्तकालय में हिन्दी पत्रिकाएँ मँगवाने के लिए निवेदन किया गया हो।

मिनी मेट्रो से लगने वाले जाम की शिकायत करते हुए जिलाधिकारी को पत्र लिखिये।

दिल्ली की मेट्रो ट्रेन के चलते हुए सुविधा हुई । इस विषय पर आशीष और सपना के बीच बातचीत में संवाद लेखन लिखें।

संवाद लेखन

दिल्ली की मेट्रो ट्रेन  के चलते हुए सुविधा पर संवाद

 

आशीष : हेलो सपना, कैसी हो? बहुत दिनों बाद मिली हो।

सपना : हेलो आशीष, मैं ठीक हूँ और तुम आज कॉलेज जल्दी कैसे आ गए।

आशीष : मैं आज मेट्रो ट्रेन से आया हूँ।

सपना : (आश्चर्यचकित होती हुई) क्या मेट्रो ट्रेन? तुम्हे तो बहुत महंगा पड़ा होगा।

आशीष : अरे! नहीं–नहीं, मेट्रो के कारण दिल्ली में सफर के समय में कमी आने के साथ–साथ ईधन की बचत व प्रदूषण में कमी आना निश्चित ही, सराहनीय है।

सपना : मुझे तो रेल में सफर करना अच्छा नहीं लगता, क्योंकि रेलवे स्टेशन बहुत गंदे होते हैं।

आशीष : नहीं सपना, मेट्रो स्टेशन रेलवे स्टेशनों की तुलना में अधिक स्वच्छ होते हैं। सपना : अगर मेट्रो ट्रेन ईधन से नहीं चलती तो फिर कैसे चलती है?

आशीष : मेट्रो ट्रेन,  ईधन से नहीं बिजली से चलती है तथा पूरी तरह से प्रदूषण रहित है।  मेट्रो ट्रेन सेवा आवागमन का सबसे अच्छा और सस्ता माध्यम है।

सपना : फिर तो अब मैं भी मेट्रो ट्रेन से ही यात्रा किया करूँगी।


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आप उदयपुर घूमने जा रहे हैं, इसलिए रेलगाड़ी का टिकट ख़रीदते समय आपके और रेलवे कर्मचारी के मध्य जो वार्तालाप हुआ उसे संवाद-शैली में लिखिए।

जब खेल के पीरियड में मैथ की टीचर पढ़ाने आ गयी तो दो बच्चों के बीच हुए संवाद को लिखें।

आप उदयपुर घूमने जा रहे हैं, इसलिए रेलगाड़ी का टिकट ख़रीदते समय आपके और रेलवे कर्मचारी के मध्य जो वार्तालाप हुआ उसे संवाद-शैली में लिखिए।

संवाद लेखन

यात्री और रेलवे कर्मचारी के बीच संवाद

 

यात्री : नमस्कार महोदय।

रेलवे कर्मचारी : नमस्कार। बताइये क्या कर सकते हैं, हम आपके लिए ?

यात्री : श्रीमान जी मुझे 4 दिन बाद उदयपुर जाना है। टिकट की उपलब्धता के बारे में जानना चाहता हूँ।

रेलवे कर्मचारी : कितने लोग जाएंगे?

यात्री : मैं, मेरी पत्नी और मेरे दो बच्चे।

रेलवे कर्मचारी : ठहरिए मैं देखता हूँ।

यात्री : श्रीमान जी, कृपया देखिये, मेरा जाना बहुत जरूरी है।

रेलवे कर्मचारी : भाई अगर टिकट उपलब्ध होगा तो जरूर  देंगे?

यात्री : जी, ठीक है।

रेलवे कर्मचारी : लीजिये, केवल चार ही टिकट बाकी हैं। बताइए दे दूँ?

यात्री : जी दे दीजिये और क्या यह एसी कोच में मिल जाएगी।

रेलवे कर्मचारी: जी, केवल एसी कोच में ही बर्थ बाकी हैं?

यात्री : ठीक है, धन्यवाद, दे दीजिये।

रेलवे कर्मचारी : अपनी, पत्नी और बच्चों की उम्र बताइये?

यात्री : महोदय, मेरी उम्र 42 साल, पत्नी की उम्र 37 साल, एक बेटा 9 साल का और बेटी 14 साल की।

रेलवे कर्मचारी : तो फिर तीन का पूरा और बेटे का आधा टिकट लगेगा?

यात्री : सही है भइया, कितने पैसे दूँ।

रेलवे कर्मचारी: 4600 रुपए मात्र।

यात्री : लीजिये, पूरे 4600 रुपए?

रेलवे कर्मचारी: तो यह लीजिए टिकट और आराम से उदयपुर जाइए।

यात्री : यह उदयपुर की गाड़ी किस प्लैटफ़ार्म से चलेगी?

रेलवे कर्मचारी: प्लेटफ़ार्म 2 से।

यात्री : जी शुक्रिया।

रेलवे कर्मचारी : भारतीय रेल आपकी सेवा में सदैव तत्पर है।


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अध्यापक और शिष्य के बीच संवाद लिखें।

दोषों का पर्दाफाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?

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दोषों का पर्दाफाश करना तब बुरा रूप ले सकता है, जब हम किसी के दोष को उजागर करते हुए उसके दोष में आनंद लें और उसके दोष को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करें। अथवा हम जब किसी के दोष को उजागर करते समय वह व्यक्ति उग्र रूप धारण कर ले और किसी भी तरह से लोगों को हानि पहुंचाने की चेष्टा करें। ऐसी स्थिति में दोषों का पर्दाफाश करना बुरा रूप ले सकता है।

टिप्पणी

‘क्या निराश हुआ जाए’ पाठ में लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी ने यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया है कि इस दुनिया में अभी मानवता और ईमानदारी तथा अच्छाई पूरी तरह मिटी नहीं है और बहुत से अच्छे लोग भी इस दुनिया में हैं, जिनके कारण इस दुनिया में मानवता बची हुई है। इसलिए निराश होने की कोई आवश्यकता नहीं है।

संदर्भ पाठ

‘क्या निराश हुआ जाए’ – हजारी प्रसाद द्विवेदी, (कक्षा-8 पाठ-8)


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क्या आज की तारीख में केक काटकर शिक्षक दिवस मनाया जाना कितना उचित है?

अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए, जिसमें पुस्तकालय में हिन्दी पत्रिकाएँ मँगवाने के लिए निवेदन किया गया हो।

औपचारिक पत्र

विद्यालय के प्रधानाचार्य को हिंदी पत्रिकाएँ मँगवाने  के लिए पत्र

 

दिनाँक : 12 मार्च 2024

 

सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य,
हाई हिल्स स्कूल,
न्यू शिमला ।

विषय : पुस्तकालय में हिन्दी पुस्तकें एवं बाल पत्रिकाएँ मँगवाने हेतु पत्र।

 

आदरणीय प्रधानाचार्य सर,

मैं आपके विद्यालय में कक्षा नवीं का छात्र हूँ और नियमित रूप से पुस्तकालय का उपयोग करता हूँ। यहाँ पर लगभग दो वर्षों से हिन्दी की नई पुस्तकें पुस्तकालय में नहीं आई है। कुछ पुस्तकें तो ऐसी है जो लगभग सभी पुस्तकालय में होनी आवश्यक हैं, परंतु वह भी नहीं है। हिन्दी की बाल पत्रिकाएँ भी उपलब्ध नहीं है। भाषा पर अधिकार के लिए यह आवश्यक है कि पाठ्यक्रम के अतिरिक्त भी पुस्तकें पढ़ी जाएँ। इस प्रार्थना पत्र के साथ कुछ आवश्यक पुस्तकों की सूची भी संलग्न है। आपसे अनुरोध है कि यह पुस्तकें उपलब्ध करवाकर हमारे ज्ञान एवं चिंतन के नवीन दरवाज़े खोलने की कृपया करें।

