सही उत्तर है…
(2) कृषि एवं व्यापार
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व्याख्या
कौटिल्य के अर्थशास्त्र में चार प्रमुख विद्याओं (विद्याओं या ज्ञान के क्षेत्रों) का उल्लेख किया गया है। ये चार विद्याएँ हैं, आन्वीक्षिकी (दर्शनशास्त्र), त्रयी (वेद), दण्डनीति (शासन और कानून का विज्ञान), और वार्ता। इनमें से, वार्ता का संबंध कृषि और व्यापार से है।
वार्ता का अर्थ है आर्थिक गतिविधियों का विज्ञान या व्यावहारिक जीवन की कला। इसमें मुख्य रूप से कृषि, पशुपालन, व्यापार और वाणिज्य शामिल हैं। कौटिल्य ने वार्ता को राज्य की आर्थिक नींव के रूप में देखा। यह राजस्व उत्पादन और आर्थिक समृद्धि के लिए आवश्यक थी। वार्ता में कृषि तकनीकों, फसल प्रबंधन, सिंचाई आदि का ज्ञान शामिल था। इसमें व्यापार के नियम, बाजार व्यवस्था, मूल्य निर्धारण आदि शामिल थे। वार्ता राज्य की अर्थव्यवस्था के प्रबंधन के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्रदान करती थी। खनन, शिल्प, उद्योग आदि भी वार्ता के अंतर्गत आते थे। वार्ता राजा को अर्थव्यवस्था में राज्य की भूमिका समझने में मदद करती थी।
यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि वार्ता अमात्यों (मंत्रियों) से परिचर्चा, लोकनीति पर चर्चा, या गुप्तचरों से मंत्रणा से संबंधित नहीं है। ये अन्य विषय राज्य प्रशासन और राजनीति के अन्य पहलुओं से संबंधित हैं, जबकि वार्ता विशेष रूप से आर्थिक गतिविधियों और उनके प्रबंधन पर केंद्रित है।
कौटिल्य के अनुसार, एक सफल राजा के लिए इन सभी विद्याओं का ज्ञान आवश्यक था, लेकिन वार्ता विशेष रूप से राज्य की आर्थिक समृद्धि और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण थी।