‘दुख जीवन को माँजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है’-आशय स्पष्ट कीजिए।

दुख जीवन को माँजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है।’ इस बात का आशय यह है कि जीवन में हमें जो भी दुख प्राप्त होते हैं, उनसे हम कुछ ना कुछ सीख लेते हैं। जीवन में मिलने वाले दुखों से हमारे अंदर संघर्ष करने की क्षमता विकसित होती है। इन संघर्षों से जूझ कर हमारे अंदर एक हुनर पैदा होता है, जो हमें जीवन में निरंतर आगे बढ़ने देता है। दुखों में मिलने वाले संघर्ष हमें और अधिक मजबूत बनाते हैं। दुखों से प्राप्त अनुभव हमें शिक्षा देकर जाते हैं और हम अपनी गलतियों तथा कमियों को भी जान पाते हैं, जिससे जीवन में हमें आगे बढ़ने में मदद मिलती है। दुख ही हमें मजबूत बनाते हैं और मजबूत व्यक्ति ही अपने जीवन में आगे बढ़ता है। इसीलिए दुख जीवन को माँजता है और उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है।

संदर्भ पाठ

‘लहासा की ओर’ लेखक – राहुल सांकृत्यायन


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