धन्यवाद सहित,

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
आरिन्दम

पुस्तक – सूची
1. अंधेरे का दीपक – श्री हरिवंशराय बच्चन
2. गोदान – प्रेम चंद
3. कामायनी – जयशंकर प्रसाद


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मिनी मेट्रो से लगने वाले जाम की शिकायत करते हुए जिलाधिकारी को पत्र लिखिये।

औपचारिक पत्र

मिनी मेट्रो से लगने वाले जाम की शिकायत करते हुए जिला अधिकारी को पत्र

 

दिनाँक : 30 अगस्त 2022

सेवा में,
श्रीमान जिलाधिकारी महोदय,
गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

विषय : मिनी मेट्रो फीडर बस के कारण होने वाले जाम की शिकायत

महोदय,

निवेदन इस प्रकार है कि मैं आदर्श नगर कॉलोनी का निवासी हूँ। हमारे नजदीक के मेट्रो स्टेशन का नाम वैशाली है। वैशाली से हमारी कॉलोनी आदर्श नगर आने के लिए और वैशाली के अन्य हिस्सों में जाने के लिए मेट्रो स्टेशन से अनेक मिनी मेट्रो फीडर बस सेवाएं उपलब्ध हैं। लेकिन यह मिनी मेट्रो बस सेवा सुविधा की जगह असुविधा का कारण बन गई हैं। इन मिनी मेट्रो के चालक यातायात के नियमों का कोई पालन नहीं करते औरअधिक से अधिक सवारी को बस में भर लेते हैं। इन मिनी मेट्रो चालक बस को भी जहाँ-तहाँ खड़े कर देते हैं, जिससे अक्सर जाम की शिकायत रहती है।

मिनी मेट्रो सेवा जनता की सुविधा के लिए शुरू की गई थी लेकिन यह आसपास के नागरिकों के लिए असुविधा का कारण बनती जा रही ।है यह लोग 15 मिनट की यात्रा को आधे घंटे में पूरा करते हैं क्योंकि अधिक से अधिक सवारी भरने के लालच में रहते हैं। बीच सड़क पर कहीं भी बस रोकने के कारण दूसरे वाहनों को भी रुकना पड़ता है और जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है। अतः महोदय से निवेदन है कि इन मिनी मेट्रो चालकों पर लगाम लगाई जाए और इन्हें यातायत के नियम पालन करने के साथ उचित सवारी उचित जगह से लेने के लिए सख्त दिशा निर्देश दिए जाएं ताकि अन्य नागरिकों को कोई असुविधा का सामना नहीं करना पड़े और जाम की समस्या उत्पन्न नहीं हो। आशा है, आप मेरी शिकायत पर विचार करेंगे।

धन्यवाद,

भवदीय,
सुभाषचंद्र, आदर्श नगर,
वैशाली, गाजियाबाद ।


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आपकी कॉलोनी के पास मटन शॉप खुली है, जिसकी वजह से नागरिकों के असुविधा होती है। इस मटन शॉप हटाने हेतु शिकायत पत्र कैसे लिखें?

मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को कॉलोनी में फैली गंदगी की शिकायत करते हुए पत्र लिखें।

मातृत्व अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र कैसे लिखे?

औपचारिक पत्र

मातृत्व अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र

 

दिनांक : 24/2/2024

 

रमा कुमारी,
त्रिभुज निवास,
पानीपत, हरियाणा-132103,

सेवा में,
श्रीमान निदेशक
मानव संसाधन विकास मण्डल,
जिला मुख्यालय,
पानीपत-132 104 हरियाणा

विषय: मातृत्व अवकाश के संबंध में।

 

महोदय,

मैं आपको इस आवेदन के माध्यम से सूचित करना चाहती हूँ कि दिनांक 23.2.2024 को मेरे घर में पुत्री ने जन्म लिया है और अब अपनी और उसकी देखभाल हेतु मुझे अगले 6 महीनों के लिए मातृत्व अवकाश की आवश्यकता है।

मैं यह मातृत्व अवकाश दिनांक 26.2.2024 से 25.8.2024 तक लेना चाहती हूँ।   मेरे प्रसव और मेरी पुत्री के जन्म से सम्बंधित सभी प्रमाण इस आवेदन के साथ संलग्न है। मैंने कार्यालय के आवश्यक कार्यों के बारे में अपने सहकर्मी श्री बाबू लाल को पहले ही समझा दिया था। मेरा आपसे निवेदन है कि कृपया मुझे सरकारी नियमानुसार उपरोक्त अवधि के लिए 6 महीने का मातृत्व अवकाश स्वीकृत करने की कृपा करें।

धन्यवाद,

भवदीया,
रमा कुमारी,
सह प्रबन्धक (कार्मिक),
मानव संसाधन विकास मण्डल,


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आपकी कॉलोनी के पास मटन शॉप खुली है, जिसकी वजह से नागरिकों के असुविधा होती है। इस मटन शॉप हटाने हेतु शिकायत पत्र कैसे लिखें?

पिताजी को पत्र लिखकर पर्यटन में सम्मिलित होने की अनुमति मांगिए।

‘जलभराव’ में कौन सा समास आएगा ?

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‘जलभराव’ में समास विग्रह इस प्रकार होगा :

जलभराव : जल का भराव
समास भेद : तत्पुरुष समास

स्पष्टीकरण

‘जलभराव’ में तत्पुरुष समास होगा, क्योंकि इसमें द्वितीय पद प्रधान है। ‘तत्पुरुष समास’ में द्वितीय पद प्रधान होता है। जलभराव तत्पुरुष समास का ‘संबंध तत्पुरुष समास’ उपभेद होगा।

तत्पुरुष समास क्या है?

‘तत्पुरुष समास’ की परिभाषा के अनुसार समास का वह रूप जिसमें दूसरा पद प्रधान होता है अर्थात उत्तर प्रधान होता है। वह तत्पुरुष समास होता है। तत्पुरुष समास का विग्रह करते समय दोनों पदोंके बीच कारक चिन्ह का लोप हो जाता है।

जैसे ऊपर दिए समास का समासाीकरण इस प्रकार होगा,

जल का भराव  : जलभराव यानि बीच के कारक चिन्ह ‘का’ का लोप हो गया है।

समास क्या हैं?

समास से तात्पर्य दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने विशेष शब्द से होता है। समास के 6 भेद होते हैं, जो कि इस प्रकार हैं :
• अव्ययीभाव समास
• तत्पुरुष समास
• कर्मधारय समास
• बहुव्रीहित समास
• द्वंद्व समास
• द्विगु समास


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जलहीन में कौन सा समास है?

निम्निलिखित शब्दों का समास-विग्रह कीजिए। 1. ज़ेबखर्च 2, इडली-डोसा 3. देशनिकाला 4. हार-जीत 5. राष्ट्रपिता 6. देश-विदेश

भगत सिंह देश के लिए शहीद हुए। (इस वाक्य में कारक बताइए)

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‘भगत सिंह देश के लिए शहीद हुए।’ इस वाक्य में ‘कारक भेद’ इस प्रकार होगा :

वाक्य : भगत सिंह देश के लिए शहीद हुए।
कारक भेद : संप्रदान कारक

स्पष्टीकरण

‘भगत सिंह देश के लिए शहीद हुए।’ इस वाक्य में ‘संप्रदान कारक’ इसलिए होगा, क्योंकि इसमें किसी अन्य के लिए कार्य करने का बोध हो रहा है। किसी वाक्य में संप्रदान कारक वहाँ होता है, जब किसी के लिए क्रिया संपन्न करने का बोध होता हो। इस वाक्य में भगत सिंह द्वारा देश के लिए शहीद होने की क्रिया संपन्न होने का बोध हो रहा है, इसलिए यहाँ पर ‘संप्रदान कारक’ होगा।

संप्रदान कारक

‘संप्रदान कारक’ की परिभाषा के अनुसार जब वाक्य में किसी संज्ञा, सर्वनाम द्वारा किसी अन्य के लिए क्रिया करने का बोध होता है, तो यह क्रिया जिस विभिक्त चिन्ह द्वारा दर्शाई जाती है, वह ‘संप्रदान कारक’ कहलाता है। संप्रदान कारक में देने का बोध होता है अर्थात कर्ता किसी दूसरे के लिए कार्य करता है या उसे कुछ प्रदान करता है। संप्रदान कारक ‘को’ अथवा ‘के लिए’ इन विभक्ति चिन्हों के माध्यम से प्रकट किया जाता है। संप्रदान कारक के कुछ उदाहरण : तुम रसोई में जाओ और मेरे लिए खाना लाओ। पिता बच्चे के लिए खिलौना लाया। मालिक नौकर को दस हजार तनख्वाह देता है।

कारक क्या हैं?

