सही उत्तर है…
(3) जीन बोंदा
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व्याख्या
उपरोक्त कथन ‘संप्रभुता नागरिकों और प्रजाजनों के ऊपर एक ऐसी सर्वोच्च शक्ति है, जो कानून द्वारा मर्यादित नहीं की जा सकती’ प्रसिद्ध राजनीतिक दार्शनिक जीन बोंदा (Jean Bodin) का है।
जीन बोंदा (Jean Bodin) एक फ्रांसीसी राजनीतिक दार्शनिक और कानूनविद थे, जिन्होंने 16वीं शताब्दी में संप्रभुता की अवधारणा पर महत्वपूर्ण कार्य किया। उनका यह विचार संप्रभुता की निरंकुश प्रकृति को दर्शाता है, जो राज्य की सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक है।
बोंदा का यह कथन संप्रभुता की अविभाज्यता और असीमितता पर जोर देता है। उनका मानना था कि संप्रभु शक्ति किसी भी कानूनी सीमा से परे होती है, क्योंकि वह स्वयं कानून का स्रोत है। यह विचार तत्कालीन युग में राजतंत्र की शक्ति को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण था। हालांकि, आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में इस अवधारणा को चुनौती दी गई है, जहां संविधान और कानून की सर्वोच्चता पर जोर दिया जाता है। फिर भी, बोंदा का यह सिद्धांत राज्य की शक्ति और उसकी सीमाओं पर चल रही बहस में एक महत्वपूर्ण बिंदु बना हुआ है।
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