प्रदूषण पर निबंध

निबंध

प्रदूषण

 

प्रस्तावना

प्रदूषण आज के विश्व की सबसे बड़ी समस्या है। ये केवल भारत या किसी एक देश की समस्य नही बल्कि पूरे विश्व की समस्या है, जो दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करती जा रही है। विज्ञान के क्षेत्र में आज हम बहुत ही तेजी से तरक्की कर रहे हैं, आधुनिक विज्ञान ने जहाँ हमारी जीवनशैली को सुविधाओं से युक्त बना दिया है, वहीं इससे हमें पर्यावरण प्रदूषण जैसा भयानक अभिशाप भी मिला है।आज हम मनुष्य ने अपने लाभ के लिए पृथ्वी की प्रदूषित कर दिया है । आज पेड़ों की कटाई, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, खतरनाक रसायनों के उपयोग ने प्रकृति में असंतुलन पैदा कर दिया है। आज पेड़ों, जंगलों को काट कर पशु-पक्षियों के घरों को नष्ट कर दिया है। समय रहते हुए हमें प्रदूषण को रोकने की ओर यदि ध्यान न दिया गया तो परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार

वायु प्रदूषण

वातावरण में वायु को प्रदूषित करना वायु प्रदूषण कहलाता है । जहरीली गैस और धुआँ हवा में मिल जाता है और वायु प्रदूषण को जन्म देती है। कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसी विभिन्न गैस सांस लेने के लिए अत्यधिक जहरीली होती हैं ।

जल प्रदूषण

जल में अशुद्धता, अपशिष्ट, विषाक्त पदार्थ आदि का निर्वहन जल प्रदूषण कहलाता है। लोग जल निकायों में कचरा, प्लास्टिक आदि फेंकते हैं। परिणामस्वरूप पानी उपयोग के लिए हानिकारक हो जाता है ।

भूमि/मृदा प्रदूषण

अपशिष्ट और अजैव निम्न करणीय सामग्री को मिट्टी में जमा करने से मिट्टी या भूमि प्रदूषण होता है । अजैव निम्नीकरणीय कचरा मिट्टी को अनुपजाऊ बना देता है । मिट्टी में जहरीले पदार्थ की उच्च सांद्रता इसे पौधों और मनुष्यों दोनों के लिए अपर्याप्त बनाती है ।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण भी पर्यावरण को प्रदूषित करने में काफी हद तक जिम्मेदार है । हद से ज्यादा शोर किसी को भी पसंद नहीं होता लेकिन कई बार बहुत से लोग अपने मनोरंजन के लिए इस बात की परवाह नहीं करते कि कोई दूसरा व्यक्ति इससे परेशान हो सकता है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि हद से ज्यादा तेज आवाज व्यक्ति की सुनने की क्षमता को धीरे – धीरे बहुत ज्यादा कम कर देता है। इतना ही नहीं एक समय ऐसा भी आता है जब व्यक्ति की सुनने की शक्ति पूरी तरह से खत्म हो जाती है। शोर की वजह से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर तो कोई बुरा असर नहीं होता लेकिन तेज आवाज सहन कर पाना अत्यधिक मुश्किल होता है। ध्वनि प्रदूषण की वजह से इंसान किसी भी काम पर ध्यान नहीं कर पाता और बहुत से कामों में उसे असफलता का मुंह देखना पड़ता है।

पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के उपाय
जिस प्रकार से पर्यावरण में प्रदूषण फैलाने का कार्य मनुष्य कर रहे हैं तो पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए भी इंसान को ही आगे आना होगा। यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए प्रयास किए जाएं । पर्यावरण प्रदूषण इस समस्या को कम करने के कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं।