कारक से तात्पर्य उन परसर्ग चिन्हों से होता है, जो किसी वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा शब्द का संबंध अन्य शब्दों के साथ कराते हैं।
कारक आठ प्रकार के होते हैं :
1. कर्ता कारक
2. कर्म कारक
3. करण कारक
4. अधिकरण कारक
5. अपादान कारक
6. संप्रदान कारक
7. संबंध कारक
8. संबोधन कारक

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कोयला खान से निकलता है, कारक बतायें।

गौरव स्कूटी से गिर पड़ा कारक के भेद बताइए।

गुरु ग्रंथ साहिब में किसके कितने पद संग्रहित है ? A. तुलसीदास B. कबीर दास C. रैदास D. नामदेव

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गुरु ग्रंथ साहिब में दिए गए चारों कवियों के निम्नलिखित पद संकलित हैं :

  • गुरु ग्रंथ साहिब में तुलसीदास का कोई पद संकलित नही है।
  • गुरु ग्रंथ साहिब में कबीर दास के 224 पद संकलित हैं।
  • गुरु ग्रंथ साहिब में रैदास के 40 पद संकलित हैं।
  • गुरु ग्रंथ साहिब में नामदेव दे 61 पद संकलित हैं।

इस तरह दिए गए चारों कवियों में से केवल तुलसीदास का कोई भी पद गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित नहीं है।

गुरु ग्रंथ साहिब में अनेक संत कवियों के पद संकलित हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है :

  • कबीरदास : 224
  • संत रविदास (रैदास) : 40
  • संत नामदेव  : 61
  • भगत त्रिलोचन जी  : 4
  • संत बैणी जी : 3
  • फरीद जी : 4
  • भगत जयदेव जी : 2
  • भगत धना जी : 3
  • भगत बीखन जी : 2
  • सूरदास : 1
  • भगत परमानंद जी : 1
  • भगत सैण जी : 1
  • संत पीपा जी : 1
  • भगत सधना जी : 1
  • संत रामानंद : 1
  • गुरु अर्जन देव : 3

 

विवरण :

‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में सभी पदों का संकलन गुरु अर्जनदेव ने किया था। गुरु ग्रंथ साहिब को अंतिम रूप गुरु गोविंद सिंह ने दिया था। गुरु ग्रंथ साहिब सिखों का एक पवित्र धार्मिक ग्रंथ है। गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाशन पांचवें गुरु अर्जुन देव जी ने सन् 1604 को अमृतसर के हरिमंदिर साहिब में किया था।


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कबीर दास का भक्ति भाव दास्य भाव था या शाक्य भाव?​

सूरदास ने कृष्ण की किस रूप में भक्ति की है?

क्या आज की तारीख में केक काटकर शिक्षक दिवस मनाया जाना कितना उचित है?

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जी नहीं, आज की तारीख में केक काटकर शिक्षक दिवस मनाया जाना उचित नहीं है।

केक काटकर शिक्षक दिवस मनाना उन्हें इज्ज़त देना नहीं कहलाता है। असली शिक्षक दिवस का अर्थ है, शिक्षक द्वारा बताए हुए रास्तों पर चलना, उनकी इज्ज़त करना, उनकी आज्ञा का पालन करना से होता है। यदि हमें शिक्षक को इज्जत देनी है तो हमें उनका दिल से सम्मान करना होगा। केक काटकर, उपहार देकर, इस तरह का दिखावा करके हम उन्हें बाहरी ख़ुशी नहीं देनी है। हमें अपने शिक्षक का दिल से सम्मान और हमेशा धन्यवाद करना है। शिक्षक हमारे मार्गदर्शक होते है। हमें अपने जीवन में शिक्षकों को हमेशा सम्मान देना चाहिए। शिक्षक हमारे जीवन में बहुत महत्व रखते हैं।

इसलिए केक काटने जैसी पश्चिमी संस्कृति न अपनाकर हमें भारतीय मूल्यों को अपनाना चाहिए और शिक्षकों को पूर्ण आदर सम्मान देकर उन्हें पुष्प गुच्छ आदि भेंट करके उनके चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए, यही हमारे संस्कारों के अनुकूल है।


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लेखिका व गिल्लू के आत्मिक संबंधों पर प्रकाश डालिए।

आपकी कॉलोनी के पास मटन शॉप खुली है, जिसकी वजह से नागरिकों के असुविधा होती है। इस मटन शॉप हटाने हेतु शिकायत पत्र कैसे लिखें?

औपचारिक पत्र

मटन शॉप हटाने हेतु आवेदन पत्र

 

दिनांक- 29.8.2022

जय माता आवासीय अपार्टमेंट्स,
शिमला-171006

सेवा में,
श्रीमान जिला आयुक्त,
शिमला शहर,
शिमला- 171001

विषय : मटन की दुकान बंद करवाने हेतु।

महोदय,

पूरे सम्मान के साथ, इस पत्र के माध्यम से हम सब आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं कि हम सभी जय माता अपार्टमेंट्स, शिमला के स्थायी निवासी हैं। श्रीमान जी, तीन महीने पहले हमारे अपार्टमेंट्स के साथ लगते पार्क स्थल के पास एक मटन की दुकान खोली गयी थी। इस दुकान का मालिक एक ठेकेदार है, जो पास की कॉलोनी में रहता है। इस दुकान के खुलने के बाद हमारे अपार्टमेंट्स के इर्द-गिर्द बहुत गंदगी फैलनी शुरू हो गई है, क्योंकि मटन की दुकान वाला पार्क के बाहर ही जानवरो को काटता है और वहाँ से बाद में गंदगी साफ भी नहीं करता और इस कारण सारे क्षेत्र में बदबू ही बदबू रहती है।

इसके अलावा रात के समय इस मटन की दुकान पर लोगों को शराब का भी सेवन करते देखा गया है, जोकि बिलकुल अवैध है। शराब पी कर लोग वहाँ पर गंदी भाषा का भी प्रयोग  करते हैं, जिस कारण हमारे परिवारों का शाम के समय बाहर निकालना मुश्किल हो गया है। जब हमने दुकान के मालिक से इस बारे में बात की तो वो हमसे लड़ाई करने लगा और कहने लगा कि मेरी तो बड़े अफसरों तक पहुँच है और तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।

इसलिए, उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आपसे विनम्र अनुरोध है कि कृपया इस मटन की दुकान को जल्द से जल्द बंद करवाने की कृपा करें ताकि हम लोग शांति से रह सकें और अगर 15 दिनों के अंदर इस विषय पर कोई कार्यवाही नहीं हुई तो मजबूरन हमें जन-आंदोलन करना पड़ेगा।
धन्यवाद।

प्रार्थी,
समस्त निवासी,
जय माता आवासीय अपार्टमेंट्स,
शिमला-6


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पिताजी को पत्र लिखकर पर्यटन में सम्मिलित होने की अनुमति मांगिए।

