इस प्रश्न का सही उत्तर होगा…
(1) गुप्तचरों की
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व्याख्या
कौटिल्य के अर्थशास्त्र में गुप्तचरों या गुप्तचरों (जासूसों) के विभिन्न प्रकार का वर्णन किया गया है। अर्थशास्त्र में कापटिक, उदास्थित, गृहपाटक, तापस, वैदेहक, तीक्ष्ण आदि – विशेष रूप से गुप्तचरों के लिए उल्लिखित हैं।
कौटिल्य ने इन विभिन्न प्रकार के गुप्तचरों का उपयोग राज्य की सुरक्षा, शत्रुओं की गतिविधियों पर नज़र रखने और आंतरिक मामलों की जानकारी एकत्र करने के लिए सुझाया था। प्रत्येक श्रेणी का एक विशिष्ट कार्य और पहचान होती थी…
- कापटिक (Kapatic): ये गुप्तचर धोखे और छल के माध्यम से जानकारी प्राप्त करते हैं।
- उदास्थित (Udastith): ये गुप्तचर ऐसे होते हैं जो उदासीन या तटस्थ दिखाई देते हैं लेकिन गुप्त रूप से जानकारी इकट्ठा करते हैं।
- गृहपाटक (Grihapaatak): ये गुप्तचर घरों के अंदर रहकर जानकारी एकत्रित करते हैं।
- तापस (Tapasa): ये तपस्वी या साधु के रूप में रहते हुए गुप्तचरी करते हैं।
- वैदेहक (Vaidehaka): ये गुप्तचर व्यापारी या वणिक के रूप में रहते हैं और जानकारी प्राप्त करते हैं।
- तीक्ष्ण (Teekshna): ये गुप्तचर उग्र या तीव्र स्वभाव के होते हैं और जानकारी प्राप्त करने के लिए कठोर तरीके अपनाते हैं।
- अन्य श्रेणियाँ: इसके अलावा भी कई अन्य प्रकार के गुप्तचर होते हैं जो विभिन्न तरीकों से राज्य के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करते हैं।
इन गुप्तचरों का मुख्य उद्देश्य राज्य को बाहरी और आंतरिक खतरों से सुरक्षित रखना और शासक को सही समय पर सही जानकारी उपलब्ध कराना होता है। अर्थशास्त्र में इन गुप्तचरों की भूमिकाएँ और कार्य स्पष्ट रूप से वर्णित हैं, जो राज्य संचालन में अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
ये श्रेणियाँ न तो राजमंडल की द्रव्य या मूल प्रकृतियों से संबंधित हैं, न ही चतुरंगिणी सेना के आयुधों से। वे विशेष रूप से गुप्तचर व्यवस्था के लिए निर्धारित की गई थीं, जो कौटिल्य के अनुसार एक कुशल राज्य प्रशासन का महत्वपूर्ण अंग थी।