‘मैं तुमसे शास्त्र सीखने नहीं आई हूँ, शस्त्रों से युद्ध करने आई हूँ।’
इस कथन के माध्यम से राजकुमारी पद्मा का यह कहना है कि वह राजा अशोक के साथ युद्ध करना चाहती है, ताकि वह अपने पिता के हत्या का बदला ले सके। राजकुमारी पद्मा जोकि कलिंग की राजकुमारी थी, उसके पिता की हत्या युद्ध में अशोक और अशोक की सेना द्वारा कर दी गई थीय़ कलिंग के महाराज की हत्या के कारण कलिंग की राजकुमारी पद्मा बदले की भावना से जल रही थी और वह अपने पिता की हत्या का बदला अशोक को मारकर लेना चाहती थी। इसीलिए जब अशोक की सेना कलिंग महाराज के मृत्यु के बाद कलिंग के किले के द्वार पर खड़ी होकर अंदर घुसने का प्रयास कर रही थी, तब राजकुमारी पद्मा कई हजार स्त्री सैनिकों के साथ उनका सामना करने के लिए तैयार कर रखी थी।
जब राजकुमारी पद्मा को पता चला कि अशोक स्वयं उसके समक्ष खड़ा है। दोनों के बीच वाद-विवाद हुआ। राजा अशोक को अपनी भूल का अहसास था कि उसने निर्दोष प्राणियों की हत्या की। वह अपनी भूल को स्वीकार कर रहा था। जब राजकुमारी पद्मा ने यह कहा कि वह उनसे शास्त्र सीखने नहीं बल्कि शस्त्रों से युद्ध करने आई है तो राज अशोक ने सिर झुकाते हुए कहा कि उसके समक्ष वह अपना शीश झुकाए खड़ा है। वह चाहे तो अपने पिता की मृत्यु का बदला उसके सर को काट कर ले सकती है।
संदर्भ पाठ
‘अशोक का शस्त्र त्याग’, लेखक : वंशीधर श्रीवास्तव
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