राम स्वरूप नौकर पर चिल्लाते हैं।
कारण
रामस्वरूप अपने नौकर रतन पर इसलिए चिल्लाते हैं, क्योंकि रतन ने मक्खन लाने के लिए नहीं गया। रामस्वरूप के घर पर दो मेहमान आने वाले हैं, जो गोपाल प्रसाद और उनका बेटा शंकर है। दोनों रामस्वरूप की बेटी उमा को देखने आने वाले हैं। उमा विवाह योग्य हो चुकी है और गोपाल प्रसाद के बेटे शंकर से विवाह की बात करने हेतु गोपाल प्रसाद और शंकर रामस्वरूप की बेटी उमा को देखने आने वाले हैं।
मेहमानों की खातिरदारी के लिए रामस्वरूप ने मक्खन बाजार से लाने के लिए अपनी नौकर रतन को कहा था, लेकिन रतन गया नही। उधर मेहमान घर पर आ चुके थे। रामस्वरूप की नजर दरवाजे के पास खड़े अपने नौकर रतन पर पड़ी। उस पर नजर पड़ते ही रामस्वरूप नौकर पर चिल्लाए, ‘अरे तू यही खड़ा है, बेवकूफ! गया नहीं मक्खन लाने। सब चौपट कर दिया। अबे उधर से नहीं, अंदर के दरवाजे से जा।’
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी एक सामाजिक एकांकी है, जो दहेज जैसी को प्रथा को आधार बनाकर लिखा गया है। इसके लेखक जगदीश चंद्र माथुर हैं। इस एकांकी के प्रमुख पात्रों में रामस्वरूप, उनकी बेटी उमा, गोपाल प्रसाद, गोपाल प्रसाद का बेटा शंकर हैं।