समाज के नवनिर्माण में श्रमिक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसी भी समाज का निर्माण के अनेक पहलू होते हैं, जिनमें समाज का आर्थिक विकास, रोजगार, उत्पादन, सेवाएं आदि महत्वपूर्ण पहलू हैं। श्रमिक इन सभी पहलुओं में अपना अहम योगदान देते हैं।
श्रमिकों के योगदान के बिना कोई भी उत्पादन संभव नहीं हो सकता। श्रमिक सेवा कार्यों से भी जुड़े रहते हैं। जब समाज में पर्याप्त उद्योग होंगे, श्रमिकों को पर्याप्त रोजगार मिलेगा उत्पादन कार्य अपनी गति में होगा तो उस समाज का आर्थिक विकास भी निरंतर होता रहेगा। श्रमिक परिश्रम से जुड़े होते हैं, बिना परिश्रम के कोई भी समाज विकास नहीं कर सकता। केवल समाज की नहीं जीवन के हर क्षेत्र में परिश्रम की आवश्यकता होती है।
हर व्यक्ति किसी न किसी तरह से ही श्रम से ही जुड़ा है। हर व्यक्ति को श्रम करना ही पड़ता है तभी वह इस दुनिया में स्वयं का जीवन जी सकता है। श्रम से तात्पर्य केवल पत्थर या मिट्टी या ईंट उठाने वाले मजदूरों से ही नही, श्रमिक से तात्पर्य कारखानों में कार्य करने वाले कर्मचारियों से नही होता बल्कि बल्कि एक इंजीनियर, एक डॉक्टर या एक वकील या एक अधिकारी भी श्रमिक ही है, जो अपने संबंधित कार्य में श्रम कर रहा है। इसलिए समाज के नवनिर्माण में श्रमिकों का योगदान बेहद महत्वपूर्ण है।
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