‘प्रेमाश्रम’ किस प्रकार असहयोग आंदोलन का अंग बन गया?

‘प्रेमाश्रम’ उपन्यास असहयोग आंदोलन का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया था। यह उपन्यास मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित प्रथम हिंदी उपन्यास था, जिसने अपने प्रकाशित होते ही धूम मचा दी थी। प्रेमाश्रम का प्रकाशन 1922 में हुआ था। उस समय असहयोग आंदोलन अपने चरम पर था। प्रेमाश्रम में की पृष्ठभूमि भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित थी। इसमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम झांकी तथा राम राज्य की स्थापना अधिक जैसी बातें का वर्णन किया गया था। उपन्यास का जो मूल भाव था वह है भारत की स्वतंत्रता पर प्राप्ति पर आधारित था और असहयोग आंदोलन भी अंग्रेजों को भारत से निकालने के लिए किया गया आंदोलन था। इसलिए प्रेमश्रम ने अहयोग आंदोलन में एक प्रेरणा भरने का कार्य किया। उपन्यास के प्रकाशित होते ही उपन्यास की सारी प्रतिया शीघ्र बिक गई और जल्दी ही दूसरी भाषाओं में इसका अनुवाद आ गया था। इस तरह प्रेमाश्रम उपन्यास अपनी कथा-वस्तु के कारण असहयोग आंदोलन का अभिन्न अंग बन गया था।


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