बिजली की और नियमित आपूर्ति न होने की शिकायत करते हुए जयपुर विद्युत बोर्ड के अधिकारी को पत्र लिखें।

जब खेल के पीरियड में मैथ की टीचर पढ़ाने आ गयी तो दो बच्चों के बीच हुए संवाद को लिखें।

संवाद लेखन

जब खेल के पीरियड में मैथ की टीचर पढ़ाने आ गयी तो, दो बच्चों का संवाद

 

(एक विद्यालय में बच्चों की साइंस का पीरियड खत्म हुआ है। उनका अगला पीरियड खेल का था। खेल का पीरियड बच्चों को बहुत पसंद था। उस दिन खेल के शिक्षक विद्यालय नही आए तो उनकी जगह मैथ की टीचर मैथ पढ़ाने आ गई।)

बच्चा 1 : आज का तो दिन ही खराब है? खेल की पीरियड में मैथ की पढ़ाई करनी पड़ रही है।

बच्चा 2 : हाँ यार सही कह हो, मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है।

बच्चा 1 : ऐसा कौन करता है, कि खेल के पीरियड में मैथ की टीचर आ गई हमें पढ़ाने।

बच्चा 2 : मुश्किल से एक खेल पीरियड होता है, उसमें भी पढ़ाई।

बच्चा 1 : मेरा तो सारा मुड़ खराब हो गया।

बच्चा 2 : मैंने सोचा था, आज मैं कबड्डी खेलूँगा।

बच्चा 1 : अब ज्यादा दुखी न हो, कल खेल लेंगे रोज़ थोड़ी ना होगा ऐसा।

बच्चा 2 : हाँ, यार रोज़ नहीं होना चाहिए।

बच्चा 1 : मैं सोचा था कि मैं आज कबड्डी का अभ्यास करूंगा। सारा प्लान चौपट हो गया। अब वही बोरिंग मैथ पढ़ो।

बच्चा 2 : क्या कर सकते हैं, अब पढ़ाई तो करनी पडेगी।


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कोरोना काल के बाद स्कूल खुलने पर माँ और बेटे के बीच हुए संवाद को लिखिए।

नवरात्रि के उपलक्ष में गरबा खेलने जाने वाले मित्रों के बीच संवाद लिखिए ?

एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है, कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।

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एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है’। इस कथन का भाव यह है कि पक्षी एवं बादलों की सहायता से एक देश की धरती अपने यहाँ का प्रेम-सद्भाव, भाईचारे का संदेश दूसरे देश को भेजती है। पक्षी एवं बादल देशों की भौगोलिक सीमाओं से परे होते हैं और वह एक देश से दूसरे देश बिना बेरोकटोक आते-जाते रहते हैं। इसलिए उन के माध्यम से किसी एक देश की प्रेम, भाईचारे एवं सद्भावना का संदेश दूसरे देश तक पहुंचता है। आसमान में तैरते हुए बादल तथा आसमान में उड़ते हुए पक्षियों के माध्यम से यह संदेश हर जगह प्रसारित होता है। इस तरह एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है, इस कथन का यही भाव है कि है कि पक्षी एवं बादलों के माध्यम से सद्भावना का संदेश एक देश से दूसरे देश तक पहुँचता है।


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‘नेताजी का चश्मा’ कहानी के अनुसार देश के निर्माण मे बड़े ही नहीं बच्चे भी शामिल हैं। आप देश के नव निर्माण मे किस प्रकार योगदान देंगे?

वीर कुंवर सिंह के दो गुण लिखिए।

‘नेताजी का चश्मा’ कहानी के अनुसार देश के निर्माण मे बड़े ही नहीं बच्चे भी शामिल हैं। आप देश के नव निर्माण मे किस प्रकार योगदान देंगे?

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‘नेता जी चश्मा’ कहानी के अनुसार देश के निर्माण में बड़े ही नहीं बच्चे भी शामिल हैं। यह बात बिल्कुल स्पष्ट है, क्योंकि जिस तरह नेता जी की मूर्ति पर बच्चों ने कैप्टन चश्मे वाले की मृत्यु हो जाने के बाद सरकंडे का चश्मा लगाया, उससे स्पष्ट पता था कि बच्चों के मन में भी अपने स्वतंत्रता सेनानियों और महापुरुषों के प्रति सम्मान था। बच्चों ने नेताजी की मूर्ति की गरिमा को कम नहीं होने दिया।

किसी भी देश का निर्माण कोई अकेला नहीं कर पाता। देश का निर्माण सब लोग मिलजुलकर करते हैं। इनमें बड़े-बच्चे सभी शामिल होते हैं। बच्चे ही देश का कर्णधार होते हैं। उनके अंदर देशभक्ति की भावना बड़ों की अपेक्षा अधिक प्रबल होती है, क्योंकि वह जीवन के छल-कपट से दूर होते हैं। इसलिए बच्चों के अंदर जो देशभक्ति होती है, वह अधिक पवित्र और सार्थक होती है, इसलिए बच्चे जो भी कार्य करते हैं वह उनके देश का हित में ही होता है। बड़े जो भी कार्य करते हैं बच्चे उसका अनुसरण करते हैं। इसलिए सब मिलकर देश का निर्माण करते हैं।

कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो गुमनामी के अंधेरे में खो जाते हैं उनका नाम नहीं होता, लेकिन देश के विकास और निर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान होता है। इस तरह स्पष्ट होता है कि जिस तरह ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में पहले बड़ों ने नेता जी की मूर्ति लगाई, कैप्टन चश्मे वाले ने उस मूर्ति का चश्मा ना होने पर उसकी गरिमा को बचाए रखा और निरंतर चश्मा लगाता रहा। उसकी मृत्यु होने के बाद जब मूर्ति चश्मा विहीन हो गई तो ये जिम्मा बच्चों ने उठा लिया और उन्होंने सरकंडे का चश्मा लगा दिया। इस तरह स्पष्ट हो गया कि देश के निर्माण में सभी का महत्वपूर्ण योगदान होता है, बड़े और बच्चे सब समय आने पर अपना-अपना योगदान देते हैं।

हम अपने देश के नव निर्माण में अपना योगदान देने के लिए सबसे पहले एक अच्छा नागरिक अच्छा एवं आदर्श नागरिक बनने का प्रयास करेंगे। अपने देश के नवनिर्माण में सच्चा योगदान देश का एक आदर्श एवं ईमानदार नागरिक ही दे सकता है। यदि हम नागरिक के रूप में देश के प्रति अपने कर्तव्यों का सही रूप से निर्वहन करेंगे और कोई भी ऐसा कार्य नहीं करेंगे जिससे देश को किसी भी प्रकार की हानि हो, देश की प्रतिष्ठा को आंच आए, देश को आर्थिक क्षति हो तो यही हमारे लिए अपनी तरफ से देश का नव निर्माण में सच्चा योगदान होगा। अच्छे एवं आदर्श नागरिक के रूप में अपने सभी कर्तव्यों का पालन करना देश के नव निर्माण में योगदान से कम नहीं होता है।


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‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर शासन-प्रशासन के कार्यालयों की कार्यशैली बारे में आपकी क्या धारणा बनती है?

