कहानी
सफलता और परिश्रम
परिश्रम और सफलता एक दूसरे के पूरक है। किसी भी कार्य में सफलता परिश्रम के बिना नहीं मिलती। जो व्यक्ति परिश्रमी होता है उसे सफलता मिली निश्चित है। इसी संबंध में एक छोटी सी कहानी प्रस्तुत है।
मनोज पढ़ाई में बेहद औसत छात्र था। हालांकि वह अपनी कक्षा में सबसे अव्वल छात्र बनना चाहता था लेकिन उसे कक्षा में पढ़ाई हुई बातें आसानी से समझ में नहीं आती कि इसी कारण वह अक्सर पढ़ाई में पिछड़ जाता था। एक बार उसके मामा उसके घर आए और उन्होंने उसे उसकी पढ़ाई की प्रगति के बारे में पूछा।
तब मनोज ने अपने मामा को बताया कि वह अपनी कक्षा में अव्वल आना चाहता है लेकिन अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाता। वह पढ़ाई में उतना वेतन नहीं बन पा रहा जैसा वह चाहता है। तब मामा ने उसकी पढ़ाई की शैली पर गौर किया उसकी दिनचर्या देखी फिर उससे सुझाव दिया। मामा ने कहा मैंने तुम्हारी दिनचर्या और पढ़ाई की शैली देखी है। मैंने पाया है कि तुम्हारी दिनचर्या अनियमित है और तुम्हारा पढ़ाई का तरीका भी ठीक नहीं है।
किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए हमें कड़ा परिश्रम करना होगा। मैंने देखा है कि तुम बहुत देर से उठते हो। शाम को विद्यालय से घर आने के बाद भी तुम नियमित रूप से पढ़ाई करने नहीं बैठते बल्कि खेलने चले जाते हो और काफी देर तक खेलते हो। तुम्हारा पढ़ाई का समय निश्चित नहीं है। इसी कारण तुम पढ़ाई में पिछड़े जा रहे हो। किसने बरसे कोई काम नहीं होता हमें कड़ा परिश्रम करना होता है। मामा की बातों का मनोज पर गहरा असर हुआ उसने उसी दिन से कर लिया कि वह अपनी पढ़ाई में कड़ा परिश्रम करेगा। अपनी दिनचर्या का एक टाइम टेबल बनाएगा और उसी के अनुसार पढ़ाई करेगा।
वार्षिक परीक्षा में अभी 3 महीने का समय बाकी था। मनोज भी जानते पढ़ाई में जुट गया। उसने एक निश्चित टाइम टेबल बना लिया और उसी के अनुसार पढ़ाई करता। उसने अलग-अलग विषयों के लिए अलग-अलग समय निश्चित कर लिया था। खेल का समय भी उसने काफी कम कर दिया और उसके लिए एक छोटा सा समय निश्चित कर दिया। उससे अधिक वह खेलता नहीं था।
3 महीने तक उसने अथक परिश्रम किया। 3 महीने बाद जब उसने परीक्षा दी, तो उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे क्योंकि उसके सारे पेपर अच्छे गए थे। उसके मन में यह विश्वास अवश्य था कि वह परीक्षा में अच्छे अंको से पास होगा। अंततः एक दिन परीक्षा परिणाम घोषित हुआ। मनोज अपनी कक्षा में ही नहीं पूरे विद्यालय में सबसे अधिक अंक पाने वाला छात्र बना। उसने अपने पूरे विद्यालय को टॉप किया था। मनोज के अथक परिश्रम के कारण ही वह अपने लक्ष्य को पाने में सफल हो सका। आज मनोज बहुत खुश था क्योंकि उसकी वर्षों की इच्छा पूरी हो गई थी कि वह अपनी कक्षा में अव्वल आए। बल्कि पूरे विद्यालय में ही अव्वल आ गया।
इसीलिए विद्वान जनों ने कहा है कि परिश्रम से किसी भी कार्य में सफलता मिलनी निश्चित है। हमें जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कठोर परेशान की आवश्यकता है।
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