‘हमारा देश एक वृक्ष की भांति है, जिसका तना स्वराज है और स्वदेशी उसकी शाखाएँ’ तिलक का यह कथन किस आंदोलन को संदर्भित करता है? (1) बंग भंग आंदोलन (2) असहयोग आंदोलन (3) सविनय अवज्ञा आंदोलन (4) भारत छोड़ो आंदोलन

इस प्रश्न का सही उत्तर है…

(1) बंग भंग आंदोलन

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व्याख्या

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का यह प्रसिद्ध कथन “हमारा देश एक वृक्ष की भांति है, जिसका तना स्वराज है और स्वदेशी उसकी शाखाएँ” मुख्य रूप से बंग भंग आंदोलन के संदर्भ में कहा गया था। यह आंदोलन 1905 में शुरू हुआ था जब ब्रिटिश सरकार ने बंगाल प्रांत को धार्मिक आधार पर विभाजित करने का निर्णय लिया।

बंगाल विभाजन के कारण भारतीय की जनता में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के प्रति आक्रोश उत्पन्न हो गया। ब्रिटिश के सरकार के विरुद्ध विरोध के स्वर उठने लगे थे। इसी कारण विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का आह्वान किया गया। यहीं स्वदेशी आंदोलन का जन्म हुआ और इसी संदर्भ ने लोकमान्य बालगंगाधर तिलक उक्त कथन कहा था।

तिलक ने इस कथन के माध्यम से स्वराज (स्व-शासन) और स्वदेशी (स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग) के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने देश को एक वृक्ष के रूप में चित्रित किया, जहां स्वराज इसका मजबूत तना है जो पूरे देश को एकजुट रखता है, जबकि स्वदेशी इसकी शाखाओं के रूप में देश के विकास और समृद्धि का प्रतीक है।

बंग भंग आंदोलन के दौरान, स्वदेशी और बहिष्कार की नीतियां प्रमुख रूप से सामने आईं। इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक नया मोड़ लाया और राष्ट्रीय आंदोलन को एक नई दिशा दी। तिलक के इस कथन ने लोगों में राष्ट्रीय भावना जगाने और स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


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