संवाद लेखन
बदलते समय परिवेश पर दादा-दादी-पोती का संवाद
पोती ⦂ दादा जी आपने कितनी कक्षा तक पढ़ाई की है?
दादा ⦂ बेटी में दसवीं कक्षा तक पढ़ा हूँ।
पोती ⦂ और दादी आपने कितनी तक पढ़ाई की है?
दादी ⦂ बेटी मैं केवल आठवीं तक पढ़ी हूँ, लेकिन हमारे जमाने में 8वीं तक पढ़ाई कर पाना भी बहुत बड़ी बात होती थी।
पोती ⦂ दादा जी आप के समय में लोग ज्यादा क्यों नहीं पढ़ते थे।
दादा ⦂ बेटी, ऐसी बात नहीं है। हमारे समय भी अच्छी पढ़ाई होती थी। लेकिन गाँव आदि में पढ़ाई का इतना अधिक जोर नहीं होता था। लोग खेती के कामों में व्यस्त रहते थे। खेती ही मुख्य रोजगार था, इसी कारण पढ़ाई में अधिक ध्यान नहीं दे थे।
पोती ⦂ अच्छा आपने पढ़ाई करने के बाद कोई नौकरी की थी?
दादा ⦂ हाँ बेटी, मैं दसवीं पास करने के बाद अपने गाँव में पटवारी बना था और लंबे समय तक पटवारी का काम किया। उसके बाद मैं नौकरी छोड़कर खेती के काम में लग गया।
पोती ⦂ दादी, आप अपने घर से स्कूल कैसे जाती थी?
दादी ⦂ हमारे गाँव में स्कूल नहीं था। हमारे बगल के गाँव में स्कूल था और मेरे पिताजी साइकिल पर बैठाकर रोज मुझे स्कूल छोड़ने जाया करते थे और फिर स्कूल से लेकर आया करते थे।
पोती ⦂ आपके जमाने में टीवी था?
दादी ⦂ नहीं बेटी, हमारे जमाने में टीवी नहीं था। बस केवल रेडियो होता था। उसी पर गाना सुन लेते थे।
पोती ⦂ आप लोग बिना टीवी और सिनेमा के कैसे गुजारा कर लेते थे?
दादा ⦂ बेटी, ऐसी बात नहीं है। पहले के लोग मिलनसार होते थे। टीवी और सिनेमा के बिना भी मनोरंजन किया जा सकता है। हम सभी गाँव के लोग चौपाल पर बैठकर लोकगीत गाया करते थे और नृत्य संगीत का कार्यक्रम होता था। हम सब गाँव के लोग मिलजुलकर अपना मनोरंजन किया करते थे।
पोती ⦂ वाह! यह तो बहुत अच्छी बात है। पहले के पुराने लोग सब लोग कितना मिलकर रहते थे। आज तो सब अपने में मगन हैं, किसी को किसी की नहीं पड़ी है।
दादा ⦂ ये बात तो है बेटी, जमाना बदल गया है। लोग स्वार्थी और आत्मकेंद्रित हो गए हैं।
पोती ⦂ काश! पहले का जमाना लौट आए।
दादा ⦂ बेटी, ऐसा नहीं हो सकता। परिवर्तन समय का नियम है। बीता समय वापस नहीं आता।
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