चक्षुर्दानम् का संधि-विच्छेद इस प्रकार होगा…
चक्षुर्दानम् : चक्षुः + दानम्
संधि का भेद : विसर्ग संधि
विसर्ग संधि :
दिए गए शब्द में विसर्ग संधि है। विसर्ग संधि वहां पर लागू होती है। जब विसर्ग के साथ स्वर्ण या व्यंजन आता हो, तो ऐसी स्थिति में विसर्ग संधि का नियम लागू होता है। दिए गए शब्दों में जब संधि विच्छेद करते हैं तो प्रथम शब्द में विसर्ग है और उसके तुरंत बाद द्वितीय शब्द का प्रथम अक्षर एक व्यंजन है। इस तरह विसर्ग और व्यंजन का मेल बनाकर विसर्ग संधि लागू हो रही है।
विसर्ग संधि के 10 नियम होते हैं, यहाँ पर विसर्ग संधि का वह नियम लागू हो रहा है, जिसमें विसर्ग के बाद आने वाले व्यंजन ‘द’ है तो विसर्ग ‘र’ या ‘र्’ बन जाता है।
संधि क्या है?
संधि से तात्पर्य दो शब्दों के मेल से बने नए शब्द से है। संधि की प्रक्रिया में प्रथम शब्द का अंतिम वर्ण और द्वितीय शब्द का प्रथम वर्ण का मेल होकर उनमें परिवर्तन होता है और नया शब्द बनता है।
संधि के तीन भेद होते हैं..
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि
- विसर्ग संधि
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‘जो किसी से न डरे’ अनेक शब्दों के लिए एक शब्द।