अनौपचारिक पत्र
पत्र-पत्रिकाओं का महत्व बताते हुए छोटी बहन को एक पत्र
दिनांक : 5 मई 2024
प्रिय बहन मेधांशी,
मैं पिछले कुछ दिनों से यह नोटिस कर रही हूँ कि तुम आजकल मोबाइल पर बहुत अधिक व्यस्त रहती हो। मैं जानती हूँ कि मोबाइल आज के आधुनिक युग में एक जरूरी यंत्र बन गया है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम हम अपना अधिकतर समय इसी पर बिता दें और इस पर व्यर्थ के कार्यों में अपना समय बर्बाद करें। इसीलिए मैं तुम्हें पत्र-पत्रिकाओं का महत्व समझाना चाहती हूँ।
आज के डिजिटल युग में जब आज के युवा मोबाइल और कंप्यूटर की स्क्रीन के इतने आदी हो गए हैं कि उन्हें शायद पत्र-पत्रिकाओं का महत्व नहीं पता हो। पत्र पत्रिकाएं और पुस्तकें पढ़ना हमारे जीवन की एक स्वभाविक प्रवृत्ति है। पत्र-पत्रिकाओं को पढ़ने से हमें देश-दुनिया के बारे में जानने का अवसर मिलता है। कंप्यूटर की स्क्रीन अथवा मोबाइल की स्क्रीन पर कुछ पढ़ने में वह आनंद नहीं जोकि किसी पत्र-पत्रिका को पढ़ने में होता है। यह हमारी आँखों के लिए भी अनुकूल होती हैं, और हमारी आँखों पर कोई दुष्प्रभाव नही पड़ता।
इसीलिए मैं तुमको साथ सलाह देना चाहती हूं कि तुम्हें जब भी खाली समय मिले और तुम्हें कुछ जानकारी चाहिए हो, तुम्हें मनोरंजन करना है तो तुम पत्र-पत्रिकाएं पढ़ा करो। इससे ना केवल तुम्हारे ज्ञान में वृद्धि होगी बल्कि तुम मोबाइल या कंप्यूटर की स्क्रीन की चमक से आँखों पर पड़ने वाले नुकसान से बच सकोगी। पत्र-पत्रिकाएं ज्ञान का अतुल्य भंडार हैं।
मैंने इस पत्र के साथ कुछ पत्र-पत्रिकाओं की लिस्ट भेजी है और अगले पत्र में मैं तुम्हें कुछ पत्र पत्रिकाएं पार्सल करके भेज दूंगी। तुम इनको पढ़ना और तब तुम्हें मानना पड़ेगा कि पत्र-पत्रिकाओं को पढ़ने में जो आनंद आता है, वह मोबाइल और कंप्यूटर की स्क्रीन पर किसी पठन सामग्री को पढ़ने में नहीं आता। तुम भी फिर मुझसे पत्र-पत्रिकाओं को पढ़ने की मांग करा करोगी।
तुम्हारी बड़ी बहन,
दिव्यांशी ।
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