विचार/अभिमत
सरकारी अस्पतालों में निर्धन व्यक्ति की स्थिति
सरकारी अस्पतालों में निर्धन व्यक्ति की स्थिति बहुत अधिक अच्छी नहीं है। हालांकि सरकारी अस्पताल निर्धन व्यक्ति यानी आम जनता के लिए ही खोले जाते हैं, ताकि वह व्यक्ति जो धन अभाव के कारण अपनी बीमारी का इलाज नहीं करवा पाने में असमर्थ हो वह सरकारी अस्पताल के माध्यम से अपनी बीमारी का इलाज करवा सके।
सरकारी अस्पताल आम जनता के कल्याण के लिए खोले जाते हैं, जहां पर उन्हें मुफ्त में चिकित्सा मिल सके। लेकिन सच बात तो यही है कि सरकारी अस्पतालों में निर्धन व्यक्ति की स्थिति बहुत अधिक अच्छी नहीं है। सरकारी अस्पताल केवल खाना-पूरी का साधन बनकर रह गए हैं। वह निर्धन व्यक्ति जो बिल्कुल ही विवश है, जिसके पास अपना इलाज कराने के लिए अन्य कोई विकल्प नहीं है, वह ही सरकारी अस्पताल में इलाज करने के लिए आता है।
सभी सरकारी अस्पतालों के संदर्भ में यह बात सच नहीं हो सकती कि सभी सरकारी अस्पतालों की स्थिति बेकार है। बड़े शहरों के कुछ बड़े सरकारी अस्पतालों में स्थिति थोड़ी ठीक-ठाक है और वहां पर निर्धन व्यक्ति को सही उपचार मिल जाता है लेकिन अधिकतर सरकारी अस्पतालों की स्थिति खराब ही होती है। न तो वहाँ पर पर्याप्त उपचार के साधन होते हैं और न ही सही ढंग से उपचार मिलता है।
सरकारी अस्पतालों का स्टाफ जिसमें डॉक्टर नर्स तथा कर्मचारी आदि शामिल हैं, वह ना तो निर्धन जनता के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं और ना ही उनका उस लगन से उपचार करते हैं, जैसा उन्हें करना चाहिए। निर्धन व्यक्ति को अपने इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में इधर-उधर दौड़ना पड़ता है और डॉक्टरों तथा नर्सों की खुशामद करनी पड़ती है, तब कहीं जाकर उसे थोड़ा इलाज मिल पाता है।
सरकारी अस्पतालों में सरकार की तरफ से अनेक सुविधाएं के रूप में दवा तथा अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं, लेकिन बीच के बिचौलिए इन सभी को बीच में ही गबन कर जाते हैं और इनका असल लाभ आम जनता तक नहीं पहुंच पाता। सरकारी अस्पताल में सरकार की तरफ से नियमित रूप से मुफ्त दबाए उपलब्ध कराई जाती हैं लेकिन अधिकतर दवाईयां बीच के बिचौलिए अस्पताल तक आने ही नहीं देते और उन्हें बीच में ही बेचकर खा जाते हैं, इसमें अस्पताल के कर्मचारियों की मिली भगत शामिल होती है। इसका परिणाम यह होता है कि जो भी गरीब व्यक्ति अपना जो निर्धन व्यक्ति अपना उपचार करने अस्पताल में आया है, उसे सरकारी अस्पताल का डॉक्टर बाहर की दवाई लिखकर दे देता है।
सरकारी अस्पताल में जहाँ देखो अव्यवस्था और भ्रष्टाचार फैला हुआ है। इस कारण वह व्यक्ति जो आर्थिक रूप से थोड़ा ठीक स्थिति में है, वह सरकारी अस्पताल में इलाज करने की जगह किसी निजी अस्पताल में अपना इलाज करना बेहतर समझता है। हालांकि अस्पताल में भी धन के नाम पर लूट मची होती है, लेकिन वहां पर बेहतर इलाज और अच्छी देखभाल हो जाती है जबकि सरकारी अस्पताल में ऐसा नहीं होता। इसलिए निर्धन व्यक्ति के संदर्भ में बात की जाए तो सरकारी अस्पताल की स्थिति निर्धन व्यक्ति की स्थिति बहुत अधिक अच्छी नहीं है।