अयोगवाह से तात्पर्य ऐसे वर्णों से होता है जिनमें स्वर एवं व्यंजन दोनों के गुण पाए जाते हैं।
हिंदी वर्णमाला में अनुस्वार तथा विसर्ग ‘अयोगवाह वर्ण’ कहे जाते हैं इन वर्णों में स्वर एवं व्यंजन दोनों के गुण पाए जाते हैं जैसे कि ‘अं’ एवं ‘अः’ यह अयोगवाह वर्ण हैं। हिंदी वर्णमाला में अयोगवाह की संख्या मात्र 2 होती है। ‘अं’ एवं ”अः’ में कहें तो अयोगवाह ना तो पूर्ण रूप से स्वर कहे जाते हैं और ना ही पूर्ण रूप से व्यंजन कहलाते हैं। उनमें स्वर एवं व्यंजन दोनों के गुण पाए जाते हैं।
अयोगवाह का प्रयोग अनुस्वार के रूप में भी होता है तथा अनुनासिक के रूप में भी होता है। हम जानते हैं कि अनुस्वार व्यंजन के रूप में प्रयुक्त किए जाते हैं तथा अनुनासिक स्वर के रूप में प्रयोग किए जाते हैं। अयोगवाह का पूरी तरह स्वर अथवा व्यंजन ना होने का मुख्य कारण यह भी है कि स्वर का उच्चारण बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता से भी किया जा सकता है, लेकिन अयोगवाह जोकि अनुस्वार एवं विसर्ग के रूप में प्रयोग किए जाते हैं, उनका उच्चारण किसी अन्य वर्ण की सहायता के बिना नहीं किया जा सकता इसीलिए अयोगवाह स्वर एवं व्यंजन के बीच की कड़ी हैं।
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