अगर कंकड़ नदी में ही पड़ा रहता, तो अंत में वह क्या बन जाता ?

अगर कंकड़ नदी में ही पड़ा रहता तो वह अंत में अपना अस्तित्व खोकर रेत का एक छोटा सा कण बन जाता। कंकड़ जब नदी में ही पड़ा रहता तो धीरे-धीरे वह नदी के पानी में ही घुलता चला जाता। धीरे-धीरे उसका अस्तित्व क्षीण होने लगता और अंत में वह नदी के पानी में घुल-घुल कर रेत का एक छोटा सा कण बन जाता।

नदी के पानी में घुलकर उसका अस्तित्व पूरी तरह नदी के पानी में ही विलीन हो जाता। नदी में पड़े रहने से कंकड़ के किनारे और कोनों का निरंतर क्षरण होता रहता और अंत में वह रेत के बेहद नन्हे से कण में ही बदलकर रह जाता। कंकड़ नदी के पानी से बाहर कहीं पड़ा होता तो संभव है कि वह कोई बड़ा पत्थर बन जाता अथवा किसी चट्टान में भी तब्दील हो सकता था। नदी के पानी में उसका अस्तित्व नदी में ही मिल जाना था जबकि नदी के बाहर रहकर अपने अस्तित्व की रक्षा कर सकता था।


Other questions

‘चाँदी का जूता’ कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

‘चंपा काले अक्षर नहीं चीन्हती’ पाठ में चंपा का पढ़ाई के प्रति क्या दृष्टिकोण है? बताइए​।

Chapter & Author Related Questions

Subject Related Questions

Recent Questions

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here