जैसे
 पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोक देना चाहिए । इसके अलावा अपने आसपास वृक्ष जरूर लगाएं।
★ कार पूलिंग करें।
★ जितना ज्यादा हो सके कपड़े और जूट के बने हुए थैलों का इस्तेमाल करें और प्लास्टिक बैगों को ना कहें।
★ पर्यावरण प्रदूषण को लेकर युवाओं में जागरूकता फैलानी चाहिए।
★ अपने आसपास गंदगी और कूड़े के ढेर को इकट्ठा ना होने दें।
★ पेट्रोलियम के साथ-साथ कोयला जैसे उत्पादों का भी इस्तेमाल कम से कम करें ।
★ कारखाने शहर से दूर बनाएं जाने चाहिए जिससे कि उनमें से निकलने वाला धुआं वायु में घुल कर लोगों में बीमारी ना फैला सके ।
★ यातायात के लिए ऐसे वाहनों का इस्तेमाल करना चाहिए जो कम धुआं छोड़ते हों ।
★ नदियों में कचरा ना फेंके ।
★ अपने आस-पास की जगहों को साफ-सुथरा रखें।
★ कीटनाशकों और उर्वरकों का सीमित मात्रा में ही उपयोग करें।
★ काम्पोस्ट का उपयोग कीजिए।
★ प्रकाश का अत्यधिक और जरूरत से ज्यादा उपयोग ना करके।
★ रेडियोएक्टिव पदार्थों के उपयोग को लेकर कठोर नियम बनाएँ।
★ कड़े औद्योगिक नियम-कानून बनाकर प्रदूषण पर रोक लगा सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण का भविष्य पर प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव में भविष्य की कल्पना करना हृदय विदारक है । अगर पर्यावरण काफी हद तक प्रदूषित होगा तो हमें सांस लेने के लिए आक्सीजन किट अपने साथ रखनी होगी । शुद्ध पानी पीने के लिए हमें एक-एक बूंद की भी कीमत चुकानी पड़ेगी । इसके अलावा, मनुष्यों का जीवन काल कम हो जाएगा और वे कई खतरनाक बीमारियों के शिकार हों जाएंगे । पारिस्थितिक तंत्र का संतुलन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाएगा और हमें जीने के लिए संघर्ष करना होगा । ग्लोबल वार्मिंग और एसिड रेन का बढ़ता असर इस धरती पर हर जीवन को खत्म कर देगा ।

सबसे अधिक प्रदूषण वाले शहर

एक तरफ जहां विश्व के कई शहरों ने प्रदूषण के स्तर को कम करने में सफलता प्राप्त कर ली है, वही कुछ शहरों में यह स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व के सबसे अधिक प्रदूषण वाले शहरों की सूची में कानपुर, दिल्ली, वाराणसी, पटना, पेशावर, कराची, सिजीज़हुआन्ग, हेजे, चेर्नोबिल, बेमेन्डा, बीजिंग और मास्को जैसे शहर शामिल है । इन शहरों में वायु की गुणवत्ता का स्तर काफी खराबहै और इसके साथ ही इन शहरों में जल और भूमि प्रदूषण की समस्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे इन शहरों में जीवन स्तर काफी दयनीय हो गया है । यह वह समय है जब लोगों को शहरों का विकास करने के साथ ही प्रदूषण स्तर को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है ।

उपसंहार

बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण किसी देश विशेष की समस्या नहीं है बल्कि यह पूरे विश्व की समस्या है । आधुनिकरण हमें आरामदायक और आनंददायक जीवन दे रहा है, लेकिन दूसरी ओर, इसका प्रभाव हमारे जीवन के दिनों को सीमित कर रहा है। इसलिए, एक साथ लड़ने और इस समस्या से बाहर निकलने का समय आ गया है। पहले का जीवन आज की तुलना में बहुत बेहतर था। पहले लोगों के पास उन्नत तकनीक नहीं थी, लेकिन उनके पास सांस लेने के लिए शुद्ध हवा और पीने के लिए पानी था । इससे उन्हें लंबे समय तक स्वस्थ रहने में मदद मिलती थी। लेकिन आज एक छोटा बच्चा भी बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के कारण कई बीमारियों की चपेट में है। अगर सही कदम नहीं उठाए गए तो वह समय दूर नहीं जब हमें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा और हमारा जीवन थम जाएगा ।


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