‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर अगर हम कहें तो देश के संवेदनशील युवा नागरिक होने के नाते देश की सुरक्षा हेतु सीमाओं पर खड़े हमारे नौजवानों के प्रति हमारा उत्तर दायित्व यह है कि हम उन नौजवानों के प्रति अपना सम्मान प्रकट करें, जो अपना घर परिवार छोड़कर, सर्दी गर्मी की चिंता ना करते हुए देश के सीमा की रक्षा हेतु खड़े रहते हैं। उन्हीं के कारण हम अपने देश में चैन की नींद ले पाते हैं। ऐसे नौजवानों के प्रति हमें अपना श्रद्धा भाव प्रकट करना चाहिए और हमेशा उनका आभार व्यक्त करना चाहिए।
एक युवा नागरिक होने के नाते हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम सभी युवा सैनिकों प्रेरणादायी जीवन गाथा को आने वाली पीढ़ी को भी प्रेरित करें ताकि आने वाली पीढ़ी भी देश की रक्षा के लिए प्रेरित हो। देश की सीमा में सुरक्षा में लगे सभी सैनिकों के प्रति हमारा दायित्व बनता है कि हम सभी सैनिकों के परिवार की उचित ध्यान दें और किसी सैनिक आदि के साथ कोई अप्रत्याशित घटना घटने पर उनके परिवार के लिए हर तरह का सहयोग करें।
संदर्भ पाठ
‘साना-साना हाथ जोड़ि’ – मधु कांकरिया (कक्षा – 10, पाठ – 3)
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