शादी के बाद मृदुला गर्ग बिहार के कौन से कस्बे में रहने लगी? A. राजेंद्र नगर B. डालमियानगर C. कंकरबाग D. पाटलिपुत्र (पाठ – मेरे संग की औरतें)

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शादी के बाद मृदुला गर्ग बिहार के जिस कस्बे में रहने लगी, वह डालमिया नगर था।

इसलिए सही विकल्प होगा :

डालमियानगर

विस्तार से समझें

‘मेरे संग की औरतें’ पाठ में लेखिका मृदुला गर्ग की जब शादी हो गई तो शादी के बाद वह बिहार के डालमियानगर नामक कस्बे में रहने लगीं। डालमियानगर एक बेहद छोटा पिछड़ा हुआ कस्बा था। जहाँ के लोग बहुत अधिक जागरूक नहीं थे। वहाँ पर स्त्री-पुरुष में भेदभाव किया जाता था।

भेदभाव का स्तर इतना बड़ा था कि पति-पत्नी तक साथ बैठकर फिल्म नहीं देखते थे। जब लेखिका ने वहाँ के समाज की स्थिति देखी तो वहाँ के समाज के लोगों को जागरूक करने का सोचा। उन्होंने वहां की स्त्रियों को जागरुक करने का कार्य आरंभ किया और स्त्रियों को अन्य पुरुषों के साथ नाटक करने के लिए राजी किया।

लेखिका के प्रयासों का यह परिणाम हुआ कि वहाँ की स्त्रियां जो पहले कभी अपने पति के साथ बैठकर फिल्म देखने से भी हिचकिचाती थीं, अब किसी अन्य पुरुष के साथ नाटक करने के लिए भी तैयार हो गईं। इस तरह लेखिका मृदुला गर्ग ने डालमियानगर की सामाजिक स्थिति में सुधार लाने लाते हुए पिछड़ी हुई स्त्रियों को जागरुक करने का प्रयास किया।

‘मेरे संग की औरतें’ पाठ मृदुला गर्ग द्वारा लिखा गया एक पाठ है। जिसमें उन्होंने अपने जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली अपने घर की औरतों के बारे में वर्णन किया है, जिनमें उनकी माँ, नानी, दादी, बहन आदि महिलाएं शामिल थीं।


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‘अधिकार का रक्षक’ एकांकी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिये।

‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर शासन-प्रशासन के कार्यालयों की कार्यशैली बारे में आपकी क्या धारणा बनती है?

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नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर शासन-प्रशासन के विषय में हमारी धारणा यह बनती है कि बहुत बार शासन-प्रशासन अपने निर्धारित कर्तव्य के अनुसार चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था प्रदान करता है, तो कहीं अक्सर ऐसा होता है कि शासन-प्रशासन केवल खानापूर्ति के लिए और जल्दबाजी के चक्कर में कार्यों को यूं ही निपटा देता है। इससे उसके कार्य की गुणवत्ता नहीं होती औप बाद में परेशानी पैदा होती है।

नेताजी का चश्मा’ पाठ में भी नगर पालिका ने यही किया मूर्ति जल्दी बनाने के चक्कर में मूर्ति में थोड़ी कमी रह गई थी। नगरपालिका अगर जल्दबाजी नही करती और मूर्तिकार पर एक महीने में ही मूर्ति बनाने का दवाब नही डालती , मूर्तिकार नेता जी की मूर्ति को पूर्ण रूप से बना देता और वह उस पर पत्थर का चश्मा भी उकेत सकता था। लेकिन नगर पालिका ने एक महीने के अंदर ही मूर्तिकार पर मूर्ति बनाने के लिए दबाव डाला था तो मूर्तिकार उस पर चश्मा नहीं बना पाया। कस्बे में नगर पालिका विकास के छोटे-मोटे कार्य करवाता रहती थी, जिससे उसकी चुस्त-दुरस्तता का पता चलता है। लेकिन मूर्ति के अधूरे निर्माण से शासन-प्रशासन की लापरवाही भी पता चलती है। हमारे आसपास के शासन प्रशासन की व्यवस्था भी ऐसी ही है। कहीं पर शासन प्रशासन चुस्ती से कार्य करता है तो कहीं पर बेहद लापरवाह हो जाता है, जिससे आम नागरिकों को असुविधा होती है।

संदर्भ पाठ

‘नेताजी का चश्मा’ पाठ स्वतंत्र प्रकाश द्वारा लिखा गया एक पाठ है, जिसमें उन्होंने एक ऐसे छोटे से कस्बे का वर्णन किया है, जहाँ पर चौराहे पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की संगमरमर की बनी हुई पत्थर की प्रतिमा लगी थी, लेकिन उस प्रतिमा पर पत्थर का चश्मा नहीं बनाया गया था बल्कि बाहर से वास्तविक चश्मा फिट कर दिया गया था।


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अलगू चौधरी पंच ‘परमेश्वर की जय’ क्यों बोल पड़ा​?

अलगू चौधरी पंच ‘परमेश्वर की जय’ क्यों बोल पड़ा​?

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‘अलगू चौधरी’ पंच परमेश्वर की जय इसलिए बोल पड़ा क्योंकि पंच परमेश्वर ने अलगू चौधरी और समझू साहू के बीच हुए विवाद पर एकदम निष्पक्ष फैसला दिया था।

‘पंच परमेश्वर’ में सरपंच जुम्मन शेख था, जिसके साथ अलगू चौधरी का चल रहा था, इसलिए अलगू चौधरी और समझू साहू का मामला जब पंच परमेश्वर के सामने आया तो अलगू चौधरी के मन में यह डर था कि उसके और सरपंच जुम्मन शेख के बीच हुए विवाद के कारण शायद सरपंच जुम्मन शेख उसके हक में फैसला नहीं दे।

यद्यपि विवाद के मामले में उसका पक्ष मजबूत था और यदि सरंपच निष्पक्ष होकर फैसला दें तो उसके हक में ही फैसना होना चाहिए था, लेकिन फिर भी अलगू चौधरी को सरपंच जुम्मन शेख से अपने पक्ष में फैसला मिलने की उम्मीद नहीं थी।

लेकिन ऐसा नही हुआ। जुम्मन शेख शायद ने पंच परमेश्वर के रूप में अपना धर्म निभाते हुए एक निष्पक्ष फैसला दिया। इसी कारण अलगू चौधरी फैसला सुनकर पंच परमेश्वर की जय बोल पड़ा।

‘पंच परमेश्वर’ कहानी मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहानी है, जिसमें अलगू चौधरी और जुम्मन शेख नामक दो मित्रों के बीच के संबंध की कहानी है। पहले दोनों मित्र हुआ करते थे, लेकिन किसी बात पर दोनों के बीच विवाद उत्पन्न हो गया और दोनों के बीच मनमुटाव उत्पन्न हो गया और दोनों एक दूसरे के विरोधी बन गए। लेकिन जुम्मन शेख और अलगू चौधरी के बीच मनमुटाव का यह असर उसे पंचायत पर नहीं पड़ा, जिसका सरपंच जुम्मन शेख था। उसने मनमुटाव होने के बावजूद अलगू चौधरी के विरोध में फैसला नहीं दिया।


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लेखिका व गिल्लू के आत्मिक संबंधों पर प्रकाश डालिए।

Essay on Rabindranath Tagore in 200 words.

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Essay

Rabindranath Tagore

Rabindranath Tagore was a famous poet, writer, and thinker from India. He was born in 1861 in Calcutta. Tagore came from a wealthy family that valued education, arts, and culture.

From a young age, Tagore loved writing poems, stories, songs, and plays. He started writing at just age eight! His works celebrated things like nature, spirituality, and human experiences. Tagore’s beautiful poetry with deep meaning touched many people’s hearts.

Rabindranath Tagore is also known as the author of India’s national anthem Jana Gana Mana. Jana Gana Mana, which is the national anthem of India, was composed by Rabindranath Tagore. Rabindranath Tagore is the first Indian to receive the Nobel Prize. Rabindra Nath Tagore is also known by the nickname of Gurudev. Mahatma Gandhi had given him the title of “Gurudev.”

In 1913, Tagore became the first non-European person to win the Nobel Prize in Literature. This made him world famous. The Swedish academy praised his “profoundly sensitive, fresh and beautiful verse.” Some of his best known works are the poetry collections Gitanjali and Gardener.

