मगरमच्छ की प्रजाति को खत्म होने से बचने के लिए वही उपाय किए जा सकते हैं, जो किसी भी विलुप्त होती प्रजाति के संरक्षण के लिए किए जाते हैं।
मगरमच्छों की संख्या दुनिया में लगातार घटती जा रही है। इसका मुख्य कारण जल स्रोतों की निरंतर होती कमी तथा मगरमच्छों का अवैध शिकार है।
मगरमच्छ जल स्रोतों में पाए जाते हैं, वह उनका प्राकृतिक आवास है। मानव अपने विकास की दौड के कारण जंगलों को काटता जा रहा है, जल स्रोतों को नष्ट कर रहा है। मानवीय आबादी बढ़ती जा रही है तथा प्राकृतिक क्षेत्र सिकुड़ते जा रहे हैं। इसी कारण मगरमच्छों की प्रजातियां भी विलुप्त होती जा रही हैं।
भारत में मगरमच्छ की तीन प्रजातियों पाई जाती हैं, जिनमें घड़ियाल, खारे पानी का मगरमच्छ और मगर यह तीन प्रजातियां हैं। यदि भारत में मगरमच्छों की प्रजाति को खत्म होने से बचाना है तो हमें उनके प्राकृतिक आवास जल स्रोतों को नष्ट करने से बचना होगा ।जंगलों को सिकुड़ने से बचना होगा और जंगलों में मौजूद नदी, तालाब, झील आदि का रखरखाव करना होगा उन्हें सूखने से बचना होगा। उनके साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करनी होगी।
जब मगरमच्छों को अपना प्राकृतिक आवास मिलेगा तो वह अपने को सुरक्षित हो पाएंगे। मगरमच्छों की प्रजाति को नष्ट होने से बचने के लिए कुछ अन्य उपाय भी करने होंगे, जिनमें अवैध रेत खनन, मगरमच्छों का अवैध शिकार, नदी-तालाबों में बढ़ता जा रहा प्रदूषण, नदी आदि पर अत्याधिक बांधों आदि का निर्माण का कार्य तथा बड़े पैमाने पर मछली पकड़ने का कार्य है।
मछली मगरमच्छों का प्राकृतिक भोजन होता है। मछलियों की कमी से भी मगरमच्छों के अस्तित्व पर संकट पड़ सकता है क्योंकि उन्हें अपना प्राकृतिक भोजन नहीं मिलेगा तो वह जीवित नहीं रह पाएंगे।
मगरमच्छों को बचाने के लिए संक्षेप में उपायों को समझते हैं..
- जल स्रोतों का संरक्षण जैसे, नदी, तालाब, झील आदि।
- मगरमच्छों के अवैध शिकार पर अंकुश लगाना।
- अत्यधिक मछलियों के शिकार पर अंकुश लगाना।
- नदी, तालाबों से अत्यधिक और अवैध रेत खनन पर रोक लगाना।
- मगरमच्छों को उनका प्राकृतिक वातावरण उपलब्ध कराना।
- ऐसे जंगल क्षेत्र जहां पर अधिक मगरमच्छ पाए जाते हैं, उनको संरक्षित करना।
इस तरह निम्न उपायों से हम मगरमच्छ की प्रजाति को नष्ट होने से बचा सकते हैं।