अनुच्छेद लेखन
‘काश मैं पक्षी होता’
काश मैं पक्षी होता तो स्वच्छंद होकर आकाश में उड़ रहा होता। काश मैं पक्षी होता तो मैं सीमाओं के बंधन से परे होता। मुझ पर एक जगह से दूसरी जगह जाने का कोई बंधन नहीं होता। मैं अपने पंखों से सारे संसार को माप लेने की ताकत रखता। पक्षी होने पर मैं चाहता कि मैं संसार के हर कोने में जाऊं और हर जगह की खूबसूरती को निहारूँ। पक्षी होने पर मैं सीमाओं के बंधन में नहीं बंधा होता क्योंकि पक्षियों के लिए देशों की, राज्यों की कोई सीमा नहीं होती। मैं एक देश से दूसरे देश आसानी से जा सकता था। इस तरह मैं संसार के हर कोने को देख सकता था। पक्षी होने पर मैं अपने पंखों की उड़ान से स्वच्छंद होकर आकाश में उड़ान भरकर। मैं इस सुंदर संसार को निहारता। काश मैं पक्षी होता पेड़ों की टहनियों पर बैठकर मधुर स्वर में गीत गाता, गाँव-गाँव, खेत-खेत जाकर दाने चुगता। खुले आकाश में उड़ान भरने का अपना ही मजा है, यदि मैं पक्षी होता तो मैं इस खुले आकाश में उड़ान भर सकता था। उस आनंद का अनुभव कर सकता था।
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