Conclusion:

Being a legendary writer, Tagore founded a university and worked to help the poor and oppressed people of India. He supported independence for India and became a voice for freedom. Tagore used his talents and influence to promote education, justice, and peace. He died in 1941 at age 80, leaving behind an amazing literary legacy.


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दक्षेस को सफल बनाने के लिये कोई चार सुझाव दीजिए।​

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‘दक्षेस’ दक्षिणी एशियाई देशों का एक संगठन है, जिसे ‘दक्षेस’ अर्थात ‘दक्षिण एशिया संगठन’ अंग्रेजी में ‘सार्क’ (SAARC) –  South Asian Association for Regional Cooperation के नाम से जाना जाता है।

इस संगठन में भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, मालदीव्स और अफगानिस्तान यह देश शामिल है। फिलहाल यह संगठन उतना अधिक सक्रिय नहीं है, जिस उद्देश्य के लिए इस संगठन का निर्माण किया गया था। यह संगठन वर्तमान समय में लगभग निष्किय संगठन ही है, क्योंकि इस संगठन के कई प्रमुख देशों में आपसी विवाद के कारण संगठन की गतिविधियां आगे नहीं बढ़ पा रहीं। विशेष कर भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी तनाव के कारण संगठन लगभग निष्क्रिया ही हो गया है।

‘दक्षेस’ संगठन को सफल बनाने के लिए चार सुझाव इस प्रकार हो सकते हैं…

  • सबसे पहले भारत और पाकिस्तान को अपने संबंधों को सरल और सहज करना होगा। भारत और पाकिस्तान अपने राजनीतिक तनाव को कम कर एक दूसरे से मधुर संबंधों को विकसित करना होगा, जिससे दक्षेस संगठन की सक्रियता बढ़े। भारत और पाकिस्तान इस संगठन के सबसे बड़े और प्रमुख देश हैं। उनकी सक्रियता के बिना इस संगठन की सफलता संभव नहीं।
  • दक्षेस को सफल बनाने के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति और सभी सदस्य देशों की प्रतिबद्धता भी महत्वपूर्ण है। इन सभी देशों को अपने-अपने निजी हितों को किनारे रखकर क्षेत्रीय सहयोग को प्राथमिकता देने के लिए एक समान क्षेत्रीय कार्यक्रम अपानाना होगा। संगठन के सभी देशों को अपने बीच आपसी व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना होगा ताकि संगठन की आर्थिक गतिविधियां बढ़ें। इस आर्थिक सहयोग से संगठन संपन्न और समृद्ध होगा।
  • संगठन को सफल बनाने के लिए यह भी आवश्यक है कि संगठन के सभी देशों के बीच दक्षिणी एशिया में जो भी क्षेत्रीय विवाद हैं, उनका निपटारा किया जाए और इसके लिए एक देश दूसरे देश के साथ सहयोग करें। दक्षिण एशिया में शांति स्थापित करने संगठन की अहम भूमिका हो सकती है।
  • दक्षिण संगठन के सभी देशों की भौगोलिक परिस्थियां, पहनावा, खान-पान और संस्कृति लगभग एक सामान ही है। ऐसी स्थिति सभी देश एक समान सूत्री कार्यक्रम को लेकर आगे बढ़ सकते हैं।

निष्कर्ष

ये कुछ उपाय है जिनके द्वारा ‘दक्षेस’ को मजबूत बनाया जा सकता है। अगर ‘दक्षेस’ मजबूत होगा तो दक्षिण एशिया के सभी देशों को भी इससे लाभ ही होगा।


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खेल खेलने से भिन्न क्षमता वाले खिलाड़ियों के जीवन में परिवर्तन आना अच्छी बात है, कैसे?

खेल खेलने से भिन्न क्षमता वाले खिलाड़ियों के जीवन में परिवर्तन आना अच्छी बात है, कैसे?

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खेल खेलने से विभिन्न क्षमता वाले खिलाड़ियों के जीवन में परिवर्तन आना अच्छी है क्योंकि इससे उन्हें न केवल अपनी कमजोरी से उबरने का अनुभव मिलता है, बल्कि उन्हें आगे बढ़ाने की प्रेरणा भी मिलती है।

जब भिन्न क्षमता वाले खिलाड़ी खेल खेलते हैं तो उनके अंदर भी अन्य खिलाड़ियों की तरह ही प्रतिस्पर्धा की भावना जागती है, इससे उनके अंदर एक हौसला जागृत होता है कि वह भी अन्य व्यक्तियों की तरह ही हैं। उनके अंदर की शारीरिक कमी के कारण उनके अंदर जो हीन भावना उत्पन्न होती है, वह उनके मन से दूर होती है।

विभिन्न क्षमता वाले खिलाड़ी अक्सर अपनी किसी शारीरिक कमी के कारण हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हैं। खेल खेलने से उन्हें अपनी हीन भावना को मिटाने में सहायता मिलती है। वह भी समाज के अन्य सामान्य वर्गों की तरह अपना जीवन जीने के लिए प्रेरित होते हैं। जब वह खेल खेलते हैं तो उन्हें लगता है कि वह भी अन्य सामान्य व्यक्तियों की तरह ही सक्षम है और उनके अंदर कोई अक्षमता नहीं है। इस तरह वह अपनी कमजोरी को मात देकर अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।

खेल खेलने से अंदर उनके अंदर वो आत्मविश्वास जागृत होता है, जो आत्मविश्वास उनकी शारीरिक कमी के कारण उनके अंदर खत्म हो गया था। इससे वह अपने जीवन को सामान्य मनुष्य की तरह संवार सकते हैं और जी सकते हैं।

निष्कर्ष

खेल खेलने से विभिन्न क्षमता वाले खिलाड़ियों के जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन आता है और उन्हें न केवल अपने अंदर की कमजोरी पर विजय पाने का अवसर मिलता है बल्कि अपनी हीन भावना से भी मुक्त होते हैं। वे आत्मविश्वास से युक्त होकर अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं।

 


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अध्यापक और शिष्य के बीच संवाद लिखें।

कबीर दास का भक्ति भाव दास्य भाव था या शाक्य भाव?​

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कबीर दास का भक्ति भाव दास्य भाव से युक्त था। उन्होंने स्वयं को ईश्वर के और अपने गुरु के प्रति समर्पित किया हुआ था। दास्य भाव में ही समर्पण होता है। कबीर के अनुसार गुरु की भक्ति से ही इस जगत को पार किया जा सकता है। शिष्य के मन में व्याप्त अंधकार को गुरु ही अपने ज्ञान के प्रकाश से दूर कर सकता है। जब तक हम अपने गुरु और ईश्वर के प्रति दास्य भाव नहीं अपनाएंगे तब तक ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती और इस संसार के भवसागर से मुक्ति नहीं पाई जा सकती।

कबीर ने अपने दोहों आदि के माध्यम से हमेशा सतगुरु की महिमा का बखान किया है। उन्होंने अपने एक दोहे के माध्यम से गुरु को ईश्वर से भी ऊपर का दर्जा दिया है। उन्होंने कहा है..

गुरु गोविंद को दोऊ खड़े, काके लागूं पाय
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय

इसी प्रकार उन्होंने सतगुरु के स्मरण को भगवान के स्मरण के समक्ष माना है। उनके अनुसार..

गुरु बिन कौन बतावे बाट बड़ा विकट यम घाट

इस प्रकार कबीर दास के भक्ति भाव में दास्य भाव की ही प्रधानता रही है। दास भाव में समर्पण होता है और कवि ने स्वयं को सदैव  गुरु और ईश्वर के प्रति समर्पित किया है।


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कवि रसखान पत्थर के रूप में किस का अंश बनना चाहते हैं?

जलहीन में कौन सा समास है?

