सही विकल्प होगा…समुद्र के पास |
विस्तार से वर्णन
तताँरा वामीरो की मुलाकात समुद्र के पास हुई थी। एक दिन तताँरा दिन भर के अथक परिश्रम करने के बाद समुद्र के किनारे टहल रहा था। सूरज लगभग डूबने को ही था। समुद्र से ठंडी-ठंडी हवाएं आ रही थीं। तताँरा का मन एकदम शांत था। वह अपने विचारों में खोया हुआ समुद्र की रेत पर चला जा रहा था। तभी उसके कानों में गानों का एक मधुर स्वर पड़ा। वह स्वर की दिशा में बढ़ता चला गया, जहाँ उसे वामीरो मधुर गाना गाती हुई दिखाई दी। इस तरह का तताँरा की पहली मुलाकात वामीरो से समुद्र के किनारे हुई थी।
‘तताँरा-वामीरो की कथा’ एक प्रेमी युगल की कथा है, जिसके लेखक लीलाधर मंडलोई हैं। इस कथा में उन्होंने निकोबार द्वीप समूह में तताँरा और वामीरो नामक युवक-युवती के बीच की उपजे प्रेम तथा उनके मिलन ना होने के कारण दोनों के त्यागमयी बलिदान की कथा को प्रस्तुत किया है।
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तताँरा-वामीरो का चरित्र-चित्रण कीजिए। (तताँरा-वामीरो की कथा)