हिंदी रचनात्मक लेखन
दृश्य लेखन
मैं सुबह ऑफिस जा रहा था। मेरा ऑफिस घर से थोड़ी दूरी पर है, इसलिए मैं पैदल ही जाता हूँ। जब मैं ऑफिस को ओर जा रहा था, तब मैं रास्ते में जब मैं एक चौराहे से गुजर रहा था, तब मैंने एक छोटे बच्चे को सामान बेचते हुए देखा । छोटा सा बच्चे जिसकी स्कूल जाने की उम्र थी, वह सामान बेच रहा था । वहाँ से आने जाने वाले लोगों को बोल रहा था, सामान ले लो, खरीद लो, सुबह से बोहनी नहीं हुई ।
मुझे यह दृश्य देखकर बहुत दुःख हुआ । मेरा दिल एकदम थम सा गया | इतनी कम उम्र में बच्चे को क्या काम करना पड़ रहा है । यह दृश्य बहुत ही दुःख भरा था । उसे देख कर पता चल रहा था कि दुनिया में सब के पास सब कुछ नहीं होता है। जिनके पास सब कुछ होता है, उसकी कद्र नहीं करते ।
मैं बच्चे को देखकर उसके पास गया और उससे बात की। उसने बताया कि उसके घर में उसके पिता नही हैं। उनकी मृत्यु कुछ महीनों पहले हो गई। उसकी माँ ही घर का खर्चा चलाती हैं और उन दो भाई-बहन को पालती हैं। कुछ दिनों से उसकी माँ भी बेहद बीमार हैं इसलिए उसे ही काम करने के लिए विवश होना पड़ रहा है। स्कूल की फीस न भर पाने के कारण उसे स्कूल से निकाल दिया गया है।
मैंने उसे कुछ पैसे दिए और कहा अगर तुम पढ़ना चाहते हो तो मुझे बताना मैं तुम्हारी पढ़ाई का खर्च दूंगा। बच्चे की आँखों में खुशी की झलक थी। वह झटपट राजी हो गया। उसकी मदद करके मुझे भी एक अनोखी सुखद अनुभूति हो रही थी।
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