“शिक्षा में राजनीति का बढ़ता दवाब ” विषय के पक्ष और विपक्ष पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

विचार/अभिमत

शिक्षा में राजनीति का बढ़ता दवाब

 

पक्ष

शिक्षा में राजनीति का बढ़ता जवाब एक चिंतनीय विषय है। विद्यार्थी स्कूल कॉलेज में शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाते हैं ताकि उनका आगे का भविष्य सुदृढ़ हो सके। लेकिन आजकल यह देखने में आ रहा है कि शिक्षा में राजनीति का दखल निरंतर बढ़ता जा रहा है। कॉलेज में छात्र राजनीति निरंतर बढ़ती जा रही है। इस छात्र राजनीति को देश के अलग-अलग राजनीतिक दल प्रश्रय दे रहे हैं। इससे छात्रों के भविष्य की हानि हो रही है। उनका मूल्य ध्यान अपनी शिक्षा से हटकर राजनीति पर केंद्रित हो जाता है। राजनीति एक ऐसा आकर्षण जाल है जो हर किसी को आकर्षित करता है।

राजनीति शक्ति प्राप्त करने का माध्यम है और हर व्यक्ति शक्ति अपने हाथ में लेने का आनंंद लेना चाहता है। कॉलेज आदि के छात्र भी इस आकर्षण से बच नहीं पा रहे हैं। जिस आयु में उन्हें अपना पूरा ध्यान शिक्षा पर केंद्रित करना चाहिए ताकि वह अपने भविष्य को संवार सकें, उस आयु में वह छात्र राजनीति में पड़कर अपने भविष्य को चौपट कर लेते हैं। आरंभ में छात्र राजनीति में उन्हें बड़ा मजा आता है, लेकिन आगे इसके दुष्परिणाम भी होते हैं। राजनीति कभी भी प्रेम एवं सद्भाव का विषय नहीं है।

राजनीति में हमेशा विरोध एवं घृणा की प्रधानता रही है। राजनीति अलग-अलग गुटों में बांटने को प्रेरित करती है छात्र भी इसी कारण अलग-अलग गुटों में बंट जाते हैं और वे आपसी भाईचारे को भूल कर वैमनस्यता पाल लेते हैं। किसी युवा के जीवन के आरंभिक चरण में उसके मन में यदि वैमनस्यता आ जाए तो यह उसके आगे के जीवन में उसे एक विनम्र और अच्छा नागरिक बनने से रोकती है। इसलिए शिक्षा में राजनीति का दबाव एक चिंतनीय विषय है। हमारे विचार में कॉलेज में छात्र राजनीति बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए और राजनीतिक दलों का कॉलेज कैंपस में प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित कर देना चाहिए। विद्यार्थी को केवल अपनी शिक्षा ग्रहण करने पर ध्यान लगाना चाहिए। पूरी तरह शिक्षा प्राप्त करने के बाद अपने करियर चुनने की स्थिति में वह राजनीति को अपने करियर चुन सकते हैं, लेकिन छात्र जीवन में राजनीति का प्रवेश नहीं होना चाहिए।

विपक्ष

राजनीति भी हमारे समाज का ही एक अंग है। यदि विद्यार्थी अपने युवा जीवन से ही राजनीति का वातावरण पाता है, तो उसे देश के हालातों को जानने का अवसर मिलता है जो उसके लिए आगे एक जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बनने में सहयोग कर सकता है । शिक्षा में राजनीति के बढ़ते दबाव में आवश्यक नहीं कि हर विद्यार्थी छात्र राजनीति में रुचि ले। जो विद्यार्थी राजनीति में अपना बनाना चाहते हैं, वह छात्र राजनीति में रुचि ले सकते हैं। जिन्हें किसी दूसरे क्षेत्र में अपना करियर बनाना है, वे इससे दूर रह सकते हैं। इसीलिए हमारे विचार के अनुसार शिक्षा में राजनीति का दवाब उचित है। यह विद्यार्थियों को देश की राजनीति को समझने का अवसर प्रदान करता है।

विद्यार्थी देश का भविष्य हैं और भविष्य में देश की बागडोर उनके हाथों में ही जाने वाली है, तो यदि अपने देश की राजनीति को जान लेंगे तो आगे ये अनुभव उनके काम आ सकता है। देश के बहुत से ऐसे नेता है, जो छात्र राजनीति से उभरकर आए और एक सफल नेता बने। इसलिए शिक्षा में राजनीति का दवाब एक निश्चित मर्यादा में उचित है।

टिप्पणी :

यहाँ पर ‘शिक्षा में राजनीति का बढ़ता दवाब’ विषय पर पक्ष और विपक्ष दोनो तरह के विचार प्रस्तुत है। आप अपनी सुविधा अनुसार किसी एक पक्ष से सहमत-असहमत हो सकते हैं।


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