संघर्ष का मैदान छोड़ने वालों की कवि ने क्या समझाया है?​

संघर्ष का मैदान छोड़ने वालों को कवि ने यह समझाया है कि संघर्ष से डर कर भागने से सफलता नहीं मिलती। कुछ किए बिना किसी की जय-जयकार नही होती अर्थात अगर जीवन में अपना नाम करना है, लोग आपको याद करें, आपका नाम लें तो कर्म करना होगा। कर्म न करने वालो को कोई नही पूछता है।

इसी तरह सफलता पाने के लिए कर्म करने पड़ते हैं, संघर्ष करना पड़ता है, मैदान में लड़ना पड़ता है, तब जाकर सफलता प्राप्त होती है। बिना कर्म किए किसी को कुछ नहीं मिलने वाला।

इसलिए कवि संघर्षों से घबरा कर मैदान छोड़ने वालों को सलाह देते हैं कि यदि तुम संघर्ष के मैदान को छोड़कर चले जाओगे तो तुम्हारे हाथ सफलता नहीं लगने वाली।

सफलता केवल साहसी और संघर्ष की व्यक्तियों को ही मिलती है कुछ पाने के लिए कर्म करना पड़ता है, कुछ खोना पड़ता है, तब जाकर कुछ प्राप्त होता है। यूं ही बैठे-बैठे कुछ भी प्राप्त नहीं हो जाता, इसलिए जीवन में निरंतर संघर्ष करते रहो तब ही जीवन में कुछ प्राप्त कर सकोगे।

‘कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’ कविता ‘सोहनलाल द्विवेदी’ द्वारा रचित कविता है। इस कविता के माध्यम से कवि ने लोगों को प्रेरणा भी है। उन्होंने कहा है जीवन में यदि सफलता प्राप्त करनी है तो निरंतर कोशिश करती रहनी चाहिए। कोशिश करने से ही सफलता प्राप्त होती है। जो लोग हमेशा कोशिश करते रहते हैं, उन्हें जीवन में इतनी सफलता प्राप्त जरूर होती है।


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