‘नौरंगिया’ कविता के आधार पर ‘नौरंगिया’ की दिनचर्या और चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

‘नौरंगिया’ नामक कविता जनवादी कवि ‘कैलाश गौतम’ द्वारा लिखी गई कविता है। इस कविता में उन्होंने ‘नौरंगिया’ नाम एक ग्रामीण स्त्री की जीवन दशा का वर्णन किया है।

‘नौरंगिया’ कविता आधार के आधार पर कहें तो नौरंगिया कविता में नौरंगिया की दिनचर्या नियमित है। वह सुबह-सुबह उठकर अपने खेतों पर चली जाती है और अपने खेत में जी-तोड़ मेहनत करती है। वह दिनभर अपने खेतों में परिश्रम में लगी रहती है। वह अपने खेतों से शाम को ही वापस आ पाती है।

नौरंगिया कविता के आधार पर नौरंगिया की विशेषताएं

नौरंगिया कविता के आधार पर नौरंंगिया कविता की विशेषताएं इस प्रकार हैं…

  • नौरंगिया देवी देवताओं अर्थात भगवान में विश्वास नहीं करती। वह किसी भी देवी देवता को नहीं मानती नहीं।
  • नौरंगयि एक कर्मठ स्त्री है। वह केवल कर्म में विश्वास रखती है। कर्म और परिश्रम ही उसके देवी-देवता हैं।
  • नौरंगिया किसी भी तरह के छल-कपट की नहीं जानती है। वह एकदम सीधी-सादी है और किसी भी तरह के छल-कपट-षड्यंत्र से दूर रहती है।
  • नौरंगिया एक परिश्रमी स्त्री है, जो अपने खेतों में जी तोड़ मेहनत करती है। वह दिन भर अपने खेतों में परिश्रम करती रहती है।
  • नौरंगिया एक साहसी और जुझारू स्त्री है। वह किसी भी तरह की मुसीबत से नहीं घबराती और हर संकट का सामना साहस से करती है।
  • नौरंगिया का पति एकदम कामचोर है और वह कोई कार्य नहीं करता, उसके बावजूद नौरंगिया उसके साथ अपना जीवन निर्वाह कर रही है, वह कोई शिकायत नहीं करती।
  • नौरंगिया एक साहसी स्त्री है, जो जमींदार और सामंतों से भिड़ने में भी संकोच नही करती है। अपने हक के लिए लड़ना जानती है।
  • नौरंगिया गंगा पार रहती है। उसके मेहनती और स्वावलंबी स्वभाव के कारण गाँव गली में सब लोग उसकी चर्चा करते हैं।
  • नौरंगिया एक युवती है। शारीरिक दृष्टि से नौरंगिया एक सुंदर स्त्री है और देखने में वह आकर्षक व्यक्तित्व की स्त्री है। उसका रंग साफ है। वह गठीले शहर की सुंदर स्त्री है। जिस कारण उसके सुंदर शरीर पर ठेकेदार और लेखपाल जैसे दबंग लोग अपनी बुरी नीयत रखते हैं।
  • नौरंगिया दिन भर काम के पीछे भागने वाली स्त्री है वह हर समय  अपने काम में लगी रहती है।
  • दिन भर जी-तोड़ परिश्रम के बाद भी नौरंगिया की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। इतनी सारी मेहनत करने के बावजूद नौरंगिया अपने लिए पर्याप्त धन नहीं जुटा पाती। जब उसकी खेतों की फसल पक जाती है तो महाजन आदि उसकी फसलों को ब्याज आदि के नाम पर हड़प कर जाते हैं।
  • उसके पास पहनने के लिए ढंग की चप्पल और ढंग के कपड़े तक तक नहीं है। वह मांगी हुई चप्पल पहनती है और साड़ी भी उसने किसी से उधार लेकर पहनी है।
  • वह अपने गिरवी रखे हुए गहने तक नहीं छुड़ा पाती और मन-मसोसकर रह जाती है। अपनी मन की व्यथा को किसी से कह भी नहीं पाती।
  • उसका स्वभाव विनम्र और वाणी मधुर है अर्थात वह सबसे मीठी बोली में बात करती है।
  • तमाम दुःखों और विषम परिस्थितियों के बावजूद वह हर समय हँसती मुस्कुराती रहती है और सकारात्मकता से जीवन को जीने का प्रयास करती है।

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