संवाद
छुआ-छूत पर दो मित्रों के बीच संवाद
(छुआ-छूत के विषय को लेकर दो मित्रों वरुण और वैभव में संवाद हो रहा है।)
वरुण ⦂ वैभव तुम जानते हो कि हमारे देश की सबसे बड़ी कुरीति कौन सी है?
वैभव ⦂ मेरे विचार में हमारे देश की सबसे बड़ी कुरीति और बुराई जाति प्रथा है, जिस कारण कुछ लोगों को तथाकथित उच्च वर्ग का व्यक्ति बना दिया गया है और कुछ लोगों को तथाकथित निम्न वर्ग का व्यक्ति बनाकर उनके साथ भेदभाव वाला व्यवहार किया जाता है।
वरुण ⦂ तुम बिल्कुल सही कह रहे हो। हमारे देश की सबसे बड़ी कुरीति जाति प्रथा पर आधारित भेदभाव कुरीति है, जिस कारण हमारे देश में अतीत काल में कितने ही लोगों को अन्याय एवं अत्याचार से गुजारना पड़ा है।
वैभव ⦂ मुझे छुआ-छूत वाली इस प्रथा से मैं जरा भी सहमत नहीं हूँ। मेरे विचार में हर मानव समान रूप से जन्म लेता है। जन्म से ही किसी व्यक्ति को तथाकथित उच्च अथवा निम्न जाति में बांध देना और फिर उसके साथ निम्न जाति वाले व्यक्ति के साथ गलत व्यवहार करना बिल्कुल भी अमानवीय है।
वरुण ⦂ यह बात सही है और हमारा देश सदियों से इस कुरीति से ग्रस्त रहा है। हालांकि हमारे देश के बेहद प्राचीन इतिहास को देखा जाए तो छुआ-छूत यह कुरीति इतनी अधिक प्रचलन में नहीं थी और किसी व्यक्ति के साथ उसकी निम्न जाति के आधार पर ऐसा अमानवीय भेदभाव नहीं किया जाता था, लेकिन मध्य काल के भारत में यह कुरीति बहुत अधिक प्रचलन में आ गई और हमारा समाज बढ़ता चला गया।
वैभव ⦂ हाँ, यह बात सही है लेकिन छुआ-छूत की इस प्रथा में अब काफी कमी आई है, लेकिन यह प्रथा अभी तक पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है। शहरों में लोग भले ही जागरूक हो रहे हैं और छुआ-छूत जैसी किसी भी अवधारणा को नहीं मानते, लेकिन भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ पर जागरूकता नहीं है, वहाँ पर अभी भी छुआ-छूत की यह प्रथा प्रचलन में है। हमें सामाजिक स्तर पर यह प्रयास करना है कि छुआछूत की इस प्रथा को पूरी तरह समूल नष्ट कर दिया जाए तभी हमारा देश हमारा समाज विकसित समाज बन सकेगा।
वरुण ⦂ बिल्कुल ऐसा ही होना चाहिए और हम सबको इस कुरीति को पूरी तरह से मिटाने में अपना पूरा योगदान देना होगा।
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