इस प्रश्न का सही उत्तर है…
(c) इंग्लैंड में
══════════════
व्याख्या
न्यायिक पुनरावलोकन की व्यवस्था ‘इंग्लैंड’ में नही है। न्यायिक पुनरावलोकन का अर्थ होता है कि विधायिका जो भी कानून पारित करती है अथवा विधायिका द्वारा जो भी निर्णय ले जाते हैं, उन सभी कानून और निर्णयों की समीक्षा करने की शक्ति न्यायपालिका को प्राप्त है। इंग्लैंड में न्यायिक पुनरावलोकन की यह व्यवस्था नहीं है।
इंग्लैंड में न्यायिक पुनरावलोकन की व्यवस्था अन्य देशों की तुलना में अलग है। यहाँ परंपरागत रूप से न्यायिक पुनरावलोकन का अभाव रहा है, जो इसके संवैधानिक इतिहास और संसदीय संप्रभुता के सिद्धांत से जुड़ा हुआ है।
इंग्लैंड में:
- संसदीय संप्रभुता : इंग्लैंड में संसद को सर्वोच्च माना जाता है। यह सिद्धांत कहता है कि संसद द्वारा पारित किसी भी कानून को न्यायालय द्वारा अवैध घोषित नहीं किया जा सकता।
- अलिखित संविधान : इंग्लैंड का कोई लिखित संविधान नहीं है, जिसके आधार पर न्यायालय कानूनों की वैधता की जांच कर सके।
- न्यायिक समीक्षा का सीमित दायरा : हालांकि न्यायालय प्रशासनिक कार्यों की समीक्षा कर सकते हैं, लेकिन वे संसद द्वारा पारित कानूनों को चुनौती नहीं दे सकते।
- मानवाधिकार अधिनियम 1998 : इस अधिनियम ने कुछ हद तक न्यायिक समीक्षा की शक्ति प्रदान की है, लेकिन यह अमेरिका या भारत जैसे देशों की तुलना में बहुत सीमित है।
यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि हाल के वर्षों में इंग्लैंड में भी न्यायिक पुनरावलोकन की दिशा में कुछ बदलाव आए हैं, लेकिन यह अभी भी अन्य देशों की तुलना में बहुत सीमित है। इसके विपरीत, अमेरिका, भारत और फ्रांस में न्यायिक पुनरावलोकन की व्यवस्था मौजूद है, जहाँ न्यायालय कानूनों और सरकारी कार्यों की संवैधानिकता की जांच कर सकते हैं।