गठबंधन की राजनीति क्या है? गठबंधन की राजनीति के सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव क्या हैं? विस्तार से लिखिए।

गठबंधन की राजनीति

गठबंधन राजनीति से तात्पर्य कई राजनीतिक दलों का एक साथ मिल कर सरकार बना लेने से है। हम जानते हैं कि लोकतंत्र में सरकार बनाने के लिए एक निश्चित बहुमत की आवश्यकता होती है। जब किसी राजनीतिक दल को आवश्यक बहुमत नही मिल पाता तो वह राजनीतिक दल दूसरे किसी एक दल या कई अन्य दलो के साथ गठबंधन कर लेता है, जिससे उसके सरकार बनाने योग्य आवश्यक बहुमत प्राप्त हो जाता  है।  इसी प्रकार की राजनीति को गठबंधन की राजनीति कहते हैं। गठबंधन की राजनीति में दो तरह का गठबंधन होता है।

पहली तरह का गठबंधन तब होता है, जब किसी एक दल को आवश्यक बहुमत नहीं मिल पाता और वह सरकार बनाने के लिए अन्य दलों के साथ परिवर्तन करके सरकार बना लेता है। यह गठबंधन चुनाव के बाद होने वाला गठबंधन है। दूसरी तरह का गठबंधन तब होता है, जब किसी को पहले से ही आशंका होती है। वह अपने दम पर आवश्यक बहुमत के लायक सीटें जीत पाएगा।  ऐसी स्थिति में वह दूसरे दल के साथ चुनाव से पूर्व ही गठबंधन करने लेता है और गठबंधन के सभी घटक दल मिलकर सीटों का बंटवारा करके चुनाव लड़ते हैं। ऐसी स्थिति में अगर गठबंधन वाली पार्टियां मिलकर बहुमत वाली सीटें जीत लेती हैं तो जो सरकार बनती है वह गठबंधन की सरकार बनती है।

गठबंधन की राजनीति भारत में 90 के दशक से काफी प्रचलित हो गई है। 90 के दशक से पहले भारत में एक दलीय सरकार ही बनती थी। 1990 के बाद गठबंधन की राजनीति भारत की राजनीति में हावी हो गई और अनेक गठबंधन की सरकारें बनती रहीं। लगभग 25 सालों तक भारत में गठबंधन की राजनीति बेहद प्रभावी रही।

2014 के बाद भले ही भारत में केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार हो, लेकिन पूर्ण बहुमत की सरकार होने के बाद भी वो गठबंधन की सरकार ही है क्योकि उसमें अनेक दल शामिल हैं।

एक ओर गठबंधन की राजनीति अपने कई सकारात्मक प्रभावों को समेटे हुए हैं तो वहीं उसके कई नकारात्मक प्रभाव भी हैं। इन दोनों प्रभावों का विवेचन करते हैं। गठबंधन की राजनीति के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव इस प्रकार हैं…

गठबंधन की राजनीति के सकारात्मक प्रभाव

  • गठबंधन की राजनीति परस्पर सहयोग और समन्वय की भावना से काम करने की राजनीति विकसित करती है। इस राजनीति के कारण अलग-अलग विचारधाराओं वाले दल जब परस्पर सहयोग की भावना से काम करते हैं तो कई मुद्दों पर विरोधाभास टल जाता है और इसे एक स्थिर और अधिक लचीली सरकार देखने को मिलती है।
  • गठबंधन की राजनीति में आपसी सहयोग की भावना मजबूत होती है जिससे वो देश के विकास की गति को आगे बढ़ाता है।
  • गठबंधन की राजनीति में अलग-अलग विचारधाराओं के दलों के एक मंच पर एक साथ आ जाने के कारण उनके बीच जो सामाजिक दूरियां हैं, वह घटती है। इससे राजनीतिक सौहार्द्र भी बढ़ता है।
  • ऐसा माना जाता है कि गठबंधन की राजनीति का सबसे सकारात्मक पहलू यह है कि इसमें जनता का हित अधिक होता है। क्योंकि कोई दल अपनी विचारधारा को थोप नहीं पाता क्योंकि उसे दूसरे दल के अनुसार भी चलना होता है। इस कारण गठबंधन राजनीति में अक्सर एक तरफा और निरंकुश निर्णय नहीं लिए जा पाते और एक सर्वमान्य निर्णय लिए जाते हैं, जिस पर सबकी सामान सहमति हो।
  • गठबंधन की राजनीति से ऐसे अनेक छोटे दलों को भी अपनी राजनीति को प्रभावी बनाने का मौका मिलता है जो एक बेहद छोटे क्षेत्र में सीमित हैं, लेकिन उसे गठबंधन की राजनीति के कारण केंद्रीय परिदृश्य में अपना असर जमाने का मौका मिलता है।

गठबंधन की राजनीति के नकारात्मक प्रभाव

  • गठबंधन की राजनीति के बारे में माना जाता है कि यह स्वार्थ की राजनीति है। विभिन्न विचारधाराओं वाले दल जो गठबंधन से पहले एक दूसरे को कोसते थे, एक दूसरे के धुर विरोधी होते थे, वह केवल सत्ता को पाने के लिए और अपने राजनीतिक हितों को पूरा करने के लिए एक साथ आ जाते हैं और सत्ता पर काबिज हो जाते हैं।
  • गठबंधन की राजनीति पर यह आरोप भी लगता है कि उन्हें जनता के हितों से कोई लेना-देना नहीं होता क्योंकि कई दल केवल अपने निजी स्वार्थ के कारण ही एक मंच पर एक साथ आए हैं।
  • गठबंधन की राजनीति का एक कमजोर पहलू यह भी है कि गठबंधन की राजनीति में अक्सर सरकार कमजोर और अस्थिर होती हैं, क्योंकि विभिन्न विचारधाराओं वाले दलों में अक्सर खींचतान उत्पन्न हो जाती है, जिससे कोई एक दल यदि अलग हो जाता है तो सरकार गिर जाती है।
  • गठबंधन की राजनीति का एक कमजोर पहलू यह है कि इसमें बहुत से आम मुद्दों पर अक्सर सहमति नहीं बन पाती, क्योंकि हर दल की अपनी विचारधारा होती है, इसलिए बहुत से ऐसे निर्णय जो वास्तव में तो राष्ट्रहित में है वह लागू नही हो पाता और इससे देश के हित को हानि पहुंचती है।
  • गठबंधन की राजनीति अविश्वसनियता को भी जन्म देती है क्योंकि अलग-अलग विचारधाराओं वाले दल जिनकी अपने-अपने सिद्धांत थे जो दूसरी विचारधारा और सिद्धांत का खुलकर विरोध करते थे वह गठबंधन की राजनीति में जब साथ में आ जाते हैं तो जनता के मन में संदेह उत्पन्न होता है। इससे जनता के मन में उनकी विश्वसनयीता कम होती है।

इस तरह गठबंधन की राजनीति के अनेक सकारात्मक और नकारत्मक प्रभाव होते हैं।


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