संवाद
पाठशाला के चपरासी का साक्षात्कार
पत्रकार ⦂ तुम्हारा नाम क्या है?
चपरासी ⦂ साहब, मेरा नाम राम दुलारे है।
पत्रकार ⦂ तुम्हारी तनख्वाह कितनी है?
चपरासी ⦂ साहब, मेरी तनख्वाह 8000 रूपये महीना है।
पत्रकार ⦂ तुम इस पाठशाला में कब से काम कर रहे हो?
चपरासी ⦂ मुझे इस विद्यालय में काम करत-करते 20 बरस हो गए।
पत्रकार ⦂ 8 हजार रुपए में आज के समय में तुम्हारा गुजारा हो जाता है क्या?
चपरासी ⦂ क्या करें साहब मजबूरी है। गरीब आदमी कैसे भी गुजारा कर ही लेता है।
पत्रकार ⦂ तुम्हारी ड्यूटी का समय कितने बजे से कितना बजे तक है।
चपरासी ⦂ साहब मुझे सुबह सात बजे विद्यालय आना पड़ता है और शाम पाँच बजे मेरी छुट्टी होती है।
पत्रकार ⦂ अच्छा, तुम्हें क्या-क्या काम करना पड़ता है?
चपरासी ⦂ साहब, मुझे रोज विद्यालय के पीरियडों के लिए घंटी बजानी पड़ती है। उसके अलावा प्रधानाचार्य जी के कार्यालय का सारा सामान उनके ऑफिस में लाना-ले जाना होता है तथा स्टाफ रूम के अन्य सदस्यों के छोटे-मोटे काम करने पड़ते हैं। विद्यालय की फाइलों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना भी मेरा काम है। नोटिस बोर्ड पर नोटिस चिपकाना मेरा काम है।
पत्रकार ⦂ अच्छा, यह तो काफी मेहनत का काम है, जिसके मुकाबले तुम्हारी तन्ख्वाह काफी कम है।
चपरासी ⦂ प्रधानाचार्य जी ने आश्वासन दिया है कि अगले महीने मेरी तनख्वाह बढ़ा देंगे।
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