जब मैं बारिश में भीगा… (अनुच्छेद)

अनुच्छेद

जब मैं बारिश में भीगा…

 

बारिश का मौसम हमेशा से मुझे बहुत प्रिय रहा है। जब भी बादल गरजते हैं और बारिश की बूंदें धरती पर गिरती हैं, तो मेरा मन खुशी से झूम उठता है। एक दिन, जब मैं स्कूल से घर लौट रहा था, अचानक बारिश शुरू हो गई। मेरे पास छाता नहीं था, लेकिन मैंने सोचा कि क्यों न इस बारिश का आनंद लिया जाए। मैंने अपने बैग को एक दुकान में सुरक्षित रखा और खुले आसमान के नीचे आ गया। बादलों से झमाझम बारिश हो रही थी, और मैं बारिश में भीगने का आनंद लेने लगा।

बारिश की ठंडी बूंदें जब मेरे चेहरे और हाथों पर गिरने लगीं, तो एक अलग ही सुकून का अनुभव हुआ। मेरी सारी थकान और तनाव पल भर में गायब हो गए। हर बूंद जैसे मेरे मन को शांति और ताजगी का एहसास कराती रही। मैंने भीगते-भीगते रास्ते में बने छोटे-छोटे पानी के गड्ढों में कूदना शुरू कर दिया, जिससे मेरे कपड़े और भीग गए। बच्चों की तरह मस्ती करते हुआ बहुत देर तक यूँ ही बारिश में मस्ती करता रहा।

रास्ते में मुझे बहुत सारे लोग दिखे जो बारिश से बचने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे, लेकिन मैंने उनकी परवाह नहीं की। मेरे लिए वह पल सबसे खास था। जब मैं घर पहुंचा, तो माँ ने मुझे भीगा देखकर पहले गुस्सा जताया फिर मेरे चेहरे की खुशी देखकर वह भी मुस्कुरा दीं।

उस दिन मैंने महसूस किया कि कभी-कभी हमें अपने रोजमर्रा के जीवन से थोड़ा हटकर ऐसे पलों का आनंद लेना चाहिए। बारिश में भीगने का वह अनुभव मेरे जीवन के सबसे खूबसूरत पलों में से एक बन गया।


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