निबंध
जंगल और उनका महत्व
जंगल पृथ्वी की प्रकृति के लिए वरदान हैं। जंगल विभिन्न प्रकार की जंगलस्पतियों से बने होते हैं जैसे पेड़, पौधे, पर्वतारोही, लता, झाड़ियाँ, झाड़ियाँ और घास। एक जंगल में कई प्रकार की फूलों की प्रजातियां होने के कारण इसमें कई प्रकार की जीव-जंतु प्रजातियां भी पाई जाती हैं। जंगलों में जल निकाय भी होते हैं। जंगल जंगल्यजीवों के लिए आवास हैं जिनमें स्तनधारी, उभयचर, सरीसृप, पक्षी और कीड़े शामिल हैं। ग्रह पृथ्वी के स्वास्थ्य के लिए जंगल पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण हैं और सभी जीजंगल रूपों जो इसे निवास करते हैं। जंगलों की कटाई एक गंभीर समस्या है, और हमें अपने जंगलों की रक्षा के लिए सभी प्रयास करने चाहिए।
जंगल के महत्व
- जंगल से हमें आक्सीजन प्राप्त होती है। जंगल कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करके आक्सीजन छोड़ते है। जिससे इस प्रकृति में आक्सीजन और कार्बन-डाइ-ऑक्साइड के बीच में संतुलन बना रहता है।
- जंगल और भी कई तरह की ग्रीन हाउस गैसों को ग्रहण करके प्रकृति का संतुलन बनाए रखता है। जंगलों के होने से वर्षा की मात्रा भी ठीक रहती है और जंगलों के आसपास कभी भी सूखा नहीं पड़ता है।
- यह वातावरण में संतुलन बनाए रखने का कार्य करता है। यह सभी जंगली जानवरों व पक्षियों को घर प्रदान करता है।
- जीव-जंतुओं का पोषण भी इन जंगलों से ही होता है। जंगलों से कई लोग अपना जीजंगलयापन करते है। वह इसी से ही अपना भोजन भी प्राप्त करते है और कई मौकों पर अपनी आजीविका भी यहीं से चलाते है।
- एक साथ बड़ी मात्रा में पेड़-पौधे मिट्टी के कटाव को रोकते है। जंगलों के होने से वातावरण भी ठंडा रहता है। जंगलों के होने से प्रकृति में प्रदूषण भी कम होता है।
- जंगलों से हमें लकड़ी भी प्राप्त होती है, जिससे आज विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ बनाई जाती है, जो काफी आवश्यक है।
जंगल के बिना नुकसान
- यदि जंगल नहीं होंगे तो वर्षा भी समय पर नहीं होगी, जिससे सूखा पड़ने का खतरा बढ़ जाएगा।
- जंगल या पेड़-पौधे न होने से बाढ़ का खतरा भी बढ़ जाता है। यदि पेड़-पौधे या जंगल नहीं होंगे तो पानी की कमी भी होगी।पेड़-पौधों के न होने से वातावरण में आक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है और कार्बन-डाई-ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है, जो जीव-जंतुओं के लिए खतरनाक है। बिना पेड़-पौधों के प्रदूषण भी बढ़ता है।
- जंगली जानवरों का घर छीन जाता है, जिससे वें बेघर होकर इंसानी बस्तियों में आने लगते है।
निष्कर्ष
जंगल (जंगल) पर्यावरण का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। हालांकि, दुर्भाग्यवश मानव विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए नेत्रहीन रूप से पेड़ों को काट रहा है जिससे पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है। वृक्षों और जंगलों को बचाने की आवश्यकता को अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
वर्तमान में दुनिया के 7 अरब लोगों को प्राणवायु (आक्सीजन) प्रदान करने वाले जंगल खुद अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। विशेषज्ञों की राय है कि यदि जल्द ही इन्हें बचाने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं विकराल रूप ले लेंगी। एक व्यक्ति को जिंदा रहने के लिए उसके आसपास 16 बड़े पेड़ों की जरूरत होती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि जमीन के एक तिहाई हिस्से पर जंगल होना चाहिए जबकि भारत में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के करीब 23 फीसदी हिस्से पर जंगल हैं, लेकिन हाल ही में आई एक गैर सरकारी संस्था की रिपोर्ट बताती है कि भारत के केवल 11 प्रतिशत हिस्से पर जंगल हैं। ऐसा है तो यह काफी गंभीर और चिंतनीय है।