इस वाच्य का कर्मवाच्य इस प्रकार होगा…
आर्यभट्ट अपने विचार बेहिचक प्रस्तुत करते थे।
कर्मवाच्य : आर्यभट्ट द्वारा अपने विचार बेहिचक प्रस्तुत किए जाते थे।
विवरण
‘वाच्य’ हिंदी व्याकरण में वाक्य को प्रस्तुत करने की एक शैली है, जो कर्ता, कर्म और भाव के आधार पर बनाई जाती है।
वाक्य में अगर कर्ता की प्रधानता होती है तो वह कर्तृवाच्य कहलाता है। वाक्य में अगर कर्म की प्रधानता होती है तो वह कर्मवाच्य कहलाता है। वाक्य में अगर भाव की प्रधानता है तो वह भाव वाच्य कहलाता है।इस तरह हिंदी व्याकरण में वाच्य तीन प्रकार के होते हैं…
- कर्तृ वाच्य
- कर्मवाच्य
- भाववाच्य
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