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जलहीन में समास

जलहीन : जल से हीन

समास भेद : तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास का उपभेद : अपादान तत्पुरुष समास

 

जलहीन में तत्पुरुष समास होता है। यहाँ पर तत्पुरुष समास का ‘अपादान तत्पुरुष समास’ लागू होगा। अपादान तत्पुरुष समास में अलग होने के का बोध होता है, जिसे योजक चिन्ह ‘से’ द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। यहाँ पर भी जल से अलग होने का बोध हो रहा है। इसलिए यहाँ पर ‘अपादान तत्पुरुष समास’ होगा।

तत्पुरुष समास की परिभाषा

तत्पुरुष समास में द्वितीय पद प्रधान होता है। इस पद में भी द्वितीय पद प्रधान है।
समास से तात्पर्य शब्दों के संक्षिप्तीकरण से होता है। हिंदी व्याकरण की भाषा में समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जब दो या दो से अधिक पदों का संक्षिप्तीकरण करके एक नवीन पद की रचना की जाती है। तत्पुरुष समास की परिभाषा के अनुसार जब दोनों पदों में दूसरा पद प्रधान हो तो वहाँ तत्पुरुष समास होता है।

जैसे
·   मोहबंधन : मोह का बंधन
·   प्रसंगोचित : प्रसंग के अनुसार
·   राजकन्या : राजा की कन्या
·   देवालय : देव का आलय


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‘मन’ से बने कुछ सामासिक शब्द और उनका भेद बताएं।

‘स्थितोस्ति’ शब्द का संधि-विच्छेद क्या होगा?

पिताजी को पत्र लिखकर पर्यटन में सम्मिलित होने की अनुमति मांगिए।

अनौपचारिक पत्र

पुत्र द्वारा पिताजी को पत्र

दिनाँक – 10 मार्च 2024

छात्रावास संख्या 02,
गांधी बिल्डिंग,
बिजनौर,
उत्तर प्रदेश।

 

पूजनीय पिता जी,
प्रणाम।

आशा करता हूँ आप सब घर पर स्वस्थ होंगे। मैं भी यहाँ छात्रावास में ठीक से हूँ और आजकल मेरे इम्तिहान चल रहे हैं और अब बस सामाजिक विज्ञान का ही पेपर बचा है। मेरे इम्तिहान इस बार बहुत अच्छे गए हैं।

पिताजी, इस बार गर्मियों की छुट्टियों में स्कूल की तरफ से हमें महाबलेश्वर ले जाया जा रहा है और तकरीबन सभी बच्चे वहाँ जा रहे हैं। मैं भी इस पर्यटन भ्रमण के लिए जाने का इच्छुक हूँ।

पिताजी पिछली बार भी दादा जी की तबीयत खराब होने के कारण मैं मुंबई जा नहीं पाया था। पिताजी मैंने महाबलेश्वर के बारे में बहुत सी जानकारी इंटरनेट के माध्यम से इक्कठी की है। महाबलेश्वर महाराष्ट्र के सतारा जिले में पश्चिमी घाट में स्थित है। महाबलेश्वर की खोज 1828 में सर मेल्कन ने की थी। महाबलेश्वर महाराष्ट्र का सबसे अच्छा एवं सुंदर पर्वतीय स्थल है। महाबलेश्वर अपने खूबसूरत झरनों और झीलों के लिए मशहूर है। महाबलेश्वर के मुख्य पर्यटन स्थलों में पंचगनी, प्रतापगढ़, 30 पॉइंट्स आदि मुख्य हैं।

महाबलेश्वर का प्राचीन महाबलेश्वर मंदिर भी यहाँ का एक धार्मिक और मुख्य पर्यटन स्थल है। महाबलेश्वर स्ट्राबरी की खेती के लिए भी बहुत मशहूर है।

पिताजी, मेरे वहाँ जाने से मेरे सामान्य ज्ञान में भी वृद्धि होगी और वैसे भी यह मेरे स्कूल का आखिरी साल है और उसके बाद जाने कब स्कूल के मित्रों से दोबारा मिल पाऊँगा। इसलिए आपसे विनती है कि कृपा मुझे इस पर्यटन पर जाने के लिए अनुमति प्रदान करें। आप सब अपना ध्यान रखना।

आपका प्यारा पुत्र,
अनुभव सिन्हा ।


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अपने प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर स्कूल में कंप्यूटर शिक्षा की व्यवस्था करने का अनुरोध कीजिए।

छात्रवृत्ति ना आने पर समाज कल्याण विभाग को पत्र कैसे लिखें?

अध्यापक और शिष्य के बीच संवाद लिखें।

संवाद लेखन

अध्यापक और शिष्य के बीच संवाद

राम – (कक्षा के बाहर से) – गुरुजी ! क्या मैं कक्षा में आ सकता हूँ ?

अध्यापक – हाँ, हाँ राम आ जाओ।

राम – (कक्षा के अंदर आते ही) प्रणाम गुरुजी।

अध्यापक – खुश रहो ! तुम काफी दिनों के बाद स्कूल आ रहे हो और वो भी इतनी देर से क्या बात है ?

राम – क्षमा करें, गुरुजी मेरी माता जी बहुत दिनों से अस्वस्थ है,आजकल मुझे उन्हें डॉक्टर के पास ले जाना पढ़ता है क्यूंकि पिता जी शहर से बाहर गए हैं।

अध्यापक – ओह ! तो ये बात है लेकिन तुम्हारी माता जी को क्या हुआ है ?

राम – उन्हे बहुत दिनों से बार – बार बुखार आ रहा है।

अध्यापक – बेटा इस तरह अगर बार-बार बुखार आ रहा है तो खून की जाँच अवश्य करवा लेनी चाहिए क्यूंकि बार – बार बुखार आना ठीक नहीं होता है,खून की जाँच अवश्य करवा लेनी चाहिए।

राम – जी गुरुजी मैं आज ही माता जी की खून की जाँच अवश्य करवा लूँगा।


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आपके किसी पसंदीदा खिलाड़ी से आपके बीच हुई बातचीत को संवाद के रुप में लिखिए।​

लेखिका व गिल्लू के आत्मिक संबंधों पर प्रकाश डालिए।

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गिल्लू और लेखिका के बीच बेहद गहरा आत्मिक और स्नेहिल संबंध विकसित हो चुका था। लेखिका महादेवी वर्मा और गिलहरी गिल्लू दो अलग-अलग जाति (मनुष्य जाति और पशु जाति) के प्राणी होने के बावजूद एक दूसरे के मन के भावों को बेहद कुशलता से समझ लेते थे।

एक वर्ष की अवधि के अंदर ही लेखिका और गिल्लू के बीच ऐसा संबंध विकसित हो गया कि गिल्लू हमेशा लेखिका के साथ ही खाना खाता और उनके साथ ही खेलता रहता था। वह कभी लेखिका के हाथ तो कभी पैरों पर चढ़ जाता तो कभी सिर पर चढ़कर खेलने लगता।

वह अपनी सुलभ हरकतों द्वारा लेखिका को आकर्षित करने का प्रयास करता था। वह लेखिका के प्रति अपनी स्वामिभक्ति का भी प्रदर्शन करता रहता था। जब एक बार लेखिका बीमार पड़ी तो गुल्लू ने भी अपना भोजन छोड़ दिया। वह बीमार लेखिका के सिरहाने बैठकर उनके सर और बालों को सहलाता रहता था।

लेखिका भी गिल्लू पर अपना परम स्नेह और ममता लुटाया बरसाया करती थीं। वह भी गिल्लू का सदैव ध्यान रखती। जब गिल्लू कमरे की खिड़की की जाली पर बैठकर बाहर की दुनिया देखता तो लेखिका के मन में यह विचार उत्पन्न हुआ कि शायद वह अपनी स्वतंत्रता पाना चाहता हो और बाहरी दुनिया से घुलना-मिलना चाहता हो। इसी कारण उन्होंने खिड़की की जाली का एक कोना खोल दिया था, जिससे गिल्लू आराम से उस जाली से बाहर निकाल कर बाहर घूमता-फिरता और फिर वापस कमरे में आ जाया करता था।

