प्लास्टिक ⦂ आज की दुनिया को अगर हम प्लास्टिक की दुनिया कहें तो इसमें कुछ गलत नहीं है। आज प्लास्टिक का मनुष्य से बहुत गहरा संबंध हो गया है जैसे चोली और दामन का। प्लास्टिक के बर्तन, प्लास्टिक के खिलौने, प्लास्टिक का फ्रिज, कंप्युटर, वाशिंग मशीन, मोबाइल फ़ोन और ना जाने कितनी अनगिनत वस्तुएं जिनका इस्तेमाल हम रोजमर्रा की ज़िंदगी में करते हैं। आजकल प्लास्टिक की थैली का चलन तो बहुत ज्यादा हो गया है। बाज़ार में कुछ भी खरीदने जाओ तो वह चाहे दूध, दहीं, राशन, सब्जी हो सब कुछ प्लास्टिक की थैली में ही मिलता है। और तो और दूध, ब्रेड आदि तो पहले से ही प्लास्टिक की थैली में पैक होकर आता है। इस युग को अगर कलयुग ना कहकर प्लास्टिक युग कहा जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।
प्लास्टिक की परिभाषा
प्लास्टिक, संश्लेषित अथवा अर्धसंश्लेषित कार्बनिक ठोस पदार्थों के एक बड़े समूह का सामान्य नाम है। इससे बहुत सारे औद्योगिक उत्पाद निर्मित होते हैं। प्लास्टिक प्रायः उच्च अणुभार वाले बहुलक होते हैं जिनमें मूल्य कम करने या अधिक कार्यक्षम बनाने के लिये कुछ अन्य पदार्थ भी मिश्रित किए जा सकते है। प्लास्टिक को बहुलकीकरण की प्रक्रिया द्वारा बनाया जाता है। प्लास्टिक असल में बहुलक ही होता है,जैसे कि-पॉलीथीन, पोलीविनायल क्लोराइड,इत्यादि। प्लास्टिक पदार्थ और प्लास्टिक पदार्थों के एक गुण अलग-अलग हैं। एक गुण के रूप में प्लास्टिक उन पदार्थों की विशेषता का द्योतक है, जो अधिक खींचने या तानने (विकृति पैदा करने) से स्थायी रूप से अपना रूप बदल देते हैं और अपने मूल स्वरूप में नहीं लौट पाते।
प्लास्टिक दो प्रकार की होती है
थर्मोप्लास्टिक ⦂ यह वह प्लास्टिक होती है जो गर्म करने पर विभिन्न रूपों में बदल जाती है। जैसे-पॉलीथीन, पॉली प्रोपीलीन, पॉली विनायल क्लोरायड ।
थर्मोसेटिंग ⦂ यह वह प्लास्टिक होती है जो गर्म करने पर सेट हो जाती है जैसे :- यूरिया, फॉर्मेल्डिहाइड, पॉली यूरेथेन ।
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