जो नहीं है, इस तरह उसी को पा जाता हूँ। |
संदर्भ : यह पंक्तियां ‘मिठाई वाला’ नामक पाठ की है। इसके लेखक भवानी प्रसाद वाजपेई है। यह छोटी सी कहानी है, जो ऐसे फेरी लगाने वाले व्यक्ति के बारे में है, जो तरह-तरह के छोटे-मोटे समान बेचता था।
आशय : ‘जो नही है, इस तरह उसी को पा जाता हूँ।’ ये कथन मिठाई वाले का है। इन पंक्तियों का आशय यह है कि मिठाई वाला इन पक्तियों के माध्यम से ये कहना चाह रहा है कि वह इन नन्हे-मुन्ने, छोटे-छोटे बच्चों को खिलौने और मिठाई जैसे सामान सस्ते दाम बेचकर उनके चेहरे की खुशी देखकर वह वात्सल्य और स्नेह पा लेता है जो उसे अपने बच्चों से मिला करता था। पैसे तो उसके बाद बहुत हैं, बस नहीं है तो केवल अपने बच्चों से मिलने वाला प्रेम। क्योंकि उसके बच्चे अब इस दुनिया में नहीं रहे। वह प्रेम वह महल्ले के बच्चों से पा लेता है।
व्याख्या
‘मिठाई वाला’ पाठ में मिठाई वाले का कहना था कि वह अपने बच्चों को अन्य बच्चों में ढूंढता है। उसके बच्चों की मृत्यु काफी समय पहले हो गई थी। वह अपने बच्चों की याद में उनकी छवि सभी बच्चों में ढूंढता है। इस तरह बच्चों को सस्ते दामपर खिलौने, मिठाई आदि बेचकर बच्चों के चेहरे पर खुशी लाकर उसे जो संतुष्टि मिलती है उससे उसे अपने बच्चों के बिछड़ने का दुख कम हो जाता है।
मिठाई वालों का कहना था कि उसके पास काफी पैसे हैं, क्योंकि वह भी किसी समय में एक बड़ा सेठ था। उसके पास पैसे की कोई कमी नहीं है। वह खिलौने मिठाई आदि बेचने का काम केवल अपनी आत्म-संतुष्टि के लिए करता है। वह सभी बच्चों में अपने बिछड़े बच्चों की छवि खोजता है। इन सभी बच्चों के चेहरे पर खुशी लाकर उसे बेहद अच्छा लगता है इसीलिए वह खिलौने-मिठाई आदि बेचता है। खिलौने-मिठाई आदि बेचकर पैसे कमाना उद्देश्य नहीं है। उसका उद्देश्य बच्चों के चेहरे पर खुशी लाना है।
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