इम्तिहान का बोझ टलने पर होने वाली खुशी के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त कीजिए।

विचार लेखन

इम्तिहान का बोझ टलने पर विचार

 

इम्तिहान का बोझ एक विद्यार्थी के लिए कितना बड़ा होता है, यह एक विद्यार्थी ही समझ सकता है। विद्यार्थी का पूरा वर्ष इम्तिहान का बोझ ढोते ही बीता है। उसकी पढ़ाई का मुख्य लक्ष्य इम्तिहान को पास करके उसमें अच्छे अंक प्राप्त करना होता है। इम्तिहान को केंद्र में रखकर ही विद्यार्थी पूरे वर्ष भर अपनी पढ़ाई की तैयारी करता है।

जब इम्तिहान नजदीक होते हैं, उससे कुछ दिनों पहले विद्यार्थी को इतना अधिक मानसिक तनाव और बोझ हो जाता है कि वह इस बोझ के तले दबा हुआ पाता है। जब इम्तिहान खत्म हो जाते हैं, तब उसे जो खुशी मिलती है, जो राहत मिलती है, उसका अनुभव केवल एक विद्यार्थी ही समझ सकता है। मैं पूरे साल भर एक समान पढ़ाई करता हूँ, न कि केवल इम्तिहान के दिनों में ज्यादा पढ़ाई। मेरी सारी तैयारी भी पूरी थी, लेकिन इम्तिहान से एक महीना पहले ही मन पर एक तरह का तनाव और बोझ हो गया था। जैसे-तैसे मैंने अपने सारे पेपर दिए। मेरे सारे पेपर लगभग अच्छे ही हो गए और जिस दिन अंतिम पेपर देकर मैं परीक्षा हॉल से बाहर आया।

ऐसा लग रहा था कि मन से कोई बहुत बड़ा बोझ उतर गया हो। उस समय एक अजीब सी राहत और खुशी का एहसास हो रहा था। अब लग रहा था कुछ दिनों तक मैं बेफिक्र होकर कहीं पर भी घूम सकता हूँ। कॉमिक्स पढ़ सकता हूँ। मूवी देख सकता हूँ। टीवी पर मनपसंद कार्यक्रम देख सकता हूँ। गेम खेल सकता हूँ। पिकनिक पर जा सकता हूँ। किसी घूमने वाली जगह पर जा सकता हूँ। अब सब कुछ करने की आजादी थी, क्योंकि परीक्षा का बोझ अपने सर पर से उतर गया था। हालांकि यही बोझ अगले एक साल बाद फिर सर पर चढ़ जाना है लेकिन तब तक के लिए फिलहाल जो राहत मिली है, उसका आनंद अलग ही था।


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