इस तरह उसने बाहरी संसार का भी भरपूर आनंद उठाया और लेखिका के साथ भी बना रहा। यह सारी बातें गिल्लू और लेखिका के बीच के आत्मिक और स्नेहिल संबंध को प्रकट करती हैं।

संदर्भ पाठ (गिल्लू – महादेवी वर्मा)

‘गिल्लू’ पाठ लेखिका ‘महादेवी वर्मा’ द्वारा लिखा गया एक संस्मराणत्मक पाठ है, जिसमें लेखिका  ने अपने घर की एक पालतू गिलहरी गिल्लू के बारे वर्णन किया है। गिल्लू गिलहरी को लेखिका ने मरने से बचाया था और फिर उसका उपचार किया। जिससे जब गिल्लू गिलहरी स्वस्थ हो गया तो वह लेखिका के पास ही रहने लगा।


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‘अधिकार का रक्षक’ एकांकी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिये।

वीर कुंवर सिंह के दो गुण लिखिए।

अपने प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर स्कूल में कंप्यूटर शिक्षा की व्यवस्था करने का अनुरोध कीजिए।

अनौपचारिक पत्र

प्रधानाचार्य को कंप्यूटर शिक्षा की व्यवस्था करने हेतु पत्र

दिनांक : 4 सितंबर 2023

 

सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य महोदय,
क. ख. ग. नगर,
न्यू शिमला

विषय : कंप्युटर शिक्षा की व्यवस्था हेतु प्रार्थना पत्र

महोदय,

मैं दसवीं कक्षा की छात्रा हूँ। मैं चाहती हूँ कि मेरे विद्यालय में शिक्षण की आधुनिकतम पद्धतियों को अपनाया जाए। कक्षा में कंप्युटर द्वारा शिक्षा की व्यवस्था की जाए। आज विज्ञान नें बहुत प्रगति कर ली है और ज्ञान का इतना अधिक प्रसार हो गया है, कि केवल पाठ्य–पुस्तकों द्वारा आवश्यक ज्ञान एवं सूचना नहीं मिल पाती। किसी नें ठीक ही कहा है कि ‘सूचना ही ज्ञान है’। अतः आधुनिक युग में नवीनतम सूचना तो कंप्यूटर द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है। अतः आपसे अनुरोध है कि इस कंप्युटर युग में आप कंप्यूटर द्वारा शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था करवा दीजिए, ताकि हमें भी आधुनिकतम शैक्षिक सुविधाएं प्राप्त हो सके और हम भी आधुनिक तकनीक ज्ञान प्राप्त कर सकें।

धन्यवाद सहित

आज्ञाकारी शिष्या
शर्मिला गर्ग,
कक्षा दसवीं – ‘ब’
अनुक्रमांक – 14
क ख ग नगर (शिमला)


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छात्रवृत्ति ना आने पर समाज कल्याण विभाग को पत्र कैसे लिखें?

बिजली की और नियमित आपूर्ति न होने की शिकायत करते हुए जयपुर विद्युत बोर्ड के अधिकारी को पत्र लिखें।

‘अधिकार का रक्षक’ एकांकी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिये।

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‘अधिकार का रक्षक’ एकांकी हिंदी के प्रसिद्ध लेखक ‘उपेंद्र नाथ अश्क’ द्वारा लिखा गया एक एकांकी है। इस एकांकी का मुख्य उद्देश्य ऐसे अवसरवादी नेताओं के चरित्र दोहरे चरित्र को उजागर करना है, जो भोली-भाली जनता को झूठे लुभावने वादे करके मूर्ख बनाते हैं और चुनाव जीत जाते हैं।

चुनाव जीतकर इन नेताओं का रवैया बिल्कुल बदल जाता है और चुनाव से पूर्व जनता के हितों और अधिकारों का रक्षक होने की बात करने वाले नेता चुनाव के बाद केवल अपना ही हित सोचने रखते हैं, और जनता के अधिकारों के भक्षक बन जाते हैं। ये नेता लोग जनता को किए सारे वादे भूल जाते हैं और केवल अपने स्वार्थ तक सीमित हो जाते हैं। वह केवल स्वयं तथा स्वयं के रिश्तेदारों के उत्थान में ही लगे रहते हैं। जनता की समस्याओं और हितों से की उन्हें कोई परवाह नहीं रहती ऐसे नेताओं की कथनी और करनी में बड़ा अंतर होता है।

लेखक ने इस एकांकी के माध्यम से इन्ही दोहरे चरित्र वाले नेताओं के पाखंड को उजागर किया है। चुनाव जीतने के लिए बड़े-बड़े वादे करने वाले नेता चुनाव जीतने के बाद अपने क्षेत्र से ऐसे गायब हो जाते हैं कि फिर अगले चुनाव पर ही नजर आते हैं।

‘अधिकार का रक्षक’ एकांकी आज के समय की स्वार्थ बड़ी राजनीति और नेताओं के दौरे चरित्र को उजागर करता है। एकांकी के माध्यम से यह बताया जाता है कि लोकतंत्र के नाम पर नेता किस प्रकार लोकतंत्र का मजाक उड़ाते हैं और वास्तव में लोकतंत्र नहीं नेता तंत्र बनकर रह गया है। यह नेता लोग जनता के अधिकार का रक्षक होने का दवा तो करते हैं, लेकिन वास्तव में वह जनता के अधिकार की रक्षा नहीं बल्कि अधिकारों का शोषण करते हैं।


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यदि हम पशु-पक्षी होते तो? (हिंदी में निबंध) (Essay on Hindi​)

न्यायालय से बाहर निकलते समय वंशीधर को कौन-सा खेदजनक विचित्र अनुभव हुआ?

‘आर्यभट अपने विचार बेहिचक प्रस्तुत करते थे।’ इस वाक्य की क्रिया को कर्मवाच्य में बदलकर फिर से लिखिए​।

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इस वाच्य का कर्मवाच्य इस प्रकार होगा…

आर्यभट्ट अपने विचार बेहिचक प्रस्तुत करते थे।

कर्मवाच्य : आर्यभट्ट द्वारा अपने विचार बेहिचक प्रस्तुत किए जाते थे।

 

विवरण
‘वाच्य’ हिंदी व्याकरण में वाक्य को प्रस्तुत करने की एक शैली है, जो कर्ता, कर्म और भाव के आधार पर बनाई जाती है।
वाक्य में अगर कर्ता की प्रधानता होती है तो वह कर्तृवाच्य कहलाता है। वाक्य में अगर कर्म की प्रधानता होती है तो वह कर्मवाच्य कहलाता है। वाक्य में अगर भाव की प्रधानता है तो वह भाव वाच्य कहलाता है।
इस तरह हिंदी व्याकरण में वाच्य तीन प्रकार के होते हैं…
  • कर्तृ वाच्य
  • कर्मवाच्य
  • भाववाच्य

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‘मन’ से बने कुछ सामासिक शब्द और उनका भेद बताएं।

निम्नलिखित वाक्यों में काल के भेद और उपभेद का नाम लिखें- (क) आदित्य ने संतरे खाए हैं। (ख) सुमित पढ़कर चला गया। (ग) शायद कल चाचा जी घर आएँ। (घ) यदि वर्षा होती तो खेत लहलहाते। (ङ) दीदी कहानी सुनाती है। (च) माली पौधे लगा रहा था। (छ) पायल विद्यालय जा रही है। (ज) तुम आओगे, तब मैं जाऊँगा। (झ) अभय मैदान में घूमता होगा। (ञ) लता ने गीत गाया होगा।