अनौपचारिक पत्र लेखन
सर्दी की छुट्टियों के संबंध में मित्र को पत्र
संकटमोचन कॉटेज,
मकान नंबर 36, भिवंडी, हरियाणा
प्रिय मित्र राकेश,
आशा करता हूँ कि तुम अपने परिवार के साथ देहरादून में स्वस्थ होंगे और सर्दी की छुट्टियों का आनंद उठा रहे होंगे। राकेश, मैं भी ठीक हूँ और मैंने यहाँ पर एक प्रशिक्षण संस्थान में एक महीने के लिए एडमिशन ले ली है।
राकेश, इस बार छुट्टियों में मैं अपने परिवार के साथ शिमला घूमने गया था और बस दो दिन पहले ही वहाँ से वापिस लौटा हूँ। शिमला बहुत ही सुन्दर जगह है और यह सच ही कहा जाता है कि हिमाचल एक देवभूमि है , क्योंकि पूरा प्रदेश मंदिरों से घिरा हुआ है।
मैं शिमला में सबसे पहले हनुमान जी के मंदिर दर्शन के लिए गया और वहाँ पर भगवान हनुमान की 108 फुट ऊंची प्रतिमा के दर्शन किये। यह प्रतिमा बहुत भव्य और सुन्दर बनाई गई है। उसके बाद मैं कुफ़री भी घूमने गया।
यह शिमला शहर से 17 किलोमीटर दूरी पर है और यह बहुत ही दर्शनीय स्थल है। वहाँ पर बर्फ पड़ी हुई थी और हमने बर्फ का आनंद लिया। मैंने और मेरी छोटी बहन ने बर्फ का पुत्र भी बनाया। अगले दिन हम सब एक एतिहासिक जगह देखने गए। यह जगह इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीस थी । यह सच में बहुत सुन्दर जगह थी। यहाँ की बिल्डिंग है वो ब्रिटिश इंडिया के समय की है लेकिन उसे देख कर कोई कह नहीं सकता कि यह इतनी पुरानी होगी। फिर हमने संकटमोचन और तारा देवी मंदिर के दर्शन किये।
शिमला के लोग बहुत ही सभ्य और ईमानदार हैं और हमें कहीं भी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई। इस दौरान हमने शिमला के माल रोड की भी सैर की और राकेश एक बात बताऊँ यह ऐसी जगह थी जहां हर समय लोगों की भीड़ ही दिखती थी और सब शिमला शिमला के शीतल और स्वच्छ मौसम का मजा लेते देखे जा सकते हैं। मैंने शिमला स्थित प्रसिद्ध गेटी थिएटर का भी भ्रमण किया। यह वही थिएटर है, दोस्त जहां पर हर वर्ष बहुत से नाटकों का मंचन होता है और बहुत सी हिन्दी फिल्मों को भी इस थिएटर में फिल्माया गया है।
मैंने हिमाचल के प्रादेशिक व्यंजनों का भी इस दौरे के दौरान आनंद लिया। शिमला बहुत ही सुन्दर और आध्यात्मिक शहर है और यहाँ का भ्रमण करके मैं तो भावविभोर हो गया। मैं तुम्हें भी सलाह दूंगा कि तुम भी शिमला शहर जरूर घूमने जाना और यहाँ की सुन्दर वादियों का आनंद उठाना। अब तो छुट्टियाँ भी समाप्त होने को हैं और जल्द ही हम स्कूल में मिलेंगे। तुम अपना ध्यान रखना और अपने माता-पिता जी को मेरा प्रणाम कहना।
तुम्हारा प्रिय मित्र,